जावेद जाफरी इंडस्ट्री के टॉप कॉमिडियन एक्टर्स में से एक माने जाते हैं. एक वक्त था, जब बूगी वूगी, टकेशीज कासल और जजंतरम ममंतरम जैसे प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बन जावेद बच्चों के फेवरेट एक्टर बन गए थे.
बच्चों के बीच पॉपुयल जावेद को स्क्रीन पर देखते ही बच्चे खुश हो जाया करते थे लेकिन क्या आपको पता है असल जिंदगी में वे अपने बच्चों के लिए किसी हिटलर से कम नहीं हैं. बेटे मिजान के अनुसार जावेद जाफरी निजी जिंदगी में बहुत ज्यादा ही सीरियस हैं. मिजान के अनुसार बचपन में वे बिलकुल हिंदी फिल्म के सख्त पिता की तरह थे.
घर पर कॉमिडी बिलकुल नहीं चलती
आजतक से बातचीत के दौरान मिजान बताते हैं, 'भले ही पापा की इमेज मजाकिया हो, लेकिन बचपन में पापा से हम सभी भाई-बहन बहुत ही डरा करते थे.उनका खौफ इतना था कि घर आते ही हम सभी डर के मारे सारी शरारत छोड़ काम पर लग जाते थे. जैसा लोगों को लगता है, वो तो बिलकुल भी वैसे नहीं हैं. घर पर टकेसिस कासल की कॉमिडी बिलकुल भी नहीं चलती है. वे डिसीप्लीन को लेकर खासे सख्त रहे हैं. वे फिल्म डीडीएलजे के अमरीशपुरी की ही तरह थे. हालांकि आज उनके इसी रवैये की वजह से ही हम डिसीप्लीन हो पाए हैं और हमें तमीज है कि बड़ों से कैसे पेश आएं.'
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पापा ने कभी स्ट्रगल का रोना नहीं रोया
मिजान आगे कहते हैं, अब हम बड़े हो गए हैं लेकिन आज भी उनसे डर बरकरार है. घर पर बहुत ज्यादा हंसी-मजाक का माहौल नहीं रहता है. वे बहुत ही टैलेंटेड हैं और काम को लेकर डेडिकेशन देखने लायक है. आज भी वे काम में लगातार सक्रिय है. मैं उन्हें रोज मेहनत करते देख रहा हूं. इस दौरान कई ऐसे भी वक्त रहे, जब हमें एक छोटे से घर पर रहना पड़ा. पापा ने कभी अपने स्ट्रगल का रोना नहीं रोया. अब मैं चाहता हूं कि पापा के कंधे का बोझ अपने पर ले लूं. उन्हें अब आराम करने दूं, उन्होंने हमारी अच्छी लाइफस्टाइल के लिए बहुत मेहनत की है.
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पापा ने मेरे लिए किसी को कॉल तक नहीं किया
नेपोटिजम को लेकर चल रही डिबेट पर मिजान कहते हैं, मुझे पता है कि कुछ लोग इंडस्ट्री में ऐसे हैं, जिन्हें अपनी फैमिली की वजह से काम मिला है और वे इस काम के लायक नहीं हैं. लेकिन यह तो हर इंडस्ट्री में होता है. बॉलीवुड हमेशा से सॉफ्ट टारगेट रहा है. हालांकि मुझ पर नेपोटिजम बिलकुल भी सटिक नहीं बैठता है. मेरे पापा तो आज भी अपने लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने मेरे लिए कभी किसी को कॉल नहीं किया और मैंने कभी उनसे कहा भी नहीं. मुझे इस पर गर्व है कि मैंने खुद के दम पर अपना काम हासिल किया है. मेरे पापा तो संजय लीला भंसाली को पर्सनली जानते तक नहीं थे कि उनसे मेरी सिफारिश कर सकें. यह मेरी खुशकिस्मती है कि मैंने उनके साथ काम किया है. यह इंडस्ट्री बहुत ही रूथलेस है, अगर मैंने मेहनत नहीं की, तो मुझे कल ये बाहर निकाल फेकेंगे.
मेरी पहली कमाई चेक को फ्रेम कर दिया
डेब्यू से पहले मैं पद्मावत में असिस्टेंट डायरेक्टर था. जब फर्स्ट सैलेरी मिली, तो मैं चेक लेकर अपने मां-पापा के पास गया. उन्होंने चेक लिया और उसे फ्रेम कर दीवार पर टांग कर रख दिया है.