बीजेपी के 'भीष्म पितामह' लाल कृष्ण आडवाणी के लिए गुजरात अब सेफ नहीं माना जा रहा है. दरअसल, पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की खिलाफत करना उनके लिए महंगा पड़ गया है. एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक आडवाणी का गुजरात से लड़ना अब अनिश्चत दिखाई दे रहा है.
गौरतलब है कि आडवाणी पिछली बार गांधीनगर से चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार वे फिर यहां से लड़ेंगे या नहीं, यह कहना मुश्किल है. समझा जाता है कि वह खुद यहां से चुनाव लड़ने को इच्छुक हैं, लेकिन समस्या है कि मोदी के समर्थक उनके खिलाफ हैं. ऐसे में गांधीनगर सीट अब पहले जैसी सुरक्षित नहीं रही.
दरअसल, आडवाणी और मोदी दोनों नेताओं में काफी समय से पटरी नहीं बैठ रही है और उसके कई कारण हैं. पहला कराण तो यह है कि 2008 में गांधीनगर में बड़ी संख्या में अवैध मंदिरों को ढहा दिया गया था जिसके लिए आडवाणी खेमे ने मोदी को दोषी माना था. उसके बाद से दोनों के संबंधों में खटास आ गई.
दूसरा मामला वर्तमान चुनाव का है जिसमें आडवाणी फिर एक बार बीजेपी के पीएम कैंडिडेट बनना चाहते थे. मोदी का नाम आने के बाद उन्होंने इस ओर अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी. माना जाता है कि इससे भी मोदी के गुजराती समर्थक नाराज हैं.
बताया जाता है कि पार्टी के अंदरूनी सर्वेक्षण से भी यह बात पता चली है कि आडवाणी के वहां से लड़ने पर हार का खतरा हो सकता है. इसके बाद से पार्टी उनके लिए सुरक्षित सीट की तलाश कर रही है. समझा जाता है कि मध्य प्रदेश की भोपाल सीट से उन्हें टिकट दिया जा सकता है.
मध्य प्रदेश में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है और वहां से उनके जीतने की संभावना बेहतर है. मध्य प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी ने आडवाणी को भोपाल से लड़ने का निमंत्रण भी दिया है. जोशी भोपाल से एमपी हैं और इस बार चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, वहीं आजवाणी के मन में कसक है और वह गांधीनगर को छोड़ना नहीं चाहते.