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'गौरी नहीं चाहती दूसरी लड़कियों...' एक्टर नहीं बनना चाहते थे शाहरुख, मां की वजह से बदला था प्लान

विवेक वासवानी शाहरुख के जीवन के सबसे मुश्किल दौर में उनके साथ खड़े रहे. जब शाहरुख का परिवार बीमार था, वो आर्थिक तंगी झेल रहे थे और उनका भविष्य अनिश्चित था. शाहरुख अपनी मां की बीमारी से जूझ रहे थे, अपनी अविवाहित बहन शहनाज ललारुख की देखभाल कर रहे थे और अपनी तब गर्लफ्रेंड रहीं गौरी से शादी की इच्छा रखते थे.

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शाहरुख खान थे परेशान (Photo: ITG)
शाहरुख खान थे परेशान (Photo: ITG)

शाहरुख खान बॉलीवुड के किंग हैं. फिल्म इंडस्ट्री में तीन दशकों से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद उन्हें इस साल अपना पहला नेशनल अवॉर्ड मिला. इसके लिए देशभर से उन्हें बधाइयां भी मिलीं. उनमें से एक थे एक्टर और प्रोड्यूसर विवेक वासवानी. विवेक ने जब शाहरुख को बधाई दी, तो एक्टर ने भी उन्हें गर्मजोशी से जवाब दिया था. शाहरुख ने कहा था, 'बधाई के लिए शुक्रिया. सब कुछ आपसे शुरू हुआ. राजू आखिरकार बन गया जेंटलमैन.'

मां को लेकर परेशान थे शाहरुख

विवेक वासवानी शाहरुख के जीवन के सबसे मुश्किल दौर में उनके साथ खड़े रहे. जब शाहरुख का परिवार बीमार था, वो आर्थिक तंगी झेल रहे थे और उनका भविष्य अनिश्चित था. शाहरुख अपनी मां की बीमारी से जूझ रहे थे, अपनी अविवाहित बहन शहनाज ललारुख की देखभाल कर रहे थे और अपनी तब गर्लफ्रेंड रहीं गौरी से शादी की इच्छा रखते थे. साथ ही दुनिया में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे. उनके पास न घर था, न खाने को पर्याप्त भोजन, और उस वक्त वे फिल्मों में जाने के बारे में सोच भी नहीं रहे थे.

हाल ही में रेडियो नशा को दिए इंटरव्यू में विवेक ने उन शुरुआती दिनों को याद किया, जब शाहरुख उनके घर में रहते थे और उनके कपड़े पहनते थे. उन्होंने कहा, 'वो मेरे घर पर थे और उन्हें शाकाहारी खाना पसंद नहीं था, इसलिए हम नॉन-वेज खाने बाहर गए. पहले 20 मिनट तक वो चुपचाप खाते रहे, लगभग दो दिन से उन्होंने ठीक से नहीं खाया था. खाना खत्म करने के बाद उन्होंने मुझसे कहा, 'जानते हो विवेक? मेरी मां मर रही हैं.' मैं हैरान रह गया और जवाब नहीं दे सका. फिर उन्होंने मां की मल्टीपल ऑर्गन डिजीज, बहन और गौरी के बारे में बताया. उस रात उन्होंने मुझे खुलकर बात की, जो उन्होंने पहले कभी नहीं किया था. वो बोलते रहे और समय ऐसे ही चलता गया.'

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विवेक ने आगे कहा कि बाद में हम मरीन ड्राइव पर बैठे, कॉफी पीते हुए रात भर बातें करते रहे. 'मेरी हिम्मत नहीं हुई कि उन्हें कहीं और सोने को कहूं. मैंने उन्हें अपने घर रहने दिया.' उस दौरान शाहरुख ने विवेक को अपने करीबी दोस्त रमन से मिलवाया, जो दिल्ली से मुंबई आए पायलट थे. उन्होंने बताया, 'शाहरुख उत्साहित थे कि हमें ताज (होटल) का खाना मिलेगा. उन्हें तंदूरी चिकन और कॉफी चाहिए थी. रमन और वो बहुत करीब थे. उसके बाद शाहरुख मेरे साथ घर लौटे और तीन दिन तक रुके, मेरे कपड़े पहनते रहे.'

विवेक ने ये भी बताया, 'क्रिसमस से कुछ दिन पहले तक वो मेरे साथ रहे. फिर हमें ला पेपे में पार्टी के लिए बुलाया गया. ये वो बिल्डिंग थी जहां जैकी श्रॉफ और जीनत अमान रहते थे. शाहरुख और मैं गए, कुछ ड्रिंक्स लिए और मजे किए. बाद में मैंने उन्हें एयरपोर्ट छोड़ा, और जैसे ही कार रुकी, उन्होंने सब कुछ उल्टी करके निकाल दिया.'

दिल्ली पहुंचते ही शाहरुख की मां की हालत और बिगड़ गई. विवेक ने याद किया, 'उन्होंने मुझे फोन किया और दवाएं मांगीं. मैंने पापा से पैसे उधार लिए, दवाएं खरीदीं और रमन के जरिए एयरपोर्ट भिजवाईं. बाद में मैं खुद दिल्ली रवाना हो गया. गौरी से मिला, फिर अस्पताल में उनकी मां से. वो बोल नहीं पा रही थीं.'

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एक्टर नहीं बनना चाहते थे शाहरुख खान

उसी समय प्रोड्यूसर विक्रम मल्होत्रा ने शाहरुख को फिल्म का ऑफर दिया. विवेक ने कहा, 'लेकिन वो (शाहरुख) साफ कहते थे कि फिल्में नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि गौरी को पसंद नहीं आएगा कि वो दूसरी एक्ट्रेस को गले लगाएं. वो टीवी से खुश थे, इसलिए मैंने जोर नहीं दिया. फिर भी विक्रम ने तीन दिन की शूटिंग के लिए शिमला जाने पर जोर दिया. मैं साथ गया और वहीं पहली बार केतन मेहता से मिला. फिल्म थी माया मेमसाब. ये आर्ट फिल्म थी, उनके टीवी काम जैसी. मां के गुजरने से पहले उन्होंने ये की. शूटिंग के बाद हम दिल्ली लौटे. शाहरुख ने मुझे एयरपोर्ट छोड़ा, गौरी और रमन मुझे अलविदा कहने आए थे. कुछ दिन बाद ही उनकी मां गुजर गईं.'

अंतिम संस्कार के दस दिन बाद शाहरुख मुंबई लौटे थे. विवेक ने बताया, 'सुबह 4 बजे मेरी डोरबेल बजी. दरवाजा खोला तो शाहरुख बड़े-बड़े बैग लेकर खड़े थे. वो अंदर नहीं आए, बस बोले, 'क्या तुम मेरे साथ फिल्म करोगे?' मैंने याद दिलाया कि तुम फिल्में नहीं करना चाहते थे, तो बोले, अब करता हूं. मां का सपना था कि मैं सुपरस्टार बनूं. उस सपने को पूरा करने के लिए मुझे एक्टर बनना है. और मैं सिर्फ तुम्हारे पास आकर फिल्म बनाने को कह सकता हूं.' विवेक ने आगे कहा, 'उन्होंने बैग मेरे घर छोड़े, और हम प्रेसिडेंट होटल गए, कॉफी ऑर्डर की, और वहीं राजू बन गया जेंटलमैन का जन्म हुआ.'

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ये पहली फिल्म थी जिस पर उन्होंने चर्चा की, लेकिन शाहरुख का असली डेब्यू ऋषि कपूर की 'दीवाना' से हुआ था. इसके बाद 1992 में नसीरुद्दीन शाह के साथ 'चमत्कार' की. उसी साल 'राजू बन गया जेंटलमैन' रिलीज हुई और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बनी. यही वो फिल्म थी जिसने शाहरुख खान को बॉलीवुड के नए चेहरे के रूप में सचमुच स्थापित किया.

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