विवेक ओबेरॉय अक्सर अपनी पहली फिल्म 'कंपनी' मिलने से पहले के संघर्ष की बात करते रहे हैं. अब एक नए इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि वे सचमुच झुग्गी में रहते थे, जहां रात को बड़े-बड़े चूहे उनके मेहमान बनते थे. विवेक ने ये भी बताया कि वह पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए करते थे ताकि समझ सकें कि उनका किरदार उन हालातों में कैसे रिएक्ट करेगा.
झुग्गी में रह थे विवेक ओबेरॉय
पिंकविला को दिए इंटरव्यू में विवेक ने बताया कि पहले डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था, क्योंकि वे 'बहुत पॉलिश्ड' लग रहे थे. डायरेक्टर के मुताबिक, विवेक एक हार्डकोर गैंगस्टर फिल्म के लिए फिट नहीं थे. फिर विवेक ओबेरॉय ने खुद ठान लिया कि वे राम गोपाल वर्मा को इम्प्रेस करेंगे और कई महीनों के लिए झुग्गी में रहने चले गए.
एक्टर ने बताया, 'मैं झुग्गी में जाकर रहने लगा. 6-7 हफ्ते मैं एक झुग्गी में जाकर रहा. झुग्गी में किराए की खोली ली, खोली में जाकर रहा. रात को बड़े-बड़े चूहे आते थे. ड्रम के अंदर से पानी निकालना पड़ता था. बाथरूम था नहीं, आपको सुलभ शौचालय यूज करना पड़ता था, लाइन में खड़ा रहना पड़ता था. मैंने महसूस किया कि चंदू नागरे (कंपनी का किरदार) की जिंदगी कैसी होगी. वो बीड़ी कैसे फूंकता है, चाय कैसे पीता है, बातें कैसे करता है.'
उधार लेकर डायरेक्टर ने दी थी फीस
विवेक ओबेरॉय को यकीन नहीं था कि राम गोपाल वर्मा दोबारा ऑडिशन का मौका उन्हें देंगे. इसलिए झुग्गी में कुछ दिन रहने के बाद उन्होंने चंदू नागरे बनकर पूरा लुक तैयार किया और सीधे उनके ऑफिस पहुंच गए. डायरेक्टर इतने इम्प्रेस हुए कि तुरंत विवेक को कास्ट कर लिया. इस वाकये को विवेक ने याद करते हुए कहा, 'जबरदस्त ऑडिशन... मैंने आज तक ऐसा ऑडिशन नहीं देखा.'
इसके बाद राम गोपाल वर्मा खुद विवेक को लेकर सुरेश ओबेरॉय के घर गए. उस वक्त सुरेश ओबेरॉय गार्डनिंग कर रहे थे. जैसे ही डायरेक्टर ने बताया कि उन्होंने विवेक को कास्ट कर लिया है, सुरेश की आंखों में आंसू आ गए. उन्हें अपने बेटे पर गर्व था. चूंकि राम गोपाल वर्मा के पास साइनिंग अमाउंट के लिए कैश नहीं था, उन्होंने सुरेश ओबेरॉय से 10 रुपये उधार लिए और वहीं विवेक को दे दिए थे. 2002 में रिलीज हुई 'कंपनी' सुपरहिट रही और मेनस्ट्रीम के हीरो के लिए यह अब तक का सबसे अनकन्वेंशनल डेब्यू माना जाता है.