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देवस्थानम बोर्ड से Char Dham प्रोजेक्ट तक, उत्तराखंड चुनाव में छाए रहेंगे ये पांच मुद्दे

कांग्रेस ने कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन उत्तराखंड चुनाव में बड़ी उम्मीदें लगा रखी थी. यही वजह रही कि कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा की शुरुआत किसान बहुल ऊधमसिंह नगर जिले से की थी. ऐसे ही कांग्रेस को देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुद्दे से सियासी फायदा की आस थी. ऐसे में अब कांग्रेस ने नई रणनीति और नए मुद्दों को लेकर चुनावी रण में उतरी है.

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हरीश रावत और पुष्कर धामी
हरीश रावत और पुष्कर धामी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उत्तराखंड में बेरोजगारी बनता एक बड़ा मुद्दा
  • सैन्य वोटों को साधने में जुटे सभी सियासी दल
  • चुनाव में महंगाई की मार से कैसे बचेगी बीजेपी

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के हाथ से कृषि कानून और चारधाम देवस्थानम बोर्ड जैसे दो बड़े मुद्दे फिसल गए. कांग्रेस ने इन्हीं मुद्दों के बूते चुनावी वैतरणी पार करने का भरोसा लगा रखा था, लेकिन सूबे का माहौल भांप बीजेपी ने अपने कदम पीछे खींच लिए. कांग्रेस ने बीजेपी को घेरने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किया और महंगाई, बेरोजगारी अवैध खनन व भ्रष्टाचार के मुद्दे को अब सियासी हथियार बनाने में जुटी है. हालांकि, देवस्थानम बोर्ड पर अभी भी कांग्रेस ने बीजपी को घेरना बंद नहीं किया. 

कांग्रेस ने कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन उत्तराखंड चुनाव में बड़ी उम्मीदें लगा रखी थी. यही वजह रही कि कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा की शुरुआत किसान बहुल ऊधमसिंह नगर जिले से की थी. ऐसे ही कांग्रेस को देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुद्दे से सियासी फायदा की आस थी. इसीलिए तीर्थ पुरोहित और साधू-संतों के पक्ष में कांग्रेस खुलकर खड़ी थी और सत्ता में आने पर बोर्ड को वापस लेने का वादा किया था. लेकिन, बीजेपी ने दोनों ही मुद्दों पर अपने कदम खींचकर कांग्रेस के मुद्दों को छीन लिया है. ऐसे में उत्तराखंड चुनावों के छाए रहेंगे ये पांच मुद्दे हैं, जिसे लेकर सियासी जंग लड़ी जानी है. 

1. बेरोजगारी बना बड़ा मुद्दा
बिहार चुनाव की तरह उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बीजेपी के खिलाफ बनता जा रही है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ही बेरोजगारी को लेकर बीजेपी को घेरने में जुटे हैं. उत्तराखंड पंचायत आजतक के कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि राज्य की बेरोजगारी दर 3.1 फीसदी पर आ गई है. ऐसे में उत्तराखंड चुनाव में बेरोजगारी ही हमारा सबसे बड़ा मुद्दा है. कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी ने बीजेपी सरकार पर बेरोजगारी की समस्या का समाधान न करने घेर रहे हैं. 

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कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सत्ता में आने पर युवाओं को नौकरी देना का वादा कर रही है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बेरोजगारी को लेकर पदयात्रा भी निकाल रही है और घर-घर जाकर युवाओं को नौकरी न देने पर बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कर रहीं. ऐसे में सत्तारूढ़ बीजेपी रोजगार के मुद्दे पर भारी दबाव में है. ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने आजतक के कार्यक्रम में कहा कि 24 हजार सरकारी पदों पर भर्तियां की जा रही हैं और रोजगार के लिए दूसरे विकल्पों पर काम कर रहे हैं. इस तरह रोजगार का 2022 के चुनाव में छाया रहेगा. 

2. महंगाई पर घिरी बीजेपी
उत्तराखंड के चुनावी रण में कांग्रेस बेरोजगारी के साथ-साथ महंगाई को लेकर चुनाव में जनता के बीच जा रही है. आजतक के पंचायत कार्यक्रम में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के नेताओं ने साफ तौर पर मंहगाई को लेकर बीजेपी को घेरते नजर आए हैं. कांग्रेस चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत लगातार महंगाई के मुद्दे पर पदयात्रा कर रहे हैं और महंगाई को केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता का प्रमाण बताया है. महंगाई से प्रत्येक घर का बजट बिगाड़ गया है. 

कांग्रेस ने भावनात्मक रूप से जुड़े इस मुद्दे को लेकर 2022 के चुनावी मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर रखी है.  कांग्रेस के विधायक काजी निजामुद्दीन ने आजतक के पंचायत कार्यक्रम में कहा कि महंगाई, रोजगार, विकास हमारा चुनावी मुद्दा होगा. वहीं, पहली बार उत्तराखंड चुनाव में किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी भी महंगाई को लेकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी के लिए महंगाई पर बचाव करना मुश्किल हो रहा है. हालांकि, पुष्कर धामी ने जरूर यह कहा है कि उन्होंने डीजल और पेट्रोल पर राहत देने के लिए 12 रुपये कम किए हैं. 

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3. देवस्थानम बोर्ड-चारधाम प्रोजेक्ट
उत्तराखंड में तीर्थ पुरोहित और साधू-संतों की नाराजगी को देखते हुए पुष्कर धामी के अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने भले ही देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम बोर्ड के फैसले को वापस ले लिया हो. हालांकि, चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे पर अभी भी सियासत जारी है. कांग्रेस देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ-पुरोहितों और हक-हकूकधारियों के आंदोलन का लगातार समर्थन कर रही थी. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनके चलते ही सरकार ने अपने फैसले को वापस लिया. 

वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर धामी कहते हैं कि पहले ही हम तय कर चुके थे कि हमें इसे वापस लेना है. हमने सभी तीर्थ-पुरोहित व  साधू-संतों से बात करके वापस ले लिया है. इसके साथ ही बीजेपी चारधाम प्रोजेक्ट को अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है. चारधाम प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीना​थ को लेकर बीजेपी सरकार अड़ी रही. सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद चार धाम प्रोजेक्ट के तहत तीन डबल-लेन हाईवे बनाने का काम चल रहा है. 

4. सैन्य परिवार के इर्द-गिर्द चुनाव
उत्तराखंड में तकरीबन हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में है. प्रदेश के कुल मतदाताओं के लगभग 12 फीसद मतदाता सैन्य परिवारों से हैं. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में सभी दल सैन्य परिवारों को साधने में जुटे हैं और उनसे जुड़े मुद्दों को उठा रही है. कांग्रेस 'शहीद वीर ग्राम प्रणाम यात्रा' के जरिए सैनिक, पूर्व सैनिक और उनके स्वजन को साधने में जुटी है. इसके तहत गांव से लेकर शहर तक कांग्रेस नेता पदयात्रा कर शहीद सैनिक परिवारों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं, साथ ही पूर्व सैनिकों व शहीद सैनिकों के स्वजन को सम्मानित भी किया जा रहा है. 

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वहीं, बीजेपी से लेकर आम आदमी पार्टी तक की सैन्य परिवारों को वोटों पर है. बीजेपी शहीद सम्मान यात्रा के जरिए तमाम शहीद सैनिक परिवारों के घर के आंगन की मिट्टी जुटाने का काम किया था.  आम आदमी पार्टी ने तो अपने मुख्यमंत्री पद का चेहरा ही पूर्व सैनिक अधिकारी अजय कोठियाल को ही बना रखा है. कोठियाल ने आजतक के कार्यक्रम में सैन्य वोटों को साधते दिखे. बीज

5.भ्रष्टाचार व अवैध खनन बना मुद्दा
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार भ्रष्टाचार और खासकर अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा बन रहा है. कांग्रेस इसी मुद्दे पर बीजेपी को घेरने में जुटी है. कांग्रेस नेता हरीश रावत ने आजतक के कार्यक्रम में पुष्कर धामी को बजरी मंत्री का खिताब से नवाजा. उन्होंने कहा कि लोगों के सामने खनन की अवैध कमाई की पूरी सच्चाई जनता को बताएंगे. इतना ही नहीं वो पिछले दिनों नदियों के किनारे पहुंचकर हो रहे अवैध खनन की बात उठायी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार की खनन नीति पर सवाल किए और दस्तावेजों के साथ खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर रखा है. ऐसे में साफ है कि कांग्रेस ने अवैध खनन को राजनीतिक हथियार बनाकर बीजेपी हमलावर हो गई.

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