उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर मुहर लग चुकी है. दोनों दलों ने सीट बंटवारा भी कर लिया है, जिसके तहत कांग्रेस 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. सपा ने कांग्रेस के के लिए पूर्वांचल और अवध क्षेत्र की 11, बुंदेलखंड की 1 और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 5 सीटें छोड़ी हैं. इनमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलदंशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया सीटें शामिल हैं.
सूत्रों के मुताबिक वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस एक बार फिर अजय राय को उतार सकती है. वाराणसी लोकसभा सीट से अपनी संभावित उम्मीदवारी को लेकर अजय राय ने आज तक से विशेष बातचीत में प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने पीएम के खिलाफ चुनावी ताल ठोकते हुए कहा, 'काशी में इस बार मोदी को जमीन दिखा देंगे'. बता दें कि अजय राय वर्तमान में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भी हैं. सपा द्वारा गाजीपुर से मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को टिकट दिए जाने के बारे में यूपी कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'निश्चित तौर पर सपा ने उन्हें टिकट दिया है और वह सपा के सिंबल पर लड़ रहे हैं'.
अमेठी और रायबरेली सीट से कांग्रेस की ओर से कौन चुनाव लड़ेगा? इस सवाल के जवाब में अजय राय ने कहा, 'दोनों गांधी परिवार की पारंपरिक सीटें रहीं हैं और गांधी परिवार की रहेंगी'. बता दें कि अजय राय पांच बार के विधायक रहे हैं. वह 1996, 2002 और 2007 में वाराणसी की कोलासला विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रहे हैं. अजय राय ने 2007 में भाजपा छोड़ने के बाद 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कोलासला में उपचुनाव जीता और चौथी बार विधायक बने. फिर 2012 में उन्होंने वाराणसी की पिंडरा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर पांचवीं बार विधायक बने.
उसके बाद से उन्होंने विधानसभा और लोकसभा के जितने भी चुनाव लड़े, सबमें हार का सामना किया. अजय राय 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार थे. उन्हें 2014 में सिर्फ 75,614 वोट मिले और वह 5,05,408 लाख वोटों के अंतर से चुनाव हार गए. 2019 में उन्हें 152,548 लाख वोट मिले और उनका मत प्रतिशत बढ़ा, लेकिन हार का अंतर भी बढ़ा. इस बार वह 5,22,116 लाख वोटों के अंतर से चुनाव हारे. वह 2017 और 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में पिंडरा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे. दोनों ही मौकों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
अजय राय का जन्म वाराणसी में पार्वती देवी राय और सुरेंद्र राय के घर एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था जो गाजीपुर जिले के मूल निवासी थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र ईकाई एबीवीपी से की थी. वह सपा में भी रहे और 2012 से कांग्रेस के साथ हैं. वह खुद भूमिहार समुदाय से आते हैं. वाराणसी की पिंडरा (कोलासला सीट के विलय के बाद) विधानसभा सीट पर भूमिहार समुदाय निर्णायक भूमिका में है. अजय राय के खिलाफ आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं. वर्ष 1994 में कथित तौर पर मुख्तार अंसारी और उनके लोगों ने लहुराबीर इलाके में उनके बड़े भाई अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी थी. तबसे राय और अंसारी परिवार के बीच अदावत रही है.