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Amroha district politics: अमरोहा की राजनीति में महबूब अली का दबदबा, जानें- कैसे हैं जिले के सियासी हालात

Amroha district politics: अमरोहा जिले में विधानसभा की 4 सीटें हैं. 2017 के चुनाव में तीन सीटों पर बीजेपी जीती थी, जबकि सीट सपा के खाते में गई थी. सपा के टिकट महबूब अली ने जीत दर्ज की थी. महबूबा जिले की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं, जिनका दबदबा वर्षों से यहां कायम है.

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अमरोहा जिले का वासुदेव मंदिर
अमरोहा जिले का वासुदेव मंदिर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमरोहा जिले में विधानसभा की 4 सीटें
  • 2017 के चुनाव में 3 सीटों पर जीती थी बीजेपी
  • एक सीट पर सपा से जीते थे महबूब अली

गंगा किनारे बसे अमरोहा का उत्तर प्रदेश की सियासत में अहम योगदान रहा है. यहां के राजनेता कभी उत्तर प्रदेश की सरकारों को बनाने और गिराने के लिए चर्चा में रहे हैं. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की चार विधानसभा सीटों में तीन पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीते थे और एक पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में महबूब अली ने जीत हासिल की थी.

अमरोहा को आंदोलनकारियों का जिला कहा जाता है और किसानों के ज्यादातर आंदोलन अमरोहा से ही शुरू हुए. यहां से कई पार्टियों का उदय हुआ तो कई चेहरे देश-दुनिया में मशहूर हुए.

जनपद अमरोहा का कुल क्षेत्रफल 2470 वर्ग किलोमीटर है और यह उत्तर प्रदेश के क्षेत्रफल में सबसे छोटे जिलों में  शुमार किया जाता है. जिले की सीमाएं मुरादाबाद, संभल, बुलंदशहर, हापुड़, बिजनौर सहित पांच जनपदों से मिलती हैं. यहां कुल आबादी लगभग 22 लाख है जबकि वोटर 1347726 हैं जिनमें पुरुष 708259 और 639369 महिलाएं हैं.

अमरोहा जनपद में करीब 60 फीसदी हिंदू आबादी है, जबकि 38 फीसदी के आसपास मुस्लिम आबादी है. 

जिले को 4 तहसील और 6 ब्लॉकों में बांटा गया है. यहां पर गंगा , राम गंगा , सोत नदी , बान नदी और पोषक नदियां हैं. मुस्लिम बहुल अमरोहा में छोटे छोटे उद्योगों की भरमार है. छोटी-छोटी जोत के किसानों के अलावा यहां गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती है. ढोलक उद्योग जिले की पहचान है जो पिछले कुछ समय से मंदा पड़ा हुआ है.  शुगर फैक्ट्री के अलावा गजरौला स्थित औद्योगिक क्षेत्र में जहां कुछ बड़े -बड़े उद्योगों की संख्या बढ़ी है लेकिन उसके बाद भी बेरोजगारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. 

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अमरोहा मुरादाबाद जिले का एक भाग था लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के करीब स्थित होने का पूरा फायदा जिले को मिलता रहा है और कारोबार से लेकर रोजगार के सुनहरे मौके मिलते हैं. फिल्मी दुनिया से लेकर क्रिकेट के मैदान तक अमरोहा के लोगों ने अपनी पहचान बनाई. कमाल अमरोही से लेकर क्रिकेटर मोहम्मद शमी तक अमरोहा जिले के रहने वाले हैं. वहीं अमरोहा के कन्या गुरुकुल की लड़कियों ने देश ही नहीं दुनिया भर में निशाने पर तीर मार कर तीरंदाजी में अपना लोहा मनवाया. 

अमरोहा जिले में सीटों का समीकरण

अमरोहा जिले में एक लोकसभा सीट है जो गढ़ विधानसभा को मिलाकर बनती है जिस पर बहुजन समाज पार्टी का कब्जा है. बसपा के कुंवर दानिश अली ने 2019 में ये सीट जीती थी. अमरोहा जिले में 4 विधानसभा सीटें है. 2017 में इनमें से तीन पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी जबकि एक सीट सपा के खाते में गई थी. 

धनोरा सीट- 2017 के चुनाव में यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच हुआ. बसपा ने भी इस सीट पर मुकाबले में आने की भरपूर कोशिश की. बीजेपी के राजीव तरारा को 1,02,943 मत मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी सपा के जगराम सिंह को 64,714 मत मिले जबकि बसपा के संजीव लाल को 51,952 मत मिले.  इस तरह से राजीव तरारा लगभग 38 हजार मतों से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे.

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नौगावां सादात- इस सीट के लिए 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर चेतन चौहान को उम्मीदवार बनाया था. बीजेपी के चेतन चौहान ने यहां कमल खिला दिया. चेतन चौहान योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. चेतन चौहान के निधन से रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव हुए. उपचुनाव में बीजेपी ने चेतन चौहान की पत्नी संगीता चौहान को उम्मीदवार बनाया. बीजेपी की संगीता चौहान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के जावेद आब्दी को 15 हजार से अधिक वोट के अंतर से हरा दिया था.

अमरोहा सीट- परिसीमन के बाद जब से अमरोहा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई है तब से यहां समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता महबूब अली का ही कब्जा रहा है. 2017 के चुनाव में भी महबूब अली ने 74713 वोट पाकर बाजी मारी जबकि बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता नौशाद अली दूसरे नंबर पर रहे . नौशाद ने  लगभग 59671 वोट हासिल किए थे. जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार 45420 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 

हसनपुर सीट- 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में महेंद्र खडगवंशी  ने लगभग 27 हजार मत से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के कमाल अख्तर को हराया था जबकि बहुजन समाज पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी. कमाल अख्तर सपा के एक कद्दावर नेता माने जाते हैं.

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अमरोहा जिले की राजनीतिक हस्तियां

-स्वर्गीय चौधरी चंद्रपाल सिंह चौधरी चरण सिंह की पार्टी में अहम जिम्मेदारियों पर रहे और सांसद और कैबिनेट मंत्री के पद पर रहे. कहा यह भी जाता है कि मुलायम सिंह यादव को पहली बार चौधरी चरण सिंह की पार्टी से टिकट दिलाने वाले कोई और नहीं चौधरी चंद्रपाल सिंह थे. 

-स्वर्गीय मास्टर हरगोविंद सिंह साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले एक नेता थे जो प्राइमरी स्कूल में मास्टर के तौर पर तैनात थे. ब्लॉक चुनाव से शुरुआत कर वो विधायक बने और उसके बाद सांसद बन. जिले के कद्दावर नेताओं में इनका नाम शुमार किया जाता है.

-स्वर्गीय खुर्शीद अंसारी आदर्शवादी नेता के तौर पर पहचान रखते थे. कांठ विधानसभा से विधायक रहे और अब इनके बेटे कांग्रेस में हैं.
- हाजी हयात कुरैशी बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं. वो अपने सेकुलर मिजाज की वजह से चार बार विधायक रहे. कहा जाता है कि उन्हें जाट वोट का हमेशा समर्थन मिला.
-स्वर्गीय चेतन चौहान भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे. अमरोहा से दो बार सांसद और एक बार विधायक रहे और भारतीय जनता पार्टी में खेल मंत्री भी रहे. कोरोना के दौरान उनका निधन हो गया अब उनकी पत्नी राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं.
-महबूब अली एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले नेता हैं. अमरोहा जिले में लगातार पांच बार विधायक बने. कैबिनेट मंत्री भी बने. यहां की राजनीति में आज भी महबूब अली का सिक्का चलता है.
-कमाल अख्तर को मुलायम सिंह के बेहद करीबी नेताओं में शुमार किया जाता है. जामिया यूनिवर्सिटी से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करने वाले कमाल अख्तर अमरोहा से सांसद और विधायक के पद पर रहते हुए कैबिनेट मिनिस्टर भी रहे.
-डॉक्टर हरिसिंह ढिल्लों डॉक्टरी छोड़कर राजनीति में आए. जिला पंचायत सदस्य से राजनीति की आगाज करने वाले हरिसिंह को बीजेपी ने एमएलसी बनाया.
-राजीव तरारा जिले के एक राजनीतिक परिवार से आते हैं. इनकी पहचान जमीनी नेताओं में होती है. राजीव तरारा के पिता भी अमरोहा की गंगेश्वरी विधानसभा से विधायक रहे.

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