जिंदगी में हिम्मत ना हारना हमें बहुत लोग सिखाते हैं. लेकिन जब तक आप खुद अपने हालात के लिए कुछ नहीं करते, दूसरों का कुछ भी बोलना बेकार ही रहता है. अपने हालात को बेहतर बनाने, आगे बढ़ने, जीवन में इज्जत पाने और मिसाल कायम करने के लिए आपको खुद ही अपने पैर आगे बढ़ाने होते हैं. और यही एक कदम आगे लेकर कुछ कर दिखाने की कहानी है राजकुमार राव और नुसरत भरुचा स्टारर छलांग.
फिल्म की कहानी
इस कहानी की शुरुआत होती है हरियाणा में. महेंद्र हुड्डा उर्फ मोन्टू (राजकुमार) एक सरकारी स्कूल का पीटीआई यानी पीटी टीचर है. मोन्टू की जिंदगी बड़े आराम और मौज में कट रही है. वो स्कूल के बच्चों को कभी कुछ सिखा देता है वरना ग्राउंड में बैठा बस टाइमपास ही करता है. मोन्टू ने अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा नहीं किया है, बस चीजों को अधूरा ही छोड़ा है क्योंकि यह करना आसान था. उसकी नौकरी भी उसे अपने पिता के कहने पर उसी स्कूल में मिली है, जिसमें वो बचपन में पढ़ा था.
मोन्टू की दोस्ती उसी के स्कूल टीचर वेंकट (सौरभ शुक्ला) से है. यह जिंदगी बहुत सही चल रही थी कि मोन्टू के स्कूल में आती हैं नीलिमी मैडम (नुसरत भरुचा), जो एक कंप्यूटर टीचर हैं. नीलिमी को पटाने के लिए मोन्टू कोशिशें करने लगता है. लेकिन अब प्रेमी कहानी शुरू हुई है तो विलेन का आना भी तो बनता है न. तो एक दिन स्कूल में आते है नये पीटी टीचर मिस्टर सिंह (मोहम्मद जीशान अयूब). मिस्टर सिंह के आने से मोन्टू की नौकरी, छोकरी और इज्जत सब छिनने की कगार पर है. ऐसे में उसे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा. तब मोन्टू, मिस्टर सिंह संग स्पोर्ट्स कम्पटीशन लड़ने का फैसला करता है, जिसमें दोनों स्कूल के बच्चों को ट्रेन कर एक दूसरे से मुकाबला करवाएंगे और जो जीतेगा, वो सबकुछ पा लेगा.
परफॉरमेंस
राजकुमार राव बॉलीवुड के उन एक्टर्स में से हैं, जो आपको कभी निराश नहीं करते. उन्हें कोई भी रोल दिया जाए वो उसे बहुत आराम से निभा लेते हैं. छलांग में भी उन्होंने ऐसा ही किया है. मोन्टू का किरदार जितना सीधा है, उतना ही मस्तीखोर भी है और उससे भी ज्यादा बड़ी बात कि वो अपने हालात को बदलने की राह पर जब चल पड़ता है तो हार नहीं मानता. मोन्टू की ताकत और प्यार नीलिमी के रोल में नुसरत भरुचा ने अच्छा काम किया है. उनका रोल भले ही छोटा सा हो लेकिन उनका काम और अंदाज देखने लायक है.
बात सपोर्टिंग किरदारों की हो तो मोन्टू के पिता के रोल में सतीश कौशल, दोस्त और टीचर के रोल में सौरभ शुक्ला, मां के रोल में बलजिंदर कौर और स्कूल की प्रिंसिपल के रोल में ईला अरुण ने कमाल का काम किया है. किसी भी सीन में ये मंझे हुए एक्टर्स आपको निराश नहीं करते. फिल्म के 'विलेन' मिस्टर सिंह के रोल में मोहम्मद जीशान अयूब ने भी बढ़िया काम किया है. उनका लुक भी काफी सही था. स्कूल के बच्चे भी कमाल के थे, उन्होंने ही इस फिल्म में जान डाली है.
डायरेक्शन
डायरेक्टर हंसल मेहता जानते थे कि इतनी बढ़िया स्टारकास्ट के लिए उन्हें अच्छी कहानी चाहिए और उन्होंने वही दर्शकों को दिया. कहानी को लव रंजन ने लिखा है और बहुत समय बाद लव रंजन की लिखी कहानी में कोई लड़की लड़के को ठगने और धोखा देने का काम नहीं कर रही. स्कूल और पीटी टीचर की जिंदगी, हरियाणा शहर और अन्य चीजों को डायरेक्टर हंसल मेहता ने बहुत अच्छे से दिखाया है. फिल्म का म्यूजिक भी काफी बढ़िया है. इसका मतलब यह नहीं है कि फिल्म में कमियां नहीं हैं. लेकिन उन्हें इग्नोर किया जा सकता है. कुल-मिलाकर आपको भी अपने स्कूल के दिन याद आ जाएंगे. फिल्म छलांग एक रिफ्रेशिंग स्टोरी है जो आपको आगे बढ़ना, हार न मानना, कुछ कर दिखाना और अच्छी स्पोर्ट्समैनशिप सिखाती है.