उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशियों की लिस्ट आ गई. योगी आदित्यनाथ अपने 'घर' से चुनाव लड़ेंगे. घर यानी गोरखपुर. नाथ संप्रदाय के गुरू गोरखनाथ की नगरी. योगी के राम की नगरी 'अयोध्या' और कृष्ण की भूमि 'मथुरा' से चुनाव लड़ने की अटकलें थीं, लेकिन बीजेपी हाईकमान ने उन्हें गोरखपुर शहर सीट से प्रत्याशी बना दिया है.
गोरखपुर शहर सीट को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ माना जाता है. 1967 से अब तक हुए चुनावों में इस सीट पर बीजेपी (पहले भारतीय जनसंघ) कभी नहीं हारी है. पिछले चार चुनावों से (2002, 2007, 2012 और 2017) राधा मोहनदास अग्रवाल विधायक बनते आ रहे हैं, लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया है.
गोरखपुर शहर सीट से चुनाव सीएम योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाकर बीजेपी की कोशिश गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर जीत पक्की करनी है. 2017 के चुनाव में 41 में से 37 सीटों पर बीजेपी जीती थी. गोरखपुर जिले की 9 सीटों में से 8 पर बीजेपी जीती थी. 2017 की जीत को दोहराने की जिम्मेदारी अब योगी आदित्यनाथ के कंधे पर होगी.
राम की नगरी से क्यों चुनाव नहीं लड़ रहे हैं योगी
अपने कार्यकाल के दौरान 42 बार अयोध्या का दौरा करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने अयोध्या से टिकट न देकर गोरखपुर शहर से टिकट दिया है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह अयोध्या में चल रहे निर्माण कार्यों को लेकर लोगों की नाराजगी बताई जा रही है. कहीं जमीन अधिग्रहण को लेकर गुस्सा है तो कहीं दुकान खाली कराए जाने को लेकर.
पिछले दिनों आजतक के मंच पर राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा था, 'जहां तक अयोध्या की बात है तो अयोध्या एक मत में या एक पार्टी के अंतर्गत नहीं है. इसलिए मैं तो मुख्यमंत्री के प्रति समर्पित हूं. ऐसी स्थिति में उन्हें यहां से चुनाव लड़ने पर विचार नहीं करना चाहिए. योगी जी को गोरखपुर में ही किसी स्थान से चुनाव लड़ना चाहिए.'
मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा था, 'योगी जी को गोरखपुर में ही किसी स्थान से चुनाव लड़ना चाहिए. अयोध्या की स्थिति भी अन्य जगहों जैसी है. वो यहां पर कुछ ऐसे काम करेंगे और कर रहे हैं, जिससे बहुत लोगों का नुकसान हो रहा है. इससे बहुत सारे लोग परेशान भी हैं.' मुख्य पुजारी की बात तस्दीक करती है कि योगी के लिए अयोध्या मुफीद नहीं थी.
कृष्ण की भूमि से भी क्यों चुनाव नहीं लड़ रहे हैं योगी
यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पूरे शीर्ष नेतृत्व ने मथुरा का मुद्दा उठाया. बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने यहां तक कह दिया था, 'वैसे तो प्रदेश की हर विधानसभा के मतदाता चाहते हैं कि योगीजी उनके यहां से चुनाव लड़ें, परंतु ब्रजक्षेत्र की जनता की विशेष इच्छा है कि योगीजी मथुरा से चुनाव लड़ें.'
लेकिन हरनाथ सिंह यादव की चिट्ठी धरी की धरी रह गई और योगी आदित्यनाथ की जगह मथुरा से ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को ही प्रत्याशी बना दिया गया है. मथुरा सीट ब्राह्मण बाहुल्य सीट है और यहां से कांग्रेस के प्रदीप माथुर चार बार विधायक रहे हैं. 2017 में प्रदीप माथुर को ही श्रीकांत शर्मा ने हराकर कमल खिलाया था.
योगी के लिए गोरखपुर शहर सीट सबसे मुफीद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अयोध्या या मथुरा दोनों सीटों पर योगी आदित्यनाथ को मेहनत करनी पड़ती, लेकिन गोरखपुर शहर सीट पर ऐसा नहीं है. यह सीट योगी आदित्यनाथ का गढ़ रही है और योगी गोरखपुर लोकसभा सीट से पांच बार सांसद भी रहे हैं. उनके ही करीबी राधा मोहनदास अग्रवाल चार बार से विधायक बन रहे हैं.
गोरखपुर शहर से योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने का असर गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, देवरिया, संतकबीरनगर समेत कई जिलों पर पड़ेगा, जहां 2017 के चुनाव में बीजेपी की आंधी चली थी, लेकिन बीते कुछ महीनों से साईकिल अपनी रफ्तार पकड़ रही है. ऐसे में योगी के चुनाव लड़ने से साईकिल की रफ्तार पर ब्रेक लगाने की कोशिश की जाएगी.
अखिलेश ने योगी पर कसा तंज
हालांकि योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर शहर सीट से चुनाव लड़ने पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उन्हें घर पर ही रहना पड़ेगा. उन्हें घर जाने पर बहुत बहुत बधाई. अखिलेश ने कहा कि योगी भाजपा के सदस्य नहीं हैं, इसलिए उन्हें घर भेज दिया गया है.