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Exit Poll: एग्जिट पोल और चुनाव नतीजों से पहले गठबंधन-जोड़तोड़ की हलचल, यूपी से पंजाब तक पार्टियां एक्टिव

यूपी चुनाव के सातवें चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद देश के पांच राज्यों के एग्जिट पोल (Exit Poll 2022) पेश किए जाएंगे. चुनाव नतीजे से पहले सियासी हलचलें और जोड़तोड़ की सियासत भी तेज हो गई है. ऐसे में कोई अपने विधायकों के लिए सुरक्षित ठिकाने तलाश रहा है तो कोई सहयोगी दलों की जुगत में है.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • पांच राज्यों के चुनाव नतीजे से पहले एग्जिट पोल
  • पंजाब में कांग्रेस ने AAP की तरफ बढ़ाया हाथ
  • AAP ने यूपी में सपा को समर्थन देने का किया ऐलान

उत्तर प्रदेश में सातवें व आखिरी फेज की 54 सीटों पर आज सोमवार को वोटिंग हो रही है. 7वें  चरण में शाम 5 बजे तक 54.18% मतदान हुआ है. मतदान समाप्त होते ही देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म हो जाएंगे. यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में किसकी सरकार बनने जा रही है इसका सही जवाब तो 10 मार्च को मतगणना के बाद ही मिलेगा.

हालांकि, शाम छह बजे आजतक  एक्सिस माय इंडिया के साथ मिलकर एग्जिट पोल भी पेश करेगा, जिससे नतीजों की तस्वीर जरूर साफ हो जाएगी. ऐसे में पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने से पहले ही सियासी हलचलें और जोड़-तोड़ की सियासत तेज होती दिखाई दे रही है.

आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता से बीजेपी को दूर रखने के लिए सपा को समर्थन देने का ऐलान किया है तो पंजाब में कांग्रेस खेमे की तरफ से आम आदमी पार्टी का सहयोग लेकर सरकार बनाने की आवाज उठी है. इतना ही नहीं, कांग्रेस चुनाव नतीजे से पहले ही अपने उम्मीदवारों को खरीद-फरोख्त से बचाए रखने के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश में जुट गई है. वहीं, बीजेपी खुद के दम पर यूपी से लेकर गोवा, मणिपुर में सरकार बनाने का दावा करने के साथ-साथ दूसरी संभावनाओं पर भी मंथन करने में जुटी है.

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पंजाब कांग्रेस से नाता तोड़कर अपनी पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर चुनाव के बाद की संभावनाओं पर बातचीत किया. वहीं, कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव नतीजे से पहले अपने उम्मीदवारों को राजस्थान में रखने की दिशा में विचार-विमर्श कर रही है. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने रविवार को पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मंथन किया. 

यूपी में सियासी हलचल तेज
उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव हुए हैं, पहले चरण की वोटिंग जहां पश्चिमी यूपी में 10 फरवरी को हुई थी वहीं 7 मार्च को सातवें और अंतिम चरण का मतदान पूर्वांचल के इलाके में हो रहा है. यूपी की सत्ता पर काबिज होने के लिए बीजेपी गठबंधन, सपा गठबंधन, बसपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला हुआ है. बीजेपी के साथ निषाद पार्टी और अपना दल (एस) हैं तो सपा के साथ आरएलडी, महान दल, सुभासपा, अपना दल (के) का गठबंधन है. ऐसे में सभी दल सूबे में सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच सियासी जोड़तोड़ की कवायद भी शुरू हो गई है. 

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने दो दिन पहले बयान दिया है कि भाजपा को यूपी की सत्ता से बाहर रखने के लिए अगर जरूरत हुई तो आम आदमी पार्टी, यूपी की सरकार बनाने में सपा की मदद करेगी. संजय सिंह ने कहा, आप यूपी में पकड़ बना रही है, लोग अब विकास के नाम पर वोट दे रहे हैं. यूपी को कास्ट पॉलिटिक्स से ऊपर उठना होगा. हमारी उपलब्धि यह है कि सारी पार्टियां हमारा मेनिफेस्टो कॉपी कर रही हैं, चाहे वो 300 यूनिट बिजली की बात हो या कुछ और. वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्णबहुमत के साथ यूपी सरकार बनाने का दावा किया है. 

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पंजाब में सियासी जोड़तोड़ शुरू
पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे पर सभी की निगाहें लगी हैं, क्योंकि पहली बार राज्य में चुनाव दो ध्रुवीय होने के बजाय पांच दलों के बीच है. ऐसे में चुनावी नतीजों से लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. इन सबके बीच पंजाब कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर सिंह भट्टल के बयान से राजनीति गर्मा गई है. उन्होंने शनिवार को एक बार फिर दावा किया है कि अगर पंजाब में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए आम आदमी पार्टी से एलायंस (गठबंधन) करने की जरूरत पड़ी तो करेंगे. 

हालांकि, राजिंदर सिंह भट्टल ने इसे अपनी निजी राय बताई थी, लेकिन गठबंधन के लिए आम आदमी पार्टी की ओर हाथ बढ़ाकर उन्होंने पंजाब में सियासी हलचल जरूर बढ़ा दी है. उन्होंने इससे पहले बयान दिया था कि पंजाब में कांग्रेस सरकार बना रही है और यदि कांग्रेस की सरकार नहीं बनती तो आप के सहयोग से कांग्रेस सरकार बना लेंगे. भट्टल के इस बयान के बाद पंजाब में राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं, क्योंकि आप और कांग्रेस इस चुनाव में एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं. वहीं, पंजाब आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब के लोगों ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में अपना जनादेश दिया है. 

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उत्तराखंड में सियासत पर नजर
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे दस मार्च को ईवीएम से निकलेंगे, लेकिन सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ का शोर शुरू हो गया है. राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से अपनी सरकार बनाने की कसरत में जुट गए हैं. इस बीच नेताओं की ओर से बयान आने भी शुरू हो गए हैं तो वहीं निर्दलीयों और छोटे दलों पर सबकी नजरें हैं. बीजेपी के विधायक महेंद्र भट्ट ने दावा किया है कि कांग्रेस के कई जिताऊ प्रत्याशी पार्टी के संपर्क में हैं और जरूरत पड़ने पर इन सभी को बीजेपी में लाया जाएगा. 

वहीं, उत्तराखंड के कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली में डेरा जमा रखा है, जिसे आगामी विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद बनने वाली स्थितियों पर पहले से होमवर्क के तौर पर देखा जा रहा है. साथ ही सूबे में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो ऐसी स्थिति में सपा, उत्तराखंड क्रांति दल और आम आदमी पार्टी समेत निर्दलीयों की अहम भूमिका होगी. बसपा नेता और लक्सर सीट से प्रत्याशी शहजाद ने कहा कि बसपा किसको समर्थन देगी, यह बात बहन मायावती तय करेंगी. ऐसे में साफ है कि उत्तराखंड पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. 

गोवा में क्या होगी जुगाड़बाजी
गोवा पर सभी की नजर लगी हुई है, क्योंकि यह राज्य जोड़तोड़ की सियासत के लिए जाना जाता है. 40 सीटों वाले गोवा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन AAP, टीएमसी, एनसीपी, शिवसेना और एमजीपी ने जिस तरह से चुनाव लड़ा है, वैसे में गोवा के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन तब भी सरकार बीजेपी ने बना ली थी.

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बता दें कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने गोवा में 40 में से 17 सीटें जीती थीं और कांग्रेस का गोवा फॉरवर्ड पार्टी के साथ अनौपचारिक गठबंधन भी था, जिसने 3 सीटें जीतीं. इसके बाद भी बीजेपी 13 सीटें जीतकर सरकार बनाने में कामयाब रही थी. ऐसे में देखना है कि इस बार अगर किसी दल को बहुमत नहीं आता है तो ऐसे में जोड़तोड़ की सियासत तेज हो सकती है, जिसके लिए राजनीतिक हलचल है. 

मणिपुर में क्या होगा इस बार
मणिपुर में पांच साल पहले बीजेपी ने 21 सीटें हासिल की थीं और एनपीपी और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) सहित विभिन्न दलों के साथ गठबंधन सरकार बनाने के बाद पहली बार राज्य में सत्ता में आई थी. इस बार तीनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं और एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़े कर रखे हैं. वहीं, कांग्रेस ने 2017 तक लगातार 15 सालों तक राज्य पर शासन किया, वो चार वाम दलों और जनता दल-सेक्युलर के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी थी. राज्य में दो चरणों में चुनाव हो चुके हैं और नतीजे 10 मार्च को आएंगे. पिछली बार बीजेपी ने कांग्रेस के विधायकों को अपने साथ मिला लिया था और इस बार भी एक दूसरे के विधायकों पर नजर है. ऐसे में देखना है कि मणिपुर में क्या चुनाव नतीजे रहते हैं. 

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