उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के पीड़ितों के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भले ही नहीं पहुंच पाए हों, लेकिन उन्होंने बुधवार को शाहजहांपुर जाकर बड़ा संदेश देने का प्लान बनाया है. अखिलेश यादव बंडा के सुनासिर नाथ मंदिर में पूजा करेंगे और नानकपुरी गुरुद्वारा में अमावस्या पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे. इस दौरान बीजेपी के एक एमएलसी को सपा में शामिल भी करा सकते हैं.
अखिलेश का तराई बेल्ट में यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब लखीमपुर खीरी मामले के चलते इस इलाके ही नहीं बल्कि पूरे सूबे की सियासत गरम है. अखिलेश यादव शाहजहांपुर के जिस नानकपुरी गुरुद्वारा जा रहे हैं, वहां से लखीमपुर खीरी घटना स्थल की दूरी महज 50 किमी है .अखिलेश भले ही शाहजहांपुर जा रहे हैं, लेकिन संदेश लखीमपुर खीरी को देना है. इस समय लखीमपुर मामले में हाई अलर्ट है.
अखिलेश गुरुद्वारा में माथा टेकेंगे
शाहजहांपुर जनपद लखीमपुर से सटा हुआ है. घटना को लेकर किसानों में आक्रोश है, जिसे अखिलेश यादव गुरुद्वारा में माथा टेकने के बहाने साधने का दांव चलेंगे. हालांकि, सपा अध्यक्ष को पहले 18 सितंबर को शाहजहांपुर के नानकपुरी गुरुद्वारे पहुंचकर संत सुखदेव सिंह की बरसी में शामिल होना था, लेकिन मौसम खराब होने के चलते कार्यक्रम टल गया था. लखीमपुर खीरी के घटना के सियासी तपिश के बीच अब अखिलेश ने नानकपुरी गुरुद्वारा और शाहजहांपुर जाने का प्लान बनाया है.
नानकपुरी गुरुद्वारा में अखिलेश यादव की सभा आदि का कार्यक्रम नहीं है, लेकिन वह संगत को संबोधित कर सकते हैं. ऐसे में लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर बीजेपी और योगी सरकार पर निशाना भी साध सकते हैं. इतना ही नहीं पूर्व मंत्री स्व. राममूर्ति सिंह वर्मा के आवास पर पहुंचकर पूर्व मंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और सुनासिर नाथ मंदिर में भी जाकर पूजा अर्चना करेंगे. इस तरह सिख वोटरों के साथ-साथ हिंदुत्व मतदाताओं को भी संदेश देंगे.
बीजेपी एमएलसी सपा का दामन थाम सकते हैं
वहीं, अखिलेश यादव शाहजहांपुर के एमएलसी और बीजेपी नेता जयेश प्रसाद को सपा में शामिल करा सकते हैं. जयेश प्रसाद को पंचायत चुनाव के दौरान बीजेपी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था. जितिन प्रसाद के रिश्तेदार जयेश प्रसाद हैं और ब्राह्मण समाज से आते हैं. जयेश प्रसाद ने पिछले दिनों अखिलेश यादव से लखनऊ में जाकर मुलाकात की थी, जिसके बाद से ही उनके सपा में शामिल होने की चर्चाएं चल रही थी.
दरअसल, यूपी के जिस लखीमपुर खीरी क्षेत्र में रविवार (3 अक्टूबर) को बवाल हुआ है, वो तराई के क्षेत्र में आता है. यहां बड़ी आबादी सिख समुदाय की रहती है.आजादी के समय भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान के सिंध और पश्चिम पंजाब से बड़ी संख्या में सिख समाज के लोगों का पलायन हुआ तो यूपी और उत्तराखंड के विरल आबादी वाले तराई इलाके में आकर बसे.
यूपी के तराई बेल्ट की सियासत
यूपी में तराई बेल्ट के पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, लखीमपुर खीरी, रामपुर, सीतापुर और बहराइच से गोंडा तक फैला जबकि उत्तराखंड के तराई इलाकों में जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, किच्छा, गदरपुर, बाजपुर, सितारगंज और नानकमत्ता तक है. यूपी और उत्तराखंड दोनों ही तराई इलाके में सिख समुदाय के लोग पेशे से खेती करने के साथ-साथ यहां सत्ता के खेल को बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं.
यूपी में कहां कितने सिख-पंजाबी
सूबे की चुनावी राजनीति में सिख समुदाय के लोगों का कभी वोट बैंक भी नहीं रहा, लेकिन वक्त के साथ कभी कांग्रेस तो कभी सपा के साथ खड़े नजर आए. मोदी के केंद्रीय राजनीति में कदम रखने के बाद 2014 में बीजेपी के साथ मजबूती से जुड़ गए और तराई के बेल्ट में कमल खिलाने में अहम भूमिका रही है. यूपी की करीब दो दर्जन विधानसभा सीटों पर खासा असर है.
यूपी क पीलीभीत में 30000, बरखेड़ा में 28000, पूरनपुर में 40000, बीसलपुर में 15000 पुवायां में 30000, शाहजहांपुर में 15000, बहेड़ी में 15000, बरेली कैंट में 20000, रामपुर 16000, बिलासपुर में 20000, लखीमपुर खीरी में 23000 सिख समाज के वोटर हैं. इसके अलावा बाकी सीटों पर 5 हजार से 15 हजार के बीच है.
किसानों का गुस्सा तराई बेल्ट में फैला
दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहा किसानों का आंदोलन बीते 10 महीनों से मोदी सरकार और बीजेपी के लिए सिरदर्द बना हुआ है तो पश्चिम यूपी में योगी सरकार के लिए चिंता बढ़ा रहा है. कृषि कानूनों को लेकर किसान अभी तक जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ग़ाजियाबाद से लेकर गौतमबुद्ध नगर, मेरठ से लेकर मुज़फ्फरनगर और मथुरा तक, बाग़पत से अलीगढ़, आगरा और अमरोहा, बिजनौर और सहारनपुर तक प्रभावित करने वाले थे, लेकिन अब सूबे की तराई बेल्ट वाले इलाके में भी किसान अपनी ताकत दिखा सकते हैं.
लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर पश्चिम यूपी के साथ तराई बेल्ट के किसानों के बीच गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया है. यूपी में सपा, बसपा, कांग्रेस और आदमी पार्टी सहित तमाम विपक्षी दलों ने पूरी तरह योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. अखिलेश यादव को लखीमपुर जाने से सोमवार को रोका गया तो लखनऊ में ही सड़क पर धरना पर बैठ गए. इसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. सपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तमाम जगहों पर बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन किया. इतना ही नहीं लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर अब सूबे में गांव-गांव चौपाल भी लगाने जा रही हैं. ऐसे में सपा प्रमुख तराई बेल्ट के इलाके में सिख समुदाय के बीच पहुंचकर बड़ा सियासी संदेश देना चाहते हैं.