बिहार में इस बार लोकसभा चुनाव बेहद खास है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव भले ही खुद आम चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने दांव बड़ा खेला है. पहले इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों के बीच खुद टिकट तय किए, फिर अपनी दो बेटियों को मैदान में उतारकर दमखम के साथ मुकाबला करने का इरादा जाहिर कर दिया है. सिंगापुर में रहने वालीं रोहिणी आचार्य की पॉलिटिक्स में एंट्री हुई है और सारण जैसे पुराने गढ़ से उतरने की चुनौती सौंपी गई है. जबकि बड़ी बेटी मीसा भारती तीसरी बार पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ेंगी. 2014 और 2019 के चुनाव में मीसा को हार का सामना करना पड़ा था. फिलहाल, यह देखना दिलचस्प हो जाएगा कि लालू की दोनों बेटियां अपने पिता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती हैं?
सारण में रोहिणी आचार्य का मुकाबला बीजेपी के दिग्गज नेता और सिटिंग सांसद राजीव प्रताप रूडी से होगा. रूडी ने सारण से कुल सात बार चुनाव लड़ा है. ये उनका 8वां चुनाव है. रूडी ने 2014 में रोहिणी की मां राबड़ी देवी को हराया था. हालांकि 2004 और 2009 में वो लालू यादव के हाथों पराजित हो गए थे. रूडी को सारण से कुल 4 चुनावों में जीत मिली है. तीन चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. रूडी 2019 के चुनाव में लालू यादव के समधी चंद्रिका राय को भी हरा चुके हैं. फिलहाल, अगर 2024 में रूडी जीतते हैं तो सारण में उनकी हैट्रिक होगी. वहीं, रोहिणी के पक्ष में नतीजे आते हैं तो यह उनकी पहली चुनावी जीत होगी.
'सारण में रूडी से सीट छीनने की बड़ी चुनौती'
सारण सीट को लालू यादव का गढ़ माना जाता है. वे इस सीट से 4 बार सांसद रहे हैं. साल 1977 में लालू प्रसाद यादव पहली बार इसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे. लालू ने भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा था. तब यह सीट छपरा लोकसभा क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी. लालू ने आखिरी बार साल 2009 में इस सीट से चुनाव जीता था और राजीव प्रताप रूडी को हराया था. साल 2008 में परिसीमन हुआ और इस सीट का नाम 'सारण' हो गया.

कब चर्चा में आईं रोहिणी आचार्य
40 साल की रोहिणी आचार्य सिंगापुर में रहती हैं. उनकी शादी 2002 में समरेश सिंह से हुई. पति समरेश सिंगापुर में जॉब करते हैं. रोहिणी और समरेश के एक बेटी और दो बेटे हैं. रोहिणी ने एमबीबीएस किया है. रोहिणी डेढ़ साल पहले तब चर्चा में आईं, जब उन्होंने अपने 74 वर्षीय बीमार पिता लालू यादव को बचाने के लिए किडनी डोनेट की और लंबे समय तक सिंगापुर में इलाज करवाया. रोहिणी ने जब किडनी देने का फैसला किया, तब लालू इसके लिए तैयार नहीं थे. रोहिणी के निस्वार्थ कार्य ने न सिर्फ 'बेटी हो तो ऐसी' की भावना को बढ़ावा दिया, बल्कि यह कई माता-पिता के बीच अच्छा संदेश भी दे गया. यही वजह है कि लालू के विरोधियों ने भी रोहिणी की तारीफ की थी. अब रोहिणी के सामने सारण की उस लोकसभा सीट को जीतने की चुनौती है, जहां से लालू यादव पहली बार सांसद बने थे, लेकिन पिछले दो चुनावों से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.
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'परिसीमन के बाद पाटलिपुत्र में बीजेपी का कब्जा'
इसी तरह, पाटलिपुत्र सीट को देखा जाए तो यहां भी चुनाव रोचक होने जा रहा है. नए परिसीमन के बाद 2009 से अब तक पाटलिपुत्र पर बीजेपी का कब्जा चला आ रहा है. बीजेपी और राजद ने तीसरी बार अपने चेहरों को मैदान में उतारा है. यानी बीजेपी (NDA) से रामकृपाल यादव और राजद से मीसा भारती के टिकट फाइनल हुए हैं. पिछले दो चुनाव में बीजेपी के रामकृपाल यादव को जीत मिली है और मीसा भारती के हिस्से में हार आई है. मीसा को इस बार इंडिया ब्लॉक का समर्थन मिलेगा. इससे पहले 2009 में यह सीट जदयू के कोटे में थी. उस समय जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को हराया था.
'जमीनी और मजबूत नेता माने जाते हैं रामकृपाल यादव'
पाटलिपुत्र इलाके में रामकृपाल यादव को जमीन और मजबूत नेता माना जाता है. यहां तक कि उनकी यादव समाज में भी गहरी पैठ है. यही वजह है कि वो दो बार मीसा भारती को चुनाव हरा चुके हैं. खुद लालू यादव इस सीट से 2009 में हार चुके हैं. इसके साथ ही वो बीजेपी में हैं और एनडीए की सहयोगी पार्टियों का समर्थन हासिल है. जानकार कहते हैं कि रामकृपाल की हर समाज में पैठ है. उनके लिहाज से सामाजिक समीकरण भी फिट बैठते हैं और यही उनकी जीत की बड़ी वजह बनते आ रहे हैं. हालांकि, देखना होगा कि इस बार आम चुनाव में लालू परिवार और मीसा भारती चुनावी जीत के लिए रामकृपाल की किस हद तक घेराबंदी करने में सफल हो पाते हैं.

'2009 में पाटलिपुत्र से चुनाव हार गए थे लालू यादव'
इस सीट पर 16 लाख वोटर्स हैं. करीब 4 लाख यादव और 3 लाख भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं. 1 लाख ब्राह्मण, 1.7 लाख कुर्मी समाज से वोटर्स हैं. आरजेडी से दूरी बनाकर रखने वाले यादवों के साथ भूमिहार और दूसरी सामान्य जातियां रामकृपाल यादव के समर्थन में देखी जाती हैं. इसके अलावा, जेडीयू के पिछड़े और अतिपिछड़े वोट भी रामकृपाल को समर्थन देते हैं. 2009 से पाटलिपुत्र सीट पर उम्मीदवारों की झोली में वोट भी बढ़ते गए. 2009 में जेडीयू के रंजन प्रसाद यादव ने 2.69 लाख वोट हासिल किए थे और राजद के लालू प्रसाद को हराया था. 2014 में बीजेपी के रामकृपाल यादव 3.83 लाख वोट हासिल किए थे. 2019 में बीजेपी के रामकृपाल यादव को 5.09 लाख वोट मिले थे.
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कब- क्या चुनावी नतीजे आए...
2019
सारण- बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी जीते. 1,38,429 वोटों से जीत मिली. जदयू समेत एनडीए के सहयोगी दलों का समर्थन रहा. आरजेडी के चंद्रिका राय हारे.
पाटलिपुत्र- बीजेपी के राम कृपाल यादव जीते. 39,321 वोटों से जीत मिली. राजद की मीसा भारती दूसरे नंबर पर रहीं. रामकृपाल को 5,09,557 वोट और मीसा भारती को 4,70,236 वोट मिले थे.
2014
सारण- बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी जीते. 40,948 वोटों से जीत मिली. आरजेडी की राबड़ी देवी हारीं. जदयू तीसरे नंबर पर रही.
पाटलिपुत्र- बीजेपी के राम कृपाल यादव जीते. 40,322 वोटों से जीत मिली. राजद की मीसा भारती दूसरे नंबर पर रहीं. राम कृपाल को 3,83,262 वोट और मीसा को 3,42,940 वोट मिले थे.
2009
सारण- आरजेडी के लालू यादव जीते. 51,815 वोटों से जीत मिली. कांग्रेस का समर्थन मिला. बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी हारे.
पाटलिपुत्र- जदयू के रंजन प्रसाद यादव जीते. 23,541 वोटों से जीत मिली. राजद के लालू यादव दूसरे नंबर पर रहे. रंजन प्रसाद को 2,69,298 वोट और लालू यादव को 2,45,757 वोट मिले थे.
2004
छपरा (सारण)- आरजेडी के लालू यादव जीते. 60,423 वोटों से जीत मिली. कांग्रेस का समर्थन रहा. बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी हारे.
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1999
छपरा- बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी जीते. 43,553 वोटों से जीत मिली. आरजेडी के हीरा लाल राय हारे.
1998
छपरा- राजद के हीरा लाल राय जीते. 9,327 वोटों से जीत मिली. बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी हारे.
1996
छपरा- बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी जीते. 15,496 वोटों से जीत मिली. जनता दल के लाल बाबू राय हारे.
1991
छपरा- जनता दल के लालू बाबू राय जीते. 1,24,573 वोटों से जीत मिली. झारखंड पार्टी के राजीव रंजन सिंह हारे.
1989
छपरा- जनता दल के लालू प्रसाद जीते. 1,41,882 वोटों से जीत मिली. जनता पार्टी (JP) के राजीव रंजन सिंह हारे. कांग्रेस के हीरा लाल तीसरे नंबर पर आए.
1984
छपरा- जनता पार्टी के रामबहादुर सिंह जीते. 26,006 वोटों से जीत मिली. कांग्रेस के भीष्म प्रसाद हारे. लोकदल के लालू प्रसाद तीसरे नंबर पर आए. बीजेपी के मधुसूदन चौथे नंबर पर.
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1980
छपरा- जनता पार्टी के सत्यदेव सिंह जीते. 8,781 वोटों से जीत मिली. जनता पार्टी सेक्युलर के लालू प्रसाद दूसरे नंबर पर आए.
1977
छपरा- भारतीय लोकदल के लालू प्रसाद जीते. 3,73,800 वोटों से जीत मिली. कांग्रेस के राम शेखर प्रसाद सिंह हारे.
1971
छपरा- कांग्रेस के राम शेखर प्रसाद सिंह जीते. 39,170 वोटों से जीत मिली. भारतीय क्रांति दल के सत्यदेव सिंह हारे.
1967
छपरा- कांग्रेस के आरपी सिंह जीते. 28,209 वोटों से जीत मिली. सोशलिस्ट पार्टी के एचपी यादव हारे.

लालू परिवार की दूसरी बेटी की राजनीति में एंट्री
लालू यादव की सात बेटियां हैं और दो बेटे हैं. अब तक सिर्फ तीन बच्चे ही राजनीति में थे. तेजस्वी और तेज प्रताप बिहार की महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे हैं. बड़ी बेटी मीसा भारती राज्यसभा सदस्य हैं. अब रोहिणी के आने से चौथे बच्चे की राजनीति में एंट्री हुई है. लालू की पत्नी राबड़ी देवी बिहार की सीएम रही हैं.