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बड़े मियां बने छोटे मियां! तमिलनाडु में कैसे नंबर 2 और 3 की पार्टी बनीं कांग्रेस-भाजपा?

तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति ने काफी करवट बदल ली है. अब जब चुनावी तारीख नज़दीक है, तब गठबंधन की सीटों का बंटवारा हो गया है और हर बार की तरह इस बार भी राष्ट्रीय पार्टियां तमिलनाडु में नंबर 2 या नंबर 3 की पार्टी ही बनकर उभरी हैं.

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भाजपा और कांग्रेस को मिली हैं कम सीटें (फोटो: PTI)
भाजपा और कांग्रेस को मिली हैं कम सीटें (फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तमिलनाडु चुनाव के लिए दिलचस्प हुई जंग
  • एनडीए और यूपीए में सीटों का बंटवारा

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहा है और हर किसी की नज़र पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस की टक्कर पर टिकी है. लेकिन इससे इतर दक्षिण के राज्यों में भी कांटे का मुकाबला चल रहा है. तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति ने काफी करवट बदल ली है. अब जब चुनावी तारीख नज़दीक है, तब गठबंधन की सीटों का बंटवारा हो गया है और हर बार की तरह इस बार भी राष्ट्रीय पार्टियां तमिलनाडु में नंबर 2 या नंबर 3 की पार्टी ही बनकर उभरी हैं.

डीएमके और कांग्रेस में क्या हुआ बंटवारा?
तमिलनाडु की सत्ता में वापसी की राह देख रही डीएमके इस बार भी कांग्रेस के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस और डीएमके के बीच लंबे वक्त से सीटों को लेकर तनातनी चल रही थी. क्योंकि डीएमके कम से कम इतनी सीटों पर लड़ना चाहती थी ताकि वो अकेले दम पर बहुमत ला सके.

अब डीएमके और कांग्रेस के बीच जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार कांग्रेस को तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में लड़ने के लिए कुल 25 विधानसभा सीटें मिलेंगी. इसके अलावा कन्याकुमारी में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव के लिए भी कांग्रेस को मौका मिलेगा. 

कांग्रेस पार्टी ने डीएमके से राज्यसभा सीट की भी मांग की थी, हालांकि अभी तक इसपर मुहर नहीं लगी है. लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यसभा सीट भी कांग्रेस को मिल जाएगी. कांग्रेस पार्टी की ओर से पहले 40 सीटों की मांग रखी गई थी, लेकिन डीएमके 20 से अधिक सीटें नहीं देना चाहती थी. लेकिन अब जाकर बात 25 विधानसभा सीटों पर बन गई, लेकिन लोकसभा-राज्यसभा सीट भी कांग्रेस को मिल ही गई. डीएमके की ओर से इनके अलावा लेफ्ट पार्टियों, वाइको समेत अन्य कुछ दलों को भी कुछ सीटें दी गई हैं. 

एक रैली के दौरान स्टालिन (फोटो: PTI)


AIADMK संग बीजेपी का होगा बेड़ा पार?
सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही AIADMK को इस बार बीजेपी का साथ मिला है. बीजेपी लंबे वक्त से तमिलनाडु की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन सफल नहीं हो पाई है. यही कारण है कि AIADMK के साथ छोटे दल के रूप में बीजेपी अब सत्ता में बने रहने की जुगत में है.

AIADMK की ओर से भारतीय जनता पार्टी को कुल 20 सीटें दी गई हैं, जबकि गठबंधन में शामिल PMK को कुल 23 सीटें मिल पाई हैं. साफ है कि बीजेपी भले ही राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदा वक्त में सबसे बड़ी पार्टी हो लेकिन तमिलनाडु में गठबंधन की नंबर तीन की पार्टी बनी है. गठबंधन में अन्य पार्टियां भी हैं, जिन्हें कुछ सीटें मिलेंगी लेकिन सबसे बड़ी पार्टी AIADMK ही रहेगी.

बता दें कि बीजेपी ने चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले ही कह दिया था कि वो AIADMK के साथ चुनाव लड़ने जा रही है. ऐसे में बीजेपी की ओर से गठबंधन में तीसरे नंबर की पार्टी होना स्वीकार किया गया है. खास बात ये है कि इस बार AIADMK के पास जयललिता जैसा चेहरा नहीं है, ऐसे में पीएम मोदी के नाम और चेहरे के नाम पर कुछ समर्थन हासिल करने की कोशिश है. 

बड़े मियां बन गए छोटे मियां!
गौरतलब है कि कांग्रेस और भाजपा यूं तो राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां हैं, लेकिन तमिलनाडु में क्षत्रपों का ही जलवा चलता है. यही कारण है कि विजय गठबंधन का हिस्सा बनकर राष्ट्रीय पार्टियां सरकार का हिस्सा बनना चाहती हैं और अपने दल की पकड़ को मजबूत करना चाहती हैं. कांग्रेस के लिए तमिलनाडु इसलिए अहम है क्योंकि लोकसभा चुनाव में भी डीएमके की मदद से वह सिर्फ इसी राज्य में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाई थी.

वहीं, बीजेपी की बात करें तो वह लंबे वक्त से इस इलाके में पकड़ बनाना चाहती है. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है. AIADMK में जयललिता के जाने के बाद काफी बवाल हुआ, लेकिन बीजेपी की ओर से AIADMK को मदद पहुंचाई गई और साथ रहने की कोशिश की गई. अब चुनाव से पहले जब शशिकला ने भी राजनीति में ना आने की बात कही है और जयललिता की लेगेसी को ही आगे बढ़ाने की बात कही है तो बीजेपी-AIADMK के लिए राह कुछ आसान हो सकती है.  

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