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हरदोई जिले की कम से कम 6 सीटें जिस पार्टी ने जीती, उसके हाथ ही लगी सत्ता की चाबी!

Hardoyi District Profile: 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की आठ विधानसभा सीटों में सात पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीते थे. कहा जाता है कि इस जिले से जिस दल ने भी 6 सीट या उससे अधिक सीट जीत ली उसी दल के ही हाथ में उत्तर प्रदेश की सत्ता की चाबी हाथ लगी है.

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Hardoyi District Profile
Hardoyi District Profile

हरदोई जिला भौगोलिक दृष्टि से लखनऊ और कानपुर के मध्य में बसा हुआ है. हरदोई का उत्तर प्रदेश की सियासत में अहम योगदान रहा है. यहां के राजनेता कभी उत्तर प्रदेश की सरकारों को बनाने और गिराने के लिए चर्चा में रहे हैं. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की आठ विधानसभा सीटों में सात पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीते थे.  

एक पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में नितिन अग्रवाल ने जीत हासिल की थी, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बन गए. हरदोई जिले को लेकर यह कहा जाता है कि इस जिले से जिस दल ने भी 6 सीट या उससे अधिक सीट जीत ली उसी दल के ही हाथ में उत्तर प्रदेश की सत्ता की चाबी हाथ लगी है.

सामाजिक- आर्थिक ताना बाना

हरदोई का कुल क्षेत्रफल 5986 वर्ग किलोमीटर है और यह क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े जिलों में तीसरे नंबर पर शुमार किया जाता है. जिले की सीमाएं लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात और उन्नाव सहित आठ जनपदों से मिलती है. 

साल 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की कुल आबादी 4092843 है, जिनमें 2191442 पुरुष और 1914003 महिलाएं हैं. जिले को पांच तहसीलों और उन्नीस ब्लॉकों में बांटा गया है. यहां पर गंगा, राम गंगा, गर्रा, गंभीरी और सई प्रमुख नदियां हैं, जो जिले के किनारे से सीमा बनाती हुई निकलती है. 

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अगर जनपद के आर्थिक पक्ष की बात करें तो अनुसूचित जाति बाहुल्य जिले को देश के गरीब जिलों में शुमार किया जाता है. छोटी-छोटी जोत के किसानों के अलावा यहां पर चावल मिल का व्यवसाय बड़े पैमाने पर होता हैस जो पिछले कुछ समय से मंदा पड़ा हुआ है. शुगर फैक्ट्री के अलावा संडीला स्थित औद्योगिक क्षेत्र में इस बार जहां कुछ बड़े -बड़े उद्योगों की संख्या बढ़ी है, लेकिन उसके बाद भी बेरोजगारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. बेरोजगारी की समस्या के चलते निम्न आय वर्ग के युवाओं द्वारा रोजगार हेतु दिल्ली, पंजाब आदि प्रांतों में जाकर रोजगार किया जाता है. विकास में पिछड़ा होने के कारण समय-समय पर विभिन्न संगठनों द्वारा क्षेत्र के विकास किए जाने की मांग भी की जाती रही है.

राजनीतिक इतिहास

प्राचीन किदवंतियों की मानें तो हरदोई एक प्राचीन नगर है और असुर राह हिरण्यकशयप के नाम से इसे जोड़ा जाता है, हालांकि इस बात के बहुत प्रमाण नहीं मिलते हैं लेकिन बगल में नैमिषारण्य तीर्थ होने के कारण ऐसी जनश्रुति आमतौर पर यहां कहीं जाती हैं. हरदोई जिला अवध प्रांत का एक भाग था, लेकिन रुहेलखंड और अवध प्रांत की राजधानी लखनऊ के बीच स्थित होने के कारण अवध के नवाबों और रुहेलों के बीच आपसी खींचतान का प्रभाव इस जनपद पर निरंतर पड़ता रहा. 

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भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सन् 1957 की क्रांति में भी इस जनपद की रुइया, बेरूआ, संडीला और थमरवा रियासत के जमींदारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. भारत की आजादी के क्रांतिकारी आंदोलन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जयदेव कपूर शिव शर्मा और हरि बहादुर श्रीवास्तव जैसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी इसी जनपद के रहने वाले थे. जिले की पहचान भूलेख कार्यों संबंधी भारत के सबसे बड़े राजा टोडरमल भूलेख एवं सर्वेक्षण संस्थान जो यहां पर स्थित है उसके कारण भी होती हैं. इसके अलावा जिस प्रकार लखनऊ की रेवड़ी आज देश भर में प्रसिद्ध है ठीक उसी प्रकार संडीला के लड्डू भी सभी जगह प्रसिद्धि पा चुके हैं.

सभी सीटों का समीकरण

हरदोई जनपद में 2 लोकसभा क्षेत्रों हरदोई सुरक्षित और मिश्रिख सुरक्षित के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. लोकसभा की दोनों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. मौजूदा परिस्थितियों में 7 विधानसभा पर पिछले चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार जीते थे, जबकि हरदोई सदर की सीट पर समाजवादी पार्टी ने विजय हासिल की थी, जो बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. वर्तमान समय में सभी 8 सीटों पर बीजेपी का ही परचम लहरा रहा है. 

अगर विधानसभा सीटों के समीकरण की बात करें तो यहां की दो सुरक्षित विधानसभा सीटों में बालामऊ और गोपामऊ सीट पर भारतीय जनता पार्टी मजबूत नजर आ रही है, जबकि सांडी सुरक्षित सीट पर उसके लिए कठिनाई के आसार अभी से ही नजर आ रहे हैं. वहीं अगर सामान्य सीटों की बात करें तो हरदोई में समाजवादी पार्टी से बीजेपी में आए नरेश अग्रवाल के जनाधार वाली सीट पर बीजेपी की दावेदारी मजबूत नजर आ रही है, जबकि सवायजपुर, शाहाबाद ,मल्लावां और संडीला विधानसभा सीटों पर इस बार मुकाबले के आसार मजबूत बन रहे हैं. सियासी दलों की बात करें तो मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच में ही सिमटा हुआ है.

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2017 का रिजल्ट

सवायजपुर विधानसभा- इस सीट के 2017 के हुए चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के मध्य हुआ. बसपा ने भी इस सीट पर मुकाबले में आने की भरपूर कोशिश की. मोदी लहर में बीजेपी के माधवेन्द्र प्रताप सिंह रानू को 92601 मत जबकि उनके प्रतिद्वंदी सपा के पदमराग सिंह यादव को 65631 मत मिले जबकि बसपा के फर्रुखाबाद जिले के बाहुबली में शुमार अनुपम दुबे को 59791 मत मिले. इस तरह से माधवेन्द्र प्रताप सिंह रानू लगभग 27 हजार मतों से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे.

शाहाबाद विधानसभा- इस सीट के वर्ष 2017 के हुए विधानसभा चुनावों में बसपा छोड़कर बीजेपी में आईं सवायजपुर की विधायक रजनी तिवारी को यहां चुनाव मैदान में उतारा, जिनका बसपा के आसिफ खा बब्बू से काफी करीबी मुकाबला रहा. बीजेपी की प्रचंड लहर में रजनी तिवारी यहां से जीतने में कामयाब हुईं. भाजपा की रजनी तिवारी को 99624 मत जबकि उनके विरुद्ध बसपा से आसिफ खा उर्फ़ बब्बू को 95364 मत मिले.   

सांडी सुरक्षित - यह सीट कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के हुए गठबंधन में कांग्रेस के खाते में गई थी. भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी के रूप में प्रभाष कुमार को चुनाव मैदान में उतारा, जिन्हें 72244 वोट मिले जबकि उनके मुकाबले कांग्रेस के ओमेंद्र कुमार वर्मा को 51419 मत मिले जबकि तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार वीरेंद्र कुमार वर्मा को 50447 मत प्राप्त हुए. इस बार ओमेंद्र और वीरेंद्र दोनों बीजेपी में शामिल है.

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बिलग्राम मल्लावां विधानसभा- इस सीट के वर्ष 2017 चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में आशीष सिंह आशु ने 83405 मत पाकर समाजवादी पार्टी के सुभाष पाल को हराया था, जिन्हें 75380 मत प्राप्त हुए थे.

गोपामऊ सुरक्षित सीट- वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में श्याम प्रकाश ने 87871 मत पाकर विजय हासिल की जबकि सपा की राजेश्वरी देवी को 56493 मत मिले थे.

हरदोई विधानसभा सीट- साल 2017 के चुनाव में पारम्परिक रूप से नरेश अग्रवाल के परिवार के खाते में जाने वाली इस सीट पर नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल तीसरी बार सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे. उनका मुकाबला मोदी लहर में बीजेपी के राजा बक्श सिंह से हुआ. सपा उम्मीदवार नितिन अग्रवाल को 97735 मत जबकि उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के राजा बक्श सिंह 92626 मत मिले जबकि बसपा के धर्मवीर सिंह पन्ने को 30628 मत मिले. इस तरह से नितिन अग्रवाल करीबी मुकाबले में पांच हजार से अधिक मतों से जीतकर इस पुश्तैनी सीट को बचाने में कामयाब हुए. अब नितिन, राजा बक्श और धर्मवीर सब बीजेपी में हैं.  

संडीला विधानसभा- 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार अग्रवाल उर्फ राजिया को 90362 मत मिले जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अब्दुल मन्नान को 69959 मत प्राप्त हुए. बहुजन समाज पार्टी तीसरे स्थान पर रही और पवन कुमार सिंह को 29132 मतों से संतोष करना पड़ा.

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बालामऊ सुरक्षित विधानसभा- इस सीट से 2017 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रामपाल वर्मा को 74917 मत मिले और उन्होंने जीत हासिल की जबकि दूसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी की नीलू सत्यार्थी रहीं, जिन्हें 52029 मत प्राप्त हुए जबकि समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार और पूर्व मंत्री सुशीला सरोज को 45507 वोट मिले.

जिले की बड़ी राजनीतिक हस्तियां

नरेश अग्रवाल - वर्तमान में नरेश अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी में हैं, जबकि उनके बेटे और हरदोई सदर विधायक नितिन अग्रवाल विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं. नरेश अग्रवाल और नितिन अग्रवाल को राजनीतिक दल बदल का उत्तर प्रदेश में पुरोधा माना जाता है. नरेश अग्रवाल सात बार हरदोई सदर से विधायक, एक बार बसपा और एक बार सपा से राज्यसभा सदस्य रहने के साथ-साथ प्रदेश में ऊर्जा मंत्री, पर्यटन और परिवहन मंत्री भी रहे हैं, जबकि उनके पुत्र सपा सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार के लघु उद्योग विकास मंत्री भी रहे हैं और वर्तमान में विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं. 

डॉ. अशोक बाजपेई- भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य डॉ अशोक बाजपेई एक जमाने में मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में शामिल थे, लेकिन कुछ समय पहले वह समाजवादी पार्टी से किनारा करके बीजेपी में शामिल हो गए थे और बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया. डॉ. अशोक बाजपेई समाजवादी पार्टी सरकार में शिक्षा मंत्री ,खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री , कृषि मंत्री जैसे भारी भरकम महकमे भी संभाल चुके हैं.

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बृजेश पाठक- उत्तर प्रदेश सरकार में कानून मंत्री बृजेश पाठक लखनऊ विधानसभा से चुनाव लड़कर विधायक बने हो लेकिन वह यहां के मल्लावा कस्बे के रहने वाले हैं.

 

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