उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में 9 जिलों की 59 सीटों पर वोटिंग जारी है. सूबे की राजधानी लखनऊ से लेकर रायबरेली, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत सहित 9 जिलों की 59 सीटों पर 624 उम्मीदवार मैदान में हैं. यूपी के अवध इलाके की चुनावी हवा का रुख सत्ता की दशा और दिशा तय करेगा. 2017 में बीजेपी गठबंधन ने विपक्ष का सफाया कर दिया था. इस चरण में बीजेपी को अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है तो सपा, बसपा और कांग्रेस सेंधमारी के लिए बेताब है. ऐसे में जानें, किस दल का क्या दांव पर लगा है.
चौथे चरण में पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा जिले की कुल 59 सीटें पर चुनाव है. इसमें 16 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. चौथे चरण में सपा 57 सीट पर चुनावी मैदान में है, जबकि 2 सीटों पर ओम प्रकाश राजभर की पार्टी चुनावी मैदान में है. बसपा और कांग्रेस 60-60 सीटों पर चुनावी मैदान में है, जबकि बीजेपी 57 और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था
चौथे चरण की जिन 59 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उसमें 90 फीसदी सीटों पर बीजेपी गठबंधन का कब्जा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 59 सीटों में से 50 सीटें बीजेपी ने जीती थी, जबकि एक सीट उसकी सहयोगी अपना दल (एस) को मिली थी. इस तरह से बीजेपी गठबंधन ने 51 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं, सपा को 4 सीटें मिली थी तो कांग्रेस को 2 और बसपा को 2 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, कांग्रेस से जीते दोनों विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है और बसपा से जीते दो विधायकों में एक बीजेपी में शामिल हो गए हैं.
2012 में साइकिल की दिखी थी रफ्तार
इस चरण की जंग पर सपा व बसपा की भी उम्मीदें टिकी हैं तो इसकी वजह भी है. साल 2017 के चुनाव में 59 सीटों में से गठबंधन सहित 51 पर यदि कमल खिला था तो 2012 में 39 सीटों पर साइकिल की रफ्तार ने सपा की उम्मीदों को पंख लगा दिए था. बसपा को 12 सीटें मिलीं थीं जबकि बीजेपी को सिर्फ चार सीटों से संतोष करना पड़ा था. वहीं, कांग्रेस को 3 सीटें मिली थी. इससे पहले 2007 के चुनाव में बसपा, सपा और कांग्रेस ने ज्यादातर सीटें जीती थी और बीजेपी को महज तीन सीटें ही मिली थी. ऐसे में इस बार चौथे चरण का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.
चार जिले में विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती
यूपी के चुनाव के चौथे चरण 9 जिलों में से चार जिलों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था और विपक्ष को एक भी सीट नहीं मिली थी. पीलीभीत की चार सीटों में से चारों सीटें बीजेपी ने जीती, लखीमपुर खीरी की सभी आठों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. बांदा जिले की कुल 6 सीटें है, जिनमें से चौथे चरण में चार सीटों पर चुनाव हो रहे हैं और ये चारों सीटें बीजेपी के पास है. फतेहपुर में कुल 6 सीटें है, जिनमें से 5 बीजेपी और एक अपना दल (एस) को मिली थी.
अवध क्षेत्र की हरदोई जिले की 8 सीटों में से 7 बीजेपी और एक सपा को मिली थी. सीतापुर जिले में 9 सीट में से 7 बीजेपी एक बसपा और एक सपा को मिली थी. राजधानी लखनऊ जिले में कुल 9 सीटों में से 8 बीजेपी और एक सपा के पास है. ऐसे ही उन्नाव जिले की 6 सीट में से 5 बीजेपी और एक बसपा ने जीती थी. वहीं, गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में कुल 6 सीटें है, जिनमें से 3 बीजेपी, 2 कांग्रेस और एक सपा को मिली थी.
दलबदलू नेताओं का होगा इम्तेहान
दलबदलू नेताओं का भी इस चरण में इम्तेहान होना है. रायबरेली की सदर सीट से अदिति सिंह, हरचंदपुर से राकेश सिंह कांग्रेस से जीती थे, लेकिन इस बार पाला बदल बीजेपी से मैदान में हैं. हरदोई सदर सीट से नितिन अग्रवाल सपा के टिकट पर जीते थे, लेकिन वह बीजेपी से चुनाव में है. इसी तरह उन्नाव की पुरवा सीट से बसपा के टिकट पर विधायक बने अनिल सिंह भी इस जंग में कमल के साथ मैदान में हैं. सिधौली से बसपा विधायक हरगोविंद भार्गव इस बार सपा से लड़ रहे हैं तो सपा विधायक रहे मनीष रावत ने कमल के साथ ताल ठोकी है. इसके अलावा रायबरेली जिले में कांग्रेस ने तीन दलबदलू नेताओं को उतारा है.
मोदी से योगी तक के मंत्रियों की परीक्षा
चौथे चरण के में मोदी से लेकर योगी सरकार के मंत्रियों की परीक्षा होनी है. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के लखनऊ, केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के मोहनलाल गंज, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के लखीमपुर खीरी, केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के सामने अपने संसदीय क्षेत्रों की सीटें बचाने की चुनौती है. वहीं, योगी सरकार के मंत्री बृजेश पाठक, आशुतोष टंडन, धुन्नी सिंह, जयसिंह जैकी जैसे की साख दांव पर लगी है. इसके अलावा बीजेपी और सपा, बसपा के तमाम दिग्गज नेता चुनावी मैदान में उतरे हैं.
चौथे फेज की वह सीटें जहां नहीं खिला कमल
चौथे चरण की जंग में एक और दिलचस्प चुनौती भाजपा के सामने दिख रही है. इस चरण में मोहनलालगंज, रायबरेली सदर, ऊंचाहार, सिधौली, हरदोई और पुरवा ऐसी सीटें है, जिन पर कई दशकों से कमल खिलाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती रही है. देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इन सीटों पर कमल न खिलने के मिथक को तोड़ पाती है या नहीं. हालांकि, बीजेपी ने इन सीटों पर कमल खिलाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है.
लखीमपुर खीरी में बीजेपी की परीक्षा
बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में लखीमपुर खीरी और उसके पड़ोसी जिलों में पीलीभीत, हरदोई, सीतापुर में दमदार प्रदर्शन किया. पीलीभीत में कुल 4 विधानसभा क्षेत्र हैं, यहां 2017 में बीजेपी को सभी सीटों पर जीत मिली थी. हरदोई में 2017 के चुनाव में बीजेपी ने यहां की 8 में 7 विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था. सीतापुर में यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिले की 9 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में साफ है कि बीजेपी को अगर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले से सियासी नुकसान हुआ तो उसके पास खोने के लिए बहुत कुछ होगा.
गांधी परिवार के सामने दुर्ग बचाने की चिंता
कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय सीट रायबरेली जिले में छह में से पांच सीटों पर वोटिंग हो रही है. पिछले चुनाव में इन पांच में से बीजेपी और कांग्रेस ने दो-दो सीटों जीती थी जबकि एक सीट सपा को मिली थी. रायबरेली में कांग्रेस की साख दांव पर लगी है. रायबरेली सदर, हरचंदपुर, ऊंचाहार, सरेनी और बछरावां सीट है. सपा, बसपा, कांग्रेस ने पांचों सीट पर अपने प्रत्याशी उतारा है तो बीजेपी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ रही और एक सीट पर उसके सहयोगी अपना दल (एस) चुनाव लड़ रही. रायबरेली की पांचों सीट पर कांटे का टक्कर है. कांग्रेस ने इस बार अपने गढ़ को बचाने के लिए बीजेपी और सपा से आए नेताओं को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
चौथे चरण की 59 सीटों पर चुनाव
पीलीभीत, बरखेड़ा, पूरनपुर (सुरक्षित), बीसलपुर, पलिया, निघासन, गोला गोकरननाथ, श्रीनगर (सुरक्षित), धौरहरा, लखीमपुर, कस्ता (सुरक्षित), मोहम्मदी, महोली, सीतापुर, हरगांव (सुरक्षित), लहरपुर, बिसवां, सेवता, महमूदाबाद, सिधौली (सुरक्षित), मिश्रिख (सुरक्षित), सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई, गोपामऊ (सुरक्षित), सांडी (सुरक्षित), बिलग्राम-मल्लांवा, बालामऊ (सुरक्षित), संडीला, बांगरमऊ, सफीपुर (सुरक्षित), मोहान (सुरक्षित), उन्नाव, भगवंतनगर, पुरवा, मलिहाबाद (सुरक्षित), बक्शी का तालाब, सरोजनीनगर, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंटोनमेंट, मोहनलालगंज (सुरक्षित), बछरांवा (सुरक्षित), हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी, ऊंचाहार, तिंदवारी, बबेरू, नरैनी (सुरक्षित), बांदा, जहानाबाद, बिंदकी, फतेहपुर, अयाहशाह, हुसैनगंज व खागा (सुरक्षित).