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आरडी बर्मन

आरडी बर्मन

आरडी बर्मन

राहुल देव बर्मन (RD Burman), जिन्हें आमतौर पर आरडी बर्मन के नाम से जाना जाता है, भारतीय सिनेमा के सबसे महान संगीतकारों में से एक थे. उन्होंने लगभग 331 फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया और बॉलीवुड संगीत की दिशा ही बदल दी. कोलकाता में जन्मे, पंचम दा संगीत के परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता सचिन देव बर्मन स्वयं एक प्रसिद्ध संगीतकार थे.

बचपन में उनका रोना जब ‘पंचम’ सरगम के स्वर जैसा लगता था, तब से उन्हें “पंचम” नाम मिला. मात्र 9 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना पहला संगीत तैयार किया, जिसे पिता की फिल्म 'फंटुश' में लिया गया. शुरू में उन्होंने अपने पिता के साथ चलती का नाम गाड़ी (1958) और कागज के फूल (1959) जैसी फिल्मों में संगीत सहायक के रूप में काम किया. 1961 में 'छोटे नवाब' से उन्होंने स्वतंत्र संगीत निर्देशन शुरू किया, और उनकी पहली बड़ी हिट 'तीसरी मंजिल' (1966) थी.

वे पश्चिमी रॉक, डिस्को, जैज, लैटिन, ओरिएंटल, बंगाली लोक संगीत को भारतीय पारंपरिक धुनों से सामंजस्यपूर्ण रूप से जोड़ने में माहिर थे.

उन्होंने संगीत में कई अनोखे प्रयोग किए. आरडी बर्मन ने दैनिक उपयोग की वस्तुओं जैसे चश्मे, चम्मच, बीयर की बोतल, से अनोखे रिदम तैयार किए. उन्होंने “चुरा लिया है दिल…” में रिमझिम ध्वनि के लिए कांच का प्याला और “होगा तुमसे प्यारा” (1981) में ट्रेन की आहट के लिए रेत और बांस का प्रयोग किया. केवल संगीत निर्देशक नहीं, बल्कि गायक के रूप में भी उन्होंने “ओ रे मांझी” जैसी गहन गीत प्रस्तुत किए.

उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. फिल्मफेयर ने उनकी याद में 1995 से “R. D. Burman Award for New Music Talent” की शुरुआत की.

1988 में उन्हें हार्ट अटैक आया और 1989 में लंदन में बाईपास सर्जरी हुई. 4 जनवरी 1994 को उनका निधन हो गया.हुआ.

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