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बुंदेलखंड: 2017 में जिस इलाके ने बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाया, आज कैसे हैं सियासी हालात

पूर्वांचल के बाद अब पीएम मोदी शुक्रवार को बुदंलेखंड में बीजेपी के लिए सियासी पिच को तैयार करेंगे. 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम के जरिए मोदी झांसी के किले से राष्ट्रवाद को धार देंगे तो महोबा में अर्जुन सहायक प्रोजेक्ट लांच कर विकास का एजेंडा सेट करते नजर आएंगे. 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बुंदेलखंड को पीएम मोदी देंगे विकास की सौगात
  • बसपा का एक दौर में मजबूत गढ़ था बुंदेलखंड
  • 2017 में बीजेपी ने बुंदेलखंड में क्लीन स्वीप किया था

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास योजनाओं के लोकार्पण और शिलांयास कर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं. इस कड़ी में पूर्वांचल के बाद अब पीएम मोदी शुक्रवार को बुदंलेखंड में बीजेपी के लिए सियासी पिच को तैयार करेंगे. 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम के जरिए मोदी झांसी के किले से राष्ट्रवाद को धार देंगे तो महोबा में अर्जुन सहायक प्रोजेक्ट लांच कर विकास का एजेंडा सेट करते नजर आएंगे. 
 
बुंदेलखंड का इलाका एक दौर में बसपा का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन 5 साल पहले बीजेपी ने सपा-बसपा-कांग्रेस का इस पूरे इलाके से सफाया कर दिया था. 2017 में बीजेपी ने बुंदेलखंड में अपनी सियासी जड़े ऐसी मजबूत की सपा और बसपा गठबंधन भी 2019 में उसे नहीं हिला सका. सूबे में बीजेपी की सत्ता की वापसी में बुंदलेखंड की भूमिका काफी अहम रही थी. 

बीजेपी के इस मजबूत गढ़ पर विपक्षी दलों के नजर लगी हुई हैं. इसी मद्देनजर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मिशन-2022 के लिए रथयात्रा के पहले चरण में बुंदेलखंड क्षेत्र का दौरा कर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कवायद की थी. ऐसे ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बुधवार को ही बुंदेलखंड के चित्रकूट में महिला वोटर्स को साधने के लिए उतरी थी. प्रिंयका ने इस दौरान महिलाओं के साथ संवाद करने के साथ-साथ मंदिर में माथा टेकर कांग्रेस के लिए सूखी पड़ी बुंदेलखंड को सियासी उपजाऊ बनाने की कोशिश करती दिखीं. 

वहीं, पीएम मोदी के जरिए बीजेपी बुंदेलखंड में अपनी सियासी जड़ों को मजबूत बनाए रखने का दांव चला है. 32 अरब 64 करोड़ 74 हजार रुपये लागत की परियोजनाओं का लोकार्पण कर पीएम मोदी बुंदेलखंड को विकास की सौंगत देंगे. इसके बाद झांसी में राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व में शामिल होंगे, जहां दुर्ग की तलहटी से देश को राष्ट्र रक्षा का संदेश देते हुए वह भारत डायनामिक्स लिमिटेड के उपक्रम सहित प्रदेश के सबसे बड़े सोलर पावर प्लांट की आधारशिला भी रखेंगे. 

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बुंदेलखंड में कभी सूखा राजनीति का मुद्दा बन जाता है तो कभी पीने का पानी, वाटर ट्रेन और घास की रोटियां. यहां चुनाव जीतने के लिए भले ही जातीय समीकरण फिट किए जा रहे हों, लेकिन जनसभाओं में सभी पार्टियों के नेता इन मुद्दों के जरिए सियासी दांव खेलते दिखे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री महोबा में अर्जुन सहायक परियोजना का लोकार्पण कर बुंदेलखंड के किसानों को पानी की किल्लत से निजात मिल सकती है. अर्जुन सहायक प्रोजेक्ट से महोबा, हमीरपुर और बांदा जिले के किसानों के लिए सौगात मानी जा रही है. 

वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की धरती झांसी से पीएम नरेंद्र मोदी वायु सेना को और भी ताकत देने के लिए दुर्ग की तलहटी से सेनाओं को आठ योजनाएं समर्पित करेंगे. पीएम इंडियन आर्मी को ड्रोन, नेवी को एडवांस इलेक्ट्रानिक वारफेयर सूट और एयरफोर्स को लाइट काम्बेट हेलिकाप्टर (एलसीएच) की सौगात देंगे. एयरफोर्स को 40 लाइट काम्बेट हेलिकाप्टर दिए जाने हैं, जिसका माडल वायु सेना प्रमुख को सौंपा जाएगा. इस दौरान पीएम मोदी झांसी के किले से राष्ट्रवाद के एजेंडे को धार देते नजर आएंगे. 

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में झांसी, ललितपुर, महौबा, जालौन, हमीरपुर और बांदा जिले आते हैं. इन जिलों में कुल 19 विधानसभा सीटें आती हैं, जहां बीजेपी का पूरी तरह के कब्जा है. महोबा के जिस पुलिस लाइन ग्राउंड मैदान पर पीएम मोदी जनसभा करेंगे, 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले 24 अक्टूबर 2016 को परिवर्तन रैली कर चुनावी बिगुल फूंका था. इसी का नतीजा था कि पूरे बुंदेलखंड से विपक्ष का सफाया हो गया था और 19 सीटों पर कमल खिला था. 

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बुंदेलखंड और खास कर महोबा प्रधानमंत्री के लिए कुछ खास स्थान रखता है. इसी साल अगस्त में प्रधानमंत्री ने उज्वला 2.0 का शुभारंभ वर्चुअल तरीके से महोबा की धरती से ही किया था. महोबा जिले में 2019 में भी बीजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी की रैली कराई थी और बुलंदेलखंड की सभी चार लोकसभा सीट पर पार्टी को जीत हासिल हुई थी. ऐसे में एक बार फिर से पार्टी बुंदेलखंड इलाके से जीत दर्ज करके उत्तर प्रदेश की सत्ता को बरकरार रखने की कवायद में है. 

हालांकि एक दौर में बुंदेलखंड बसपा का गढ़ हुआ करता था और मायावती की सोशल इंजीनियरिंग ने यहां खासा असर डाला था. एक तरफ मायावती की टीम के बड़े मुस्लिम चेहरे रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी बांदा से आते थे तो वहीं ओबीसी फेस कहे जाने वाले बाबू सिंह कुशवाहा भी यहीं के थे. यही नहीं पुरुषोत्तम नारायण द्विवेदी जैसे नेताओं को भी बसपा ने यहां से मौका देकर ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की थी. 

बसपा ने मुस्लिम, ओबीसी, दलित और ब्राह्मणों को साधकर बुंदेलखंड में धाक जमाई थी, लेकिन अब इस क्षेत्र में बीजेपी ने अपनी जगह मजबूत कर ली है और बसपा के सभी नेताओं की विदाई से मायावती अकेली पड़ गई हैं. वहीं, यूपी में योगी सरकार के आने के बाद बुदंलेखंड में विकास को रफ्तार मिली है. योगी सरकार ने झांसी से चित्रकूट के क्षेत्र को डिफेंस कॉरिडोर घोषित किया है. 

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बुंदेलखंड के विकास के लिए बीजेपी सरकार ने बोर्ड का गठन भी किया है. इसी मद्देनजर इटावा से चित्रकूट तक बन रहे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के जरिए भी पार्टी ने बड़ी सौगात क्षेत्र को दी है. चित्रकूट एयरपोर्ट से लेकर अन्य तमाम परियोजनाओं के जरिए बीजेपी ने विकास और हिंदुत्व को साथ लेकर चलने का काम किया है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी इन विकास योजनाओं के जरिए अपने दुर्ग को कैसे मजबूत रख पाती है? 

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