उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का बालामऊ विधानसभा क्षेत्र साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. ये सीट अनुसूचित जाति बाहुल्य सीट है. इस सीट पर अनुसूचित जाति रसूखदार राजनीतिक परिवार का वर्चस्व है. इस सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के रामपाल वर्मा विधायक हैं. रामपाल वर्मा आठ बार के विधायक हैं. वे इस दफे नौवीं जीत की तलाश में हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बालामऊ विधानसभा सीट का गठन बेनीगंज और संडीला विधानसभा क्षेत्र के कुछ हिस्से मिलाकर किया गया था. अनुसूचित जाति बाहुल्य बालामऊ सुरक्षित सीट पर रामपाल वर्मा की मजबूत पकड़ है. रामपाल वर्मा बालामऊ के पहले बेनीगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सात दफे विधायक निर्वाचित हुए थे. बालामऊ सीट से पहले चुनाव यानी 2012 में सामपाल को सपा के अनिल वर्मा ने 147 वोट से हरा दिया था. तब रामपाल वर्मा बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और मायावती के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार में राज्यमंत्री भी थे.
2017 का जनादेश
बालामऊ विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव से पहले रामपाल वर्मा ने बसपा छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे रामपाल वर्मा ने निकटतम प्रत्याशी नीलू सत्यार्थी को 27 हजार से अधिक वोट के अंतर से हरा दिया था. बीजेपी उम्मीदवार रामपाल वर्मा को 79417 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहीं नीलू सत्यार्थी को 52029 वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
बालामऊ विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति-वर्ग के लोग रहते हैं. अनुसूचित जाति जनजाति बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, क्षत्रिय, यादव, वैश्य, कश्यप मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में मुस्लिम वर्ग के मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बालामऊ सुरक्षित विधानसभा सीट से विधायक 61 साल के विधायक रामपाल वर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी किया है. रामपाल वर्मा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत कोथावां ब्लॉक के शाहपुर गांव का ग्राम प्रधान निर्वाचित होकर किया था. प्रधान बनने के बाद वे कोथावां से ब्लॉक प्रमुख भी चुने गए. साल 1980 में रामपाल वर्मा पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे.
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रामपाल वर्मा 1985 में निर्दलीय लड़े और जीते. वे 1989 और 1991 में कांग्रेस, 1996 में सपा, 2004 के उपचुनाव में बसपा से विधायक निर्वाचित हुए. 2007 में बसपा और फिर 2017 में वे बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. रसूखदार दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले रामपाल वर्मा की गिनती सरल स्वभाव के नेताओं में होती है.