यूपी के गाजीपुर जिले की सात विधानसभा सीटों में से एक है सैदपुर विधानसभा सीट. सैदपुर विधानसभा सीट गाजीपुर जिले की सुरक्षित सीट है. गंगा किनारे बसा ये क्षेत्र कृषि प्रधान है. गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में तहसील है जिसका मुख्यालय सैदपुर है. ये विधानसभा सीट काफी पुरानी है और इसकी सीमा चंदौली, वाराणसी, जौनपर और आजमगढ़ से लगती है.
सैदपुर के 'भीतरी' क्षेत्र में हूणों और स्कंगुप्त के बीच हुए युद्ध की जीत के शिलापट्ट आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. महाभारत कालीन धुवार्जुन का शिव मंदिर और बूढ़े महादेव भी लोगों की आस्था का केंद्र हैं. उद्योग धंधे और रोजगार की आस में बड़ी संख्या में यहां के लोग रोजी रोजगार के सिलसिले में बाहर रहते हैं और आज भी ये पलायन जारी है.
सैदपुर विधानसभा क्षेत्र में ही औड़िहार रेलवे जंक्शन भी है जहां से रेल रूट डायवर्ट होता है. यहां रेल का डेमू शेड भी है जहां रेलवे के डीजल इंजन की रिपेयरिंग भी होती है. सैदपुर विधानसभा क्षेत्र में ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो बड़े नेताओं कलराज मिश्रा और डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय का गांव भी है. दोनों ही नेता केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
सैदपुर विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो साल 2007 के विधानसभा चुनाव तक ये सीट सामान्य थी. 2008 के परिसीमन में ये सीट आरक्षित हो गई. इस सीट के आरक्षित होने के पहले 1996 में बीजेपी के टिकट पर डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय विधायक निर्वाचित हुए थे. 2002 मे्ं इस सीट से कैलाश नाथ सिंह यादव और 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दीनानाथ पांडेय विधायक निर्वाचित हुए थे.
सैदपुर विधानसभा सीट से विधायक रहते हुए ही डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय सूबे की सरकार में मंत्री भी रहे थे. इस विधानसभा सीट के आरक्षित होने के बाद 2012 में पहली दफे विधानसभा चुनाव हुए. 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार सुभाष पासी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के अमेरिका को 41969 वोट के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी.
2017 का जनादेश
सैदपुर विधानसभा सीट के लिए 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विद्यासागर सोनकर को टिकट दिया. बीजेपी के विद्यासागर के सामने सपा से तब के निवर्तमान विधायक सुभाष पासी चुनाव मैदान में थे. बीजेपी की लहर के बावजूद विद्यासागर सोनकर को हार का सामना करना पड़ा. सैदपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से लगातार दूसरी दफे चुनाव जीतकर सपा के सुभाष पासी विधानसभा पहुंचे.
सामाजिक ताना-बाना
सैदपुर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां का वोटिंग पैटर्न जाति पर आधारित रहा है. जातिगत समीकरणों के लिहाज से सैदपुर विधानसभा सीट पर सपा और बसपा का बोलबाला रहा है. यहां अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाता सबसे अधिक हैं. यादव और अन्य पिछड़ी जाति के साथ ही मुस्लिम मतदाता भी इस सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
सैदपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से विधायक सुभाष पासी कारोबारी हैं और इनका कारोबार मुंबई में फैला है. दो बार से विधायक सपा के सुभाष पासी का दावा है कि उनके कार्यकाल में इस विधानसभा क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हुआ है. सुभाष पासी अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. सुभाष के बीजेपी में जाने के बाद सपा के लोग ही अब उनके दावे को हवा-हवाई बता रहे हैं.