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राजस्थान की 64 सीटों पर हर बार बदलता है हार-जीत का गणित, रणनीति बनाने में जुटी बीजेपी-कांग्रेस

राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में 64 सीट ऐसी हैं, जिन पर हर बार जीत हार का गणित बदलता है. ऐसे में भाजपा हो या कांग्रेस इन सीटों के लिए अलग रणनीति बना रही है. तो कांग्रेस के लिए प्रदेश की 100 सीट चुनौती बन रही है. भाजपा ने 64 सीटों के लिए अलग से प्लान तैयार किया है. प्रत्याशी उतारने से लेकर जीत दर्ज करने के लिए बाहरी विधायकों को लगाया गया है.

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कांग्रेस और बीजेपी तैयारियों में जुटी हैं
कांग्रेस और बीजेपी तैयारियों में जुटी हैं

राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक-एक सीट को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता मंथन कर रहे हैं. केवल जिताऊ उम्मीदवार उतारने के साथ ही जातीय समीकरण भी देखे जा रहे हैं. इन सबके बीच प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में 64 सीट ऐसी हैं, जिन पर हर बार जीत हार का गणित बदलता है. ऐसे में भाजपा हो या कांग्रेस इन सीटों के लिए अलग रणनीति बना रही है. तो कांग्रेस के लिए प्रदेश की 100 सीट चुनौती बन रही है.

भाजपा ने 64 सीटों के लिए अलग से प्लान तैयार किया है. प्रत्याशी उतारने से लेकर जीत दर्ज करने के लिए बाहरी विधायकों को लगाया गया है. विधायकों को अलग-अलग काम की जिम्मेदारी की दी गई है. विधानसभा सीट पर वार्ड मंडल और बूथ कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी तय की जा रही है. प्रत्येक मतदाता तक पकड़ बनाने के लिए विधायकों ने उसे क्षेत्र में डेरा डाल लिया है. जिन सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है, वहां मंडल अध्यक्ष और उनकी टीमों ने काम शुरू कर दिया है. 

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में 61 सीटों से सत्ता का रास्ता साफ हुआ था. जबकि तीन सीट पर भाजपा को हार मिली. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और वर्ष 2008 में भी कुछ ऐसा ही हुआ. इन सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली तो कांग्रेस की सरकार बनी. इनमें से ए, बी, सी, डी कैटेगरी की सीट शामिल है. 

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100 सीट कांग्रेस के लिए चुनौती

कांग्रेस ने अभी तक 76 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. इन सीटों पर कोई विरोध नहीं है. पार्टी की स्थिति मजबूत मानी जा रही है. तो अब पार्टी के सामने 100 ऐसी सीट हैं. जिन पर दो गुट आमने-सामने हैं. इसमें प्रदेश के झालावाड़, कोटा, पाली, उदयपुर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, अलवर जिले की सीट शामिल है. इन सीटों पर भाजपा का दबदबा रहा है. ऐसे में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है. इन सीटों में गहलोत के दो करीबी मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी में शामिल है. साथ ही 7 अन्य मंत्रियों के टिकट भी इन सीटों से जुड़े हुए हैं.

जमकर हो रहा है विरोध

भाजपा की दो लिस्ट में नाम कटने से नाराज विधायक लगातार विरोध कर रहे हैं. वहीं पार्टी डैमेज कंट्रोल में लगी है. इसलिए पार्टी की तीसरी सूची भी अटक गई है. सूत्रों की मानें तो 28 अक्टूबर से पहले तीसरी सूची जारी होने की संभावना जताई गई है. भाजपा ने 124 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. पहली दूसरी सूची में स्थानीय नेताओं ने विरोध किया. जमकर हंगामा में हुए टिकट कटने से नाराज विधायक व नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है. उदयपुर बूंदी सांगानेर जैतारण चाकसू तिजारा अलवर थानागाजी ऐसी सीट हैं. जहां खुलकर विरोध सामने आ रहा है.

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डैमेज कंट्रोल में जुटे नेता

भाजपा में लगातार हो रहे विरोध को देखते हुए पार्टी नेता आप डैमेज कंट्रोल में जुड़ चुके हैं. जयपुर बूंदी बीकानेर राजसमंद अलवर चित्तौड़ उदयपुर सहित विभिन्न जगहों पर जमकर विरोध देखने को मिल रहा है. ऐसे में प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित अलग-अलग नेताओं को डैमेज कंट्रोल करने की जिम्मेदारी दी गई है.

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