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UP Election: पूरब से पश्चिम तक 'दक्षिण'पंथी होते जा रहे उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी धुरंधर!

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. 'जिसे जाना है, वह जाए' वाली बेफिक्री के साथ कांग्रेस खड़ी रही और एक-एक कर हाथ से पुराने रिश्ते फिसलते चले गए. तमाम अटकलों से बेपरवाह पार्टी ने घिसती जा रही पुरानी डोर को टटोलने तक की जरूरत नहीं समझी और आखिरकार एक और प्रमुख नेता के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह भी भारतीय जनता पार्टी के मंच पर जा खड़े हुए.

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आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल
आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे दिग्गज
  • यूपी के तमाम बड़े नेता कांग्रेस का साथ छोड़ रहे
  • कांग्रेस के 4 विधायकों में से 3 बीजेपी में शामिल

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में जिन मजबूत सिपहसालारों के सहारे 2022 की चुनावी जंग जीतने का दाम भर रही थी, वो ताश के पत्ते की तरह बिखर गए हैं. सूबे में चुनावी तपिश के बीच कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता प्रियंका गांधी के 'हाथ' को पकड़कर आगे बढ़ने की बजाय सियासी मझधार में एक-एक कर छोड़ते जा रहे हैं. इसी कड़ी में मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है.

आरपीएन सिंह के बीजेपी में शामिल होने के साथ ही पूर्वांचल में कांग्रेस का एक मजबूत दुर्ग ढह गया है. यह झटका कांग्रेस को ऐसे समय लगा है कि जब प्रियंका गांधी सूबे में कांग्रेस को दोबारा से खड़ा करने के लिए लगातार मेहनत और संघर्ष कर रही हैं. इसके बावजूद कांग्रेस नेताओं को चुनाव में अपनी जीत का विश्वास नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते पार्टी छोड़ने का सिलसिला जा रही है. ऐसे में पूर्वांचल से लेकर पश्चिम यूपी और बुंदेलखंड से रुहेलखंड तक के सभी प्रमुख कांग्रेस चेहरे साथ छोड़ गए हैं. कांग्रेस के दिग्गजों का ठिकाना बीजेपी और सपा बन रही है.

पूर्वांचल में कांग्रेस का कोई चेहरा नहीं बचा

कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद भी पूर्वांचल की कई सीटों पर जीत का परचम फहराती रही है. कुशीनगर के आरपीएन सिंह कांग्रेस के कद्दावर और राहुल गांधी की टीम के अहम सदस्य थे. पूर्वांचल के प्रमुख नेताओं में उन्हें गिना जाता रहा है या यूं कहें कि कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर सहित आसपास के तमाम जिलों में वह कांग्रेस का चेहरा थे. ऐसे ही गांधी परिवार के करीबी ललितेशपति त्रिपाठी भी पूर्वांचल में कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा माने जाते थे और कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के ललितेश पौत्र हैं. 

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प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं में उनको गिना जाता था, लेकिन पिछले दिनों ललितेश कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए तो आरपीएन सिंह अब बीजेपी में एंट्री की है. दोनों दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद पूर्वांचल में कांग्रेस के पास वाराणसी से सांसद रहे राजेश मिश्रा बचे हैं और फैजाबाद से सांसद रहे निर्मल खत्री बचे हैं, लेकिन दोनों ही नेता पार्टी में इन दिनों साइडलाइन चल रहे हैं. ऐसे में वाराणसी के क्षेत्र में अजय राय और कुशीनगर के क्षेत्र में अजय कुमार लल्लू ही पार्टी के पास चेहरा हैं. 

रुहेलखंड में नहीं बचा कांग्रेस के पास चेहरा

उत्तर प्रदेश के तराई बेल्ट और रुहेलखंड में कांग्रेस का जिन्हें चेहरा माना जाता था और प्रियंका गांधी जिनके भरोसे इलाके में जीत का सपना संजो रही थीं, वो तमाम नेता एक-एक कर पार्टी छोड़ गए हैं. यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं और योगी सरकार में मंत्री हैं.

तराई बेल्ट में जितिन प्रसाद कांग्रेस का चेहरा माने जाते थे. राहुल के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद के बटे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री व बदायूं से पूर्व सांसद सलीम शेरवानी को रुहेलखंड में मुस्लिम चेहरा माना जाता है, राजीव गांधी के करीबी नेताओं में गिने जाते थे, लेकिन पिछले साल वह कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गए हैं. 

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कांग्रेस के जिन तीन प्रत्याशियों ने टिकट मिलने के बाद पार्टी छोड़ी है, वो सभी रुहेलखंड से आते हैं. रामपुर से सांसद रही बेगम नूरबानों के पोते और नवाब काजिम अली के बेटे हैदर अली उर्फ हमजा मियां ने कांग्रेस छोड़ अपना दल (एस) की सदस्यता ले ली है. इसी जिले की चमरौया से प्रत्याशी युसूफ अली कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गए. बरेली कैंट से टिकट मिलने के बाद सुप्रिया ऐरन ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया. साथ ही उनके पति और दो दशकों से बरेली में कांग्रेस का झंडा उठाने वाले पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने कांग्रेस छोड़ दी है. प्रवीण ऐरान बरेली से सांसद रहे हैं तो सुप्रिया ऐरान बरेली की महापौर रह चुकी हैं. 

पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के पास नहीं कोई चेहरा

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने पश्चिमी यूपी में मुस्लिम चेहरे के तौर पर इमरान मसूद को बढ़ाया था, पर यूपी चुनावी मझधार के बीच कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है. इमरान मसूद के करीबी विधायक मसूद अख्तर ने सपा की सदस्यता ले ली है और विधायक नरेश सैनी बीजेपी में शामिल हो गए. प्रियंका गांधी को इमरान मसूद से पश्चिमी यूपी में काफी उम्मीदें थी, लेकिन साथ छोड़ने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. मुस्लिम ही नहीं बल्कि जाट नेता भी कांग्रेस छोड़ गए हैं. 

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पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के दिग्गज नेता और जाट समुदाय का चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक और उनके बेटे पूर्व विधायक पंकज मलिक भी कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे. हरेंद्र मलिक और पंकज मलिक के जरिए प्रियंका गांधी पश्चिमी यूपी में जाट और किसानों को साधने में जुटी थी. अलीगढ़ से सांसद रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी विजेन्द्र सिंह और पूर्व मंत्री चौधरी लियाकत भी पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हो गए. ऐसे में पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के पास कोई बड़े कद का नेता नहीं बचा, प्रदीप माथुर एकलौते नेता बचे हैं.  

बुंदेलखंड के तमाम दिग्गज छोड़ गए कांग्रेस

प्रियंका गांधी बुंदेलखंड में जिन कांग्रेस नेताओं के दम पर पार्टी को मजबूत करने के लिए मशक्कत कर रही थीं, उन सभी नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है. पूर्व विधायक व प्रियंका की सलाहकार समिति के सदस्य विनोद चतुर्वेदी, पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी, महोबा के पुराने कांग्रेसी खानदान के मनोज तिवारी भी सपा में शामिल हो गए. कांग्रेस ने इन तीनों ही नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी की थी. ऐसे ही कानपुर देहात में कांग्रेस के मजबूत चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद राजाराम पाल भी पार्टी छोड़कर साइकिल पर सवार हो गए हैं. इस तरह से बुंदेलखंड में कांग्रेस के पास कोई मजबूत नेता नहीं बचा है अब केवल सलमान खुर्शीद ही हैं. 

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अवध में भी कांग्रेस पूरी तरह विरान दिख रही

उत्तर प्रदेश का अवध क्षेत्र में ही सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र रायबरेली आता है, लेकिन रायबरेली ही नहीं बल्कि पूरे अवध के इलाके में कांग्रेस के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं है. अवध के तमाम बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर दूसरे दलों का दामन थाम चुके हैं. रायबरेली जिले की सदर से विधायक अदिति सिंह और हरचंद्रपुर से विधायक राकेश सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं. इतना ही नहीं रायबरेली से एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह पहले ही कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं और वो सोनिया गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में भी बीजेपी के टिकट से उतरे थे.

अमेठी के दिग्गज नेता पूर्व सांसद राजा संजय सिंह और उनकी पत्नी पूर्व मंत्री अमित सिंह भी पार्टी छोड़ चुकी हैं. प्रतापगढ़ सीट से सांसद रही राज कुमारी रत्ना सिंह भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं. रत्ना सिंह राजा दिनेश सिंह की बेटी है. उन्नाव से सांसद रही अन्नू टंडन भी पार्टी छोड़कर सपा का दामन थाम चुकी हैं. रायबरेली में रह रहे ददुआ के भाई पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल, सीतापुर की पूर्व सांसद कैसर जहां, पूर्व विधायक जासमीन अंसारी जैसे नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं. इस तरह से अवध इलाके में प्रमोद तिवारी एकलौते कद्दावर नेता कांग्रेस में बचे हैं. इसके अलावा पीएल पुनिया हैं. ऐसे में अवध के पूरे इलाके में कांग्रेस नेताओं का टोटा पड़ गया है. 

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कांग्रेस छोड़ने वाले यह ऐसे बड़े नाम हैं, जिनका अपना जनाधार है. यह लोग न सिर्फ चुनाव जीतते रहे हैं बल्कि पार्टी को भी जिताते रहे हैं. कांग्रेस में यह खलबली तब है, जबकि प्रदेश प्रभारी के रूप में खुद प्रियंका गांधी ने संगठन की कमान अपने हाथ में थाम रखी है. नए सिरे से संगठन को खड़ा करने के प्रयास में 2019 के बाद से लगी हैं और उन्होंने जिन छत्रपों के दम पर सूबे की सियासी जंग फतह करना चाहती थी, वो सभी चेहरे उनका साथ छोड़ गए हैं. ऐसे में 2022 के चुनावी मझधार से प्रियंका गांधी कैसे कांग्रेस की नैया पार लगाती हैं?

 

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