बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में 70 का दौर गोल्डन एरा माना जाता है. इस एरा में हर एक चीज कमाल थी. फिल्में, एक्टर्स और गाने भी. लोगों के दिलों में 70 के दशक के गानें एक खास जगह रखते हैं. इस दशक में बॉलीवुड में जिस म्यूजिक डायरेक्टर ने सबसे ज्यादा नाम कमाया वो थे आर डी बर्मन. 70 के दशक में उनके गानें सफलता की गारंटी बन गए थे. म्यूजिशियन की प्रतिभा ने सभी को उनका मुरीद बना दिया. उनकी पुण्यतिथि पर बता रहे हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें.
आर डी बर्मन के पिता एस डी बर्मन एक महान म्यूजिशियन थे. उन्होंने अपने करियर में खूब नाम कमाया. मगर जो पॉपुलैरिटी और लोगों की दीवानगी आर डी बर्मन के गानों में देखने को मिली वो तो उनके पिता को भी नहीं मिली थी. बहुत छोटी उम्र से आर डी बर्मन ने म्यूजिक कंपोज करना शुरू कर दिया था. मात्र 9 साल की उम्र में उन्होंने कंपोजीशन का काम शुरू कर दिया था. 17 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला बॉलीवुड सॉन्ग कंपोज किया. फिल्म फंटूस के लिए उन्होंने गाना ए मेरी टोपी पलट कर आ कंपोज किया था.
कैसे पड़ा नाम पंचम दा-
वैसे तो इस बारे में कई सारी कहानियां और किस्से प्रचलित हैं कि आर डी बर्मन का नाम पंचम दा कैसे पड़ा. दरअसल, पंचम दा जब छोटे थे तो 5वें नोट पर रोते थे जिसके चलते उनका नाम पंचम रख दिया गया. इसके अलावा एक किस्सा आशोक कुमार से जुड़ा हुआ है. दरअसल छोटे में जब पहली बार आर डी बर्मन से आशोक कुमार मिले तो उन्होंने देखा कि आर डी बर्मन पा का उच्चाहरण मुंह में बार-बार ला रहे हैं. इसलिए दादा मुनि ने उनका नाम पंचम रख दिया.
फिल्मों की बात करें तो पंचम दा को सफलता जरा देरी से मिली मगर जब मिली तो बेशुमार मिली. उन्होंने, तीसरी मंजिल, अमर प्रेम, आंधी, परिचय, मासूम, शोले, खेल खेल में, आप की कसम, किनारा और 1942 अ लव स्टोरी जैसी फिल्मों में सफल संगीत दिया. 4 जनवरी, 1994 को पंचम दा का निधन हो गया.