चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही देवभूमि उत्तराखंड (Uttarkhand Assembly Elections 2022) के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए राजनीतिक दल हर संभव कोशिश कर रहे हैं. इन चुनावों में राज्य की श्रीनगर विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुईं है. इस बार श्रीनगर से 2 बार विधायक रहे और मौजूदा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाले गणेश गोदियाल और मौजूदा विधायक डॉ. धन सिंह रावत के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है.
वीआईपी सीट श्रीनगर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) बीजेपी प्रत्याशी धन सिंह रावत के स्टार प्रचारक बनेंगे. पीएम मोदी 10 फरवरी को श्रीनगर-गढ़वाल में रैली करेंगे. पीएम मोदी का यह संबोधन वर्चुअल तरीके से होगा. 10 फरवरी को पीएम मोदी श्रीगर, गढ़वाल के अलावा उत्तराखंड के कई जिलों में मतदाताओं को संबोधित करेंगे. बता दें कि उत्तराखंड की सभी 70 सीटों के लिए 14 फरवरी को मतदान होगा, वहीं वोटों की गिनती 10 मार्च होगी.
क्यों वीआईपी सीट बन गई श्रीनगर?
आमतौर पर देखा जाए तो श्रीनगर उत्तराखंड की बाकी सीटों की तरह की सामान्य है, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और दो बार विधायक रहे गणेश गोदियाल के चुनाव लड़ने से यह खास हो गई है. गणेश गोदियाल का मुकाबला बीजेपी संगठन में बेहतर पैठ बनाने वाले और सूबे के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से है. राज्य के दो बड़े नेताओं के श्रीनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के कारण हर किसी की निगाहें यहां पर टिक गई है. दोनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टी की लाज बचाने के लिए एड़ी-चोटी का दम लगा रहे हैं.
2017 में किसके हक में कितने वोट
2017- में श्रीनगर विस सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में डॉ धन सिंह रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल को 8698 वोटों से हराया था. जिसमें डॉ. धन सिंह रावत को 30816 वोट मिले थे. जबकि गणेश गोदियाल को 22118 के साथ दूसरे नंबर पर रहना पड़ा. निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़े मोहन काला 4854 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे. काला अब यूकेडी में शामिल होकर श्रीनगर विस से यूकेडी के प्रत्याशी है.
क्या है श्रीनगर-गढ़वाल सीट के प्रमुख मुद्दे
- सुमाड़ी में राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान (एनआईटी) का स्थाई कैंपस का निर्माण हो. बजट स्वीकृत है, किंतु निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ है.
- श्रीनगर शहर से पानी के मीटर हटाए जाने चाहिए.
- श्रीनगर शहर में पार्किंग की सुविधा का बहाल न होना.
- रोडवेज डिपो का सही ढंग से संचालन न होना
- 2008 से प्रस्वावित मैरिन ड्राइव का न बनना
- अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने, स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती.
- रेलवे से प्रभावित लोगों को उनका हक दिलाना
- मेडिकल कॉलेज के अस्थाई कर्मचारियों का नियमित करना और उन्हें समान वेतन का मुद्दा.
- खिर्सू को पर्यटन क्षेत्र में तौर पर विकसित करना.
(रिपोर्टः तेजपाल सिंह चौहान)