गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से विधायक रहे और सपा सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के लिए सलाखों से बाहर आने की राह अब बेहद मुश्किल हो गई है. दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद गायत्री पर कानूनी शिकंजा पूरी तरह कस चुका है. अवैध खनन मामले पर गायत्री के विरुद्ध सीबीआई व ईडी की जांच का घेरा भी लगाजार कसता जा रहा है. ऐसे में गायत्री प्रजापित के लिए 2022 के चुनावी मैदान में उतरना मुश्किल हो गया है तो अमेठी में सपा के लिए उनका विकल्प तलाशना भी आसान नहीं है.
अमेठी में गायत्री ने सपा का खाता खोला
अमेठी विधानसभा सीट पर सपा का खाता खोलने वाले गायत्री प्रजापति एकलौते नेता है, जिन्हें 2012 में अखिलेश यादव ने अपनी कैबिनेट में शामिल किया था. हालांकि, गायत्री प्रजापित बहुत जल्द ही विवादों में आए, उनके खनन मंत्रालय से लेकर आय से अधिक संपत्ति का मामले को लेकर सवाल खड़े होने लगे. गायत्री के विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अप्रैल, 2021 को बड़ी कार्रवाई की थी और 36.94 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की थीं. वहीं, एक महिला से गैंगरेप केस में अब गायत्री प्रजापित को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया, जिस पर 12 नंवबर को सजा सुनाई जाएगी. इसके चलते गायत्री का चुनाव लड़ना मुश्किल है.
गायत्री प्रजापित अमेठी में सपा के सबसे बड़े और कद्दावर नेता रहे हैं, जिन्हें 2017 में गैंगरेप का आरोप होने के बाद भी सपा ने प्रत्याशी बनाया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 18 फरवरी, 2017 को गायत्री प्रसाद प्रजापति और अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. हालांकि, गायत्री प्रजापित गिरफ्तारी के बचने के लिए छिपे-छिपे फिर रहे थे, जिसके चलते 2017 के चुनाव में अमेठी सीट पर वो प्रचार नहीं कर सके. इसके बाद भी गायत्री प्रजापति ने बीजेपी के कड़ी टक्कर दी थी.
मोदी लहर में 5 हजार से हारे गायत्री
अमेठी विधानसभा सीट पर 2017 में बीजेपी प्रत्याशी राजा संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह को 64226 को वोट मिले जबकि सपा कैंडिडेट गायत्री प्रजापति को 59161 वोट मिले थे. गरिमा सिंह के प्रति अमेठी में लोगों की सहानुभूति होने और गायत्री प्रजापति के प्रचार से दूर रहने के बाद भी बीजेपी से महज 5 हजार वोटों से ही जीत मिली थी. इसकी सबसे बड़ी वजह अमेठी का सियासी समीकरण और सपा के कोर वोटबैंक यादव का बड़ी तादाद में होना.
2022 के विधानसभा चुनाव में सपा किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है. अखिलेश यादव सूबे में एक-एक सीट को लेकर मंथन में जुटे हैं. गायत्री के कानूनी शिकंजे में फंसने के बाद अमेठी सीट पर सपा कशमकश में फंस गई. ऐसे में सपा के लिए अमेठी सीट पर गायत्री प्रजापित के कद और सियासी समीकरण में फिट होने वाले नेता की तलाश करने की चुनौती खड़ी हो गई है.
अमेठी में सपा किसे देगी टिकट
अमेठी सीट पर आगामी चुनाव में अब सपा के प्रमुख दावेदारों में गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी का नाम है. इसके अलावा शिवप्रताप यादव, हीरालाल यादव, गुंजन सिंह और मनिराम वर्मा भी टिकट की लाइन में है. हालांकि, अमेठी सीट के सियासी और जातीय समीकरण को देखते हुए यादव प्रत्याशी का उतारना सपा के लिए सियासी तौर पर फायदेमंद नहीं दिख रहा है. ऐसे में संभावना है कि गायत्री प्रजापित के विकल्प के तौर पर उनकी पत्नी महाराजी देवी को अखिलेश यादव टिकट थमा सकते हैं.
अमेठी का जातीय समीकरण
बता दें कि अमेठी सीट पर करीब साढ़े तीन लाख मतदाता है जो इस बार 2022 के चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. ऐसे में अमेठी के जातीय समीकरण को देखें तो सबसे ज्यादा 75 हजार के करीब यादव समाज के वोटर हैं. इसके बाद ब्राह्मण 45 हजार, 40 हजार ठाकुर, 45 हजार दलित, 30 हजार कुर्मी, 22 हजार मुस्लिम, 15 हजार मौर्य, 10 हजार प्रजापति, 12 हजार कहार और करीब 10 हजार वैश्य समाज के भी वोट हैं, जिनमें जायसवाल, शाहू जैसी जातियां शामिल हैं.
ऐसे में सपा के यादव, मुस्लिम के साथ दूसरे अन्य जातियों के वोट के साथ जीत आसान हो जाती है. वहीं, कांग्रेस और बीजेपी अपने कोर वोटबैंक साथ दूसरे वोटों को जोड़कर जीत का परचम फहराते रहे हैं. अमेठी में गायत्री प्रजापति इसी समीकरण के तहत जीत दर्ज की थी. दिलचस्प बात यह है कि गायत्री को लेकर प्रदेश भर में भले ही जिस तरह की नाराजगी रही हो, पर अमेठी में उन्हें लेकर ऐसी नाराजगी नहीं है. ऐसे में सपा किस समीकरण को लेकर चुनावी मैदान में उतरी है, ये तो फरवरी में साफ हो पाएगा.
अमेठी के विधायक कौन बने
अमेठी सीट पर 2002 से आकलन करें तो जिसमें एक बार कांग्रेस पार्टी एक बार सपा और दो बार बीजेपी को जीत मिली है. वर्तमान समय में इस सीट से बीजेपी की गरिमा सिंह मौजूदा विधायक हैं, लेकिन अब यह देखने वाली बात होगी कि पार्टी इस बार उन्हें टिकट देती है या फिर संजय सिंह की दूसरी पत्नी अमिता सिंह को उतारती हैं. अमिता सिंह अमेठी से दो बार विधायक रह चुकी हैं. एक बार कांग्रेस से और एक बार बीजेपी से जबकि संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह 2017 में बीजेपी से विधायक चुनी गई. वहीं, गायत्री प्रजापित 2012 में सपा से जीते थे और पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे. ऐसे में अब देखना है कि 2022 के चुनाव में अमेठी की सियासी जंग कौन फतह करता है.