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कौन है वो डायरेक्टर? जिसने कपिल को पर्दे पर दिया ऐसा रोल, हंसने की जगह इमोशनल हुए लोग

नंदिता दास एक ऐसी डायरेक्टर हैं जिन्होंने देश के सबसे बड़े कॉमेडियन कपिल शर्मा को भी संजीदगी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है. कपिल जो लोगों को हंसाने के लिए माहिर हैं. जिन्हें देख कर ही लोग ये उम्मीद करते हैं कि अब तो हंसी ही आएगी, उन्होंने भी लोगों को रुलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. 

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कपिल शर्मा, नंदिता दास
कपिल शर्मा, नंदिता दास

एक्ट्रेस नंदिता दास ऐसी डायरेक्टर हैं, जिनके फिल्में समाज का आइना मानी जाती हैं. नंदिता अपनी फिल्मों के जरिए किसी को भी सोचने पर मजबूर कर देती हैं. यहां ये कहना गलत नहीं होगा कि एक्ट्रेस-डायरेक्टर जब किसी फिल्म की कमान अपने हाथ में लेती हैं, सामने वाले को अपनी सोच के मुताबिक घुमाने में पूरी तरह कामयाब रहती हैं. 'ज्विगाटो' फिल्म इसका जीता जागता पैमाना है, जिसे नंदिता दास ने ही डायरेक्ट किया है.

इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नंदिता ने देश के सबसे बड़े कॉमेडियन कपिल शर्मा को भी संजीदगी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है. कपिल जो लोगों को हंसाने के लिए माहिर हैं. जिन्हें देख कर ही लोग ये उम्मीद करते हैं कि अब तो हंसी ही आएगी, उन्होंने भी लोगों को रुलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. ज्विगाटो फिल्म इसी की एक झलक है. एक डायरेक्टर चाहे तो क्या नहीं कर सकता. एक डायरेक्टर चाहे तो अपने एक्टर को इस तरह से पेश कर सकता है, जो किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा.

कॉमेडियन ने रुला दिया
'ज्विगाटो' के जरिए नंदिता ने जिस तरह से फूड, ग्रोसरी या मेडिकल सामानों की डिलीवरी करने वालों की कहानी बयां की है. वो सच में काबिल-ए-तारीफ है. ये फिल्म कई इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर दिखाई जा चुकी है. ज्विगाटो को लगभग हर किसी ने पसंद किया है. डार्क फिल्में बनाने के लिए मशहूर डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने भी ज्विगाटो को देखकर कहा था- मैं हैरान रह गया था. आपको विश्वास ही नहीं होगा कि ये वही कपिल शर्मा है. मुझे शुरू से ही फीलिंग थी कि ये कॉमेडी होगी. लेकिन असल में मैं बिल्कुल नहीं हंसा. बल्कि मैं कह सकता हूं कि ये फिल्म आपको रुला देगी. 

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क्या है ज्विगाटो की कहानी

फिल्म में कपिल शर्मा एक ऐसे शख्स की भूमिका निभा रहे हैं, जो ओड़िशा का रहने वाला है. मानस एक कंपनी में फ्लोर मैनेजर था, उसकी नौकरी चली जाती है. इसके बाद उसे अपना घर-परिवार चलाने के लिए डिलीवरी बॉय बनना पड़ता है. घर में एक बीमार मां है, पत्नी है और दो बच्चे हैं. मानस अचानक से नौकरी जाना और एप्स पर ऑर्डर लेना, डिलीवर करना फिर रेटिंग और इंसेंटिव के चक्कर में फंसा रह जाता है.  

नंदिता ने इससे पहले कई दमदार फिल्मों का डायरेक्शन किया है. जिनमें मंटो और फिराक जैसी फिल्में शामिल हैं. ज्विगाटो फिल्म से नंदिता ने एक डिलीवरी बॉय के दर्द को दर्शाया है. इस रोल को कॉमेडियन किंग कपिल शर्मा ने निभाया है. फिल्म 17 मार्च को थियेटर्स में रिलीज होगी. 

ये पहली बार नहीं है जब नंदिता ने ऐसी कोई फिल्म बनाई है. नंदिता हमेशा से ही सामाजिक मुद्दों को लेकर मुखर रही हैं. इसकी झलक उनकी फिल्मों में भी बखूबी झलकती है. कई प्लेटफॉर्म पर एक्ट्रेस ने रंगभेद और बॉलीवुड में फैले ग्लैमर ऑब्सेशन जैसे टॉपिक पर सीरियस ओपिनियन शेयर की है.  इस वजह से एक्ट्रेस को कई बार अलग-अलग तरह की बातें सुननी पड़ी हैं. ये ही वजह है कि नंदिता ने फिल्मों से थोड़ी दूरी भी बना ली और डायरेक्शन में कूद पड़ीं. एक्ट्रेस अब सिर्फ अपने पसंद की ही फिल्में करती हैं.

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सांवली सूरत होने की वजह से झेली यातनाएं
नंदिता ने अपने इंटरव्यू में कई बार इस बात का जिक्र किया है कि कैसे लोगों के रंग को लेकर भेदभाव किया जाता रहा है. उन्हें भी कई बार नीचा दिखाया गया है. कॉलेज में उनसे उनके साथ पढ़ने वाली लड़कियां कहती थीं, कि तुम्हारा इतना डार्क कॉम्प्लेक्शन होने के बावजूद तुम इतनी कॉन्फिडेंट कैसे हो?

नंदिता ने बॉलीवुड में भी फैले कॉम्प्लेक्शन गेम पर बात की थी. एक्ट्रेस ने कहा था- डार्क कॉम्प्लेक्शन या सांवली सूरत वाली एक्ट्रेस अगर फिल्म में हो तो उसके कैरेक्टर को जस्टिफाई किया जाता है. या तो वो विलेन होगी, या फिर एक सीधी सादी अच्छी लड़की. ऐसा देश जहां सबसे ज्यादा लोग सांवले रंग के हैं. वहां हर जगह गोरेपन की होड़ दिखती है. मेरे लिए तो आर्टिकल भी 'डस्की ब्यूटी नंदिता दास' के नाम से लिखे जाते थे. जैसे मेरी पहचान सिर्फ मेरी रंगत है.

बढ़ता रंगत का कारोबार

एक्ट्रेस ने कहा- 'मैंने कभी फेयरनेस क्रीम्स यूज नहीं किए. हर दिन इनका कारोबार बढ़ता जा रहा है. कहीं भी देखा जाए तो होर्डिंग्स लगे होते हैं कि ये क्रीम लगाइये गोरे बन जाइये, ये फेस वॉश यूज कीजिए रंगत निखारिये. नंदिता ने अपने बचपन का किस्सा बताते हुए कहा- जब मैं छोटी थी तो रिलेटिव्स कहा करते थे कि तुम बहुत ज्यादा डार्क हो, धूप में मत खेलो. मुझे हल्दी चंदन लगाने को कहा जाता था, ताकि मेरी रंगत निखर सके. जब मैं बड़ी हुई तो समझ आया और मैंने जवाब देना शुरू किया. ये मेरी स्किन है, मेरा कलर है, मैंने अपनी जिंदगी इसी के साथ जी है, इसी के साथ मरूंगी. 

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शुरू किया कैम्पेन

नंदिता ने इसलिए 'इंडियाज गॉट कलर'/डार्क इज ब्यूटीफुल नाम से एक कैम्पेन शुरू किया. जहां उनकी कोशिश है कि भारत में कलर के नाम पर हो रहे भेदभाव को रोक सके. या कम से कम उसमें कमी ला सकें. इस कैम्पेन के तहत हर इंसान को उसके रंग को सेलिब्रेट करने की खुल कर आजादी दी जाती है. इसके लिए नंदिता ने एक दो मिनट का म्यूजिक वीडियो भी तैयार किया था. जिसमें कई सेलिब्रिटीज ने हिस्सा लिया था. 

 

 

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