पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के बाद कांग्रेस मंत्रिमंडल के गठन में जुट गई है. कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में शामिल रहे कई मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है तो नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की कैबिनेट में कई युवा चेहरों को शामिल किया जा सकता है. चार महीने के बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे देखते हुए कांग्रेस ने दलित सीएम देने के बाद अब मंत्रिमंडल के जरिए क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने की कवायद करेगी.
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. चन्नी के साथ सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली, जिन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया है. अब कैबिनेट गठन की कवायद में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी जुट गए हैं. ऐसे में नए मंत्रिमंडल को लेकर सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और दोनों डिप्टी सीएम चार्टेड प्लेन से दिल्ली आ रहे हैं, जहां हरीश रावत और कांग्रेस के दूसरे नेताओं के साथ वो मंथन करेंगे.
सोनिया गांधी और राहुल से होगी बात
कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चा करने के बाद फाइनल फैसले के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी से वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात होगी, क्योंकि दोनों ही नेता शिमला में हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही नए मंत्रिमंडल का गठन कर लिया जाएगा. वहीं, कांग्रेस में यह मांग भी उठ रही है कि 75 प्लस उम्र वाले किसी भी नेता को कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाएगा.
उम्र का रखा जाएगा ध्यान
फिरोजपुर से कांग्रेस विधायक परमिंदर सिंह पिंकी ने सोनिया गांधी को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने कैबिनेट में 75 पार उम्र वाले नेताओं को शामिल नहीं किए जाने मांग की है. 75 प्लस में कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके करीबी सात बार के विधायक ब्रह्म महिंद्रा आते हैं. चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने एंटी-इनकंबेंसी को खत्म करने के लिए जिस तरह से पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन किया है, उसी लिहाज से मंत्रिमंडल का गठन करने की रणनीति है.
कैप्टन के साथी भी कुर्सी बचाने में जुटे
कैप्टन अमरिंदर सिंह धड़े से ताल्लुक रखने वाले मंत्री भी अपनी कुर्सी बचाने में जुट गए हैं. इनमें विजय इंदर सिंगला, ब्रह्म महिंद्रा, दो पूर्व महिला मंत्री रजिया सुल्ताना और अरुणा चौधरी के नाम खास हैं. सूत्रों के मुताबिक विजय इंदर सिंगला और रजिया सुल्ताना की कुर्सी बच सकती है. पूर्व मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा शिवपुर घड़े से ताल्लुक रखते हैं इसलिए उनकी कुर्सी को कोई खतरा नहीं जबकि रजिया सुल्ताना के पति और पूर्व आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ खुलकर मुखर हैं.
दलित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले विधायक चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया जा चुका है इसलिए अन्य दलित विधायक अरुणा चौधरी और राजकुमार वेरका आदि कैबिनेट में शामिल होने वाले विधायकों के नाम पर मुहर लगने के बाद असली रस्साकशी विभागों को लेकर होगी.
इनकी छुट्टी होना तय!
सूत्रों की मानें तो कैप्टन अमरिंदर सरकार में मंत्रिमंडल में शामिल रहे साधू सिंह धर्मसोत, सुंदर शाम अरोड़ा, राणा गुरमीत सिंह की छुट्टी तय मानी जा रही है. इसके अलावा कांग्रेस में सबसे वरिष्ठ व सात बार विधायक और स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा डिप्टी उपमुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज माने जा रहें, उनके भी नई कैबिनेट में आने की संभावना नहीं है.
मोहिंद्रा पार्टी में सबसे वरिष्ठ विधायक हैं और अब वह अपने जूनियर विधायकों के साथ एडजस्ट नहीं चाहते हैं. इसके अलावा उन नेताओं की भी कैबिनेट से छुट्टी होनी है, जिनकी परफॉर्मेंस साढ़े चार साल में बेहतर नहीं रही. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की नई कैबिनेट में युवा चेहरों को मौका दिए जाने की ज्यादा संभावना है. इसके अलावा पुराने कई मंत्रियों का सियासी कद बढ़ाने की संभावना है.
सिद्धू के करीबियों की होगी एंट्री!
नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी माने जाने वाले गिद्दड़बाहा के विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडिंग व गुरकीरत कोटली की एंट्री तय मानी जा रही है. ये दोनों ही विधायक शुरू से नवजोत सिंह सिद्धू के साथ चल रहे थे. इसके अलावा अमृतसर से दलित चेहरा राजकुमार वेरका के भी मंत्री बनने की संभावना है.
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इलाके से मदन लाल जलालपुर की भी कैबिनेट में एंट्री हो सकती है. वो लंबे समय से कैप्टन की मुखालफत कर रहे थे और नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर सबसे पहले उन्हें बधाई देने के लिए पहुंचे थे.
वहीं, मनप्रीत बादल, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, गुरप्रीत कांगड़, बलबीर सिद्धू, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु को नई कैबिनेट में भी मौका मिलने की संभावना है. नई कैबिनेट में अरुणा चौधरी और रजिया सुल्ताना का कद बढ़ना भी तय माना जा रहा है. अरुणा चौधरी न सिर्फ चन्नी की रिश्तेदार हैं, बल्कि वह दलित कोटे से दावेदार मानी जा रही हैं.
वहीं, पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष संगत सिंह गिलजियां कांग्रेस हाईकमान से नाराज चल रहे हैं, क्योंकि उपमुख्यमंत्री तय करते वक्त पिछड़ा वर्ग के नेताओं को नजरअंदाज किया गया है. कैबिनेट विस्तार में अब इस समुदाय से भी एक मंत्री बनाया जा सकता है. साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू , चरणजीत सिंह चन्नी और सुखजिंदर सिंह रंधावा अपने-अपने विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं.