पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) चुनावी मोड में आ गई है, लेकिन पार्टी के पास सबसे बड़ी चिंता मुख्यमंत्री का चेहरा और जीत दिलाने वाले कैंडिडेट का न मिलना है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल इस साल जून से लेकर अब तक एक दर्जन से अधिक दौरे कर चुके हैं, दौरे वाली जगहों में ज्यादातर माझा और दोआब की सीटें हैं. गुरुवार को वे बादल के गढ़ में थे. उन्होंने दलितों से अपील की और कहा कि सीएम चन्नी आपके समुदाय के सदस्य हो सकते हैं लेकिन मैं आपका भाई हूं और आपके लिए काम करूंगा.
आप के लिए मुश्किलें कम नहीं
राज्य में विधानसभा चुनाव अब दूर नहीं हैं. आम आदमी पार्टी अपने नेताओं को एकजुट रखने में विफल रही है. पार्टी के 20 में से 11 विधायक ही बचे हैं जबकि पार्टी के पास अभी भी सीएम का चेहरा नहीं है. पार्टी ने संगरूर से आप के सांसद भगवंत मान को भी सीएम फेस के लिए नहीं चुना है, हालांकि 77 साल के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल का नाम सामने जरूर आ रहा है लेकिन न तो पार्टी ने और न ही किसान नेता ने इसकी पुष्टि की है.
पांच साल पहले जब पार्टी ने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब मात्र 20 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही, जो अब 77 सीटों वाली कांग्रेस के बाद दूसरे स्थान पर है. किसी भी पार्टी के लिए मालवा, माझा और दोआबा में सीटों के क्षेत्रीय बंटवारे को समझना जरूरी है. मालवा में 69, माझा 25 और दोआबा 23 सीटें हैं. यहां पिछले चुनाव में पार्टी को मालवा में 18, दोआबा में 2 सीटें मिली जबकि माझा में एक भी नहीं. वहीं, कांग्रेस को मालवा की 69 में से 40, माझा की 25 में से 22 और दोआबा की 23 में से 15 सीटों पर जीत मिली.
2017 के विधानसभा चुनाव में 23.72 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली आप का वोट शेयर 2019 में 7.46 प्रतिशत तक गिर गया था. चार सांसदों में से केवल भगवंत मान पार्टी के साथ बने हुए हैं. सुखपाल खैरा और आप के तीन बागी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे जबकि सांसद सुच्चा सिंह छोटेपुर पिछले हफ्ते शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुए हैं.
केजरीवाल के मुफ्त वाले योजना पर केंद्रीय मंत्री का पलटवार
पंजाब चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल मतदाताओं के लिए नई घोषणाएं लेकर आ रहे हैं. केजरीवाल पंजाब में दिल्ली मॉडल को इस उम्मीद से पेश कर रहे हैं कि इससे उनकी जीत में मदद मिलेगी. वे अपनी रैलियों के जरिए सब्सिडी-नौकरी, मुफ्त बिजली और पानी की बात कर दलितों और मिडिल क्लास के लोगों को साध रहे हैं. इनके अलावा वे विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की भी बात करते दिख रहे हैं. केजरीवाल जातिगत समीकरणों को भी साधने की कोशिश कर रहे हैं.
इस पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हम अपनी राजनीति करते हैं और जब हम सरकार चलाते हैं तो हम साम, दाम, दंड और भेद किसी भी तरह से की राजनीति नहीं करते. मुफ्त की राजनीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का पैसा आपका पैसा नहीं है? आम आदमी इनकम टैक्स और जीएसटी के रूप में टैक्स का भुगतान करता है। हम विकास के लिए धन के उपयोग को प्राथमिकता देते हैं. उन्होंने कहा कि आप दिल्ली को देखें, तो केजरीवाल सरकार की कोई परियोजना नहीं है, जो भी किया जा रहा है वह एनडीएमसी या फिर राजमार्गों में किया जा रहा है, जो केंद्र की सरकार कर रही है.
गुल पनाग ने भी केजरीवाल को घेरा
आप की उम्मीदवार रह चुकीं अभिनेत्री गुल पनाग ने इंडिया टुडे को बताया कि किसी भी पार्टी ने कृषि संकट के समाधान के बारे में बात नहीं की है. जबकि हाल ही में देश ने किसानों का बड़ा आंदोलन देखा है. गुल पनाग जब आप पार्टी में थीं तब वे संयुक्त किसान मोर्चा के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं थीं. हाल ही में जुजधा पंजाब ज्वाइन किया है. उन्होंने कहा कि पंजाब चुनाव पर ध्यान केंद्रीत है. उन्होंने माना कि दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा में शानदार काम किया है, लेकिन किसानों के मुद्दे पर कोई काम नहीं किया है.
कब-कब कहां-कहां आए केजरीवाल