उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर भले ही छठे चरण में मतदान होना है, लेकिन यहां सियासी पारा अभी से हाई है. यहां की कुंडा विधानसभा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुलाकात के बाद से सियासी गलियारों में सुगबुगाहट तेज है. सभी की नजर अब इस पर टिकी हैं कि राजा भैया किस पार्टी का समर्थन करेंगे. इस सबके बीच रघुराज प्रताप सिंह ने आजतक से खास बातचीत में कई मुद्दों पर खुलकर बात की और अपनी आगामी रणनीति के बारे में भी बताया.
गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात को लेकर राजा भैया ने कहा, पहली बार मुलाकात हुई है. बहुत अच्छी मुलाकात रही. कोई मुलाकात की ऐसी वजह नहीं रही. संयोग है कि 10 साल में अभी तक मुलाकात नहीं हुई थी. उत्तर प्रदेश के विधान मंडल में बसपा और कांग्रेस से बड़ा हमारा दल है, हमारे पास तीन सीट हैं.
बीजेपी के साथ जाएंगे या नहीं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 2019 में हमारा कोई गठबंधन नहीं हो सका था, लेकिन इस बार क्या करना है, इसे लेकर दो दिन बाद हमारी बैठक हो रही है और उसे बैठक में हम फैसला लेंगे कि हमें क्या करना है. जब कार्यकर्ता और समर्थक बैठेंगे तो वह अपने मन की बात कहेंगे. उसके बाद ही तय होगा कि किसके साथ जाएंगे, लेकिन गठबंधन का वक्त अब निकल चुका है, लेकिन देखते हैं कि बीजेपी को समर्थन का कोई विचार आता है या नहीं.
इस चुनाव से पहले राजपूत समाज की नाराजगी के सवाल पर राजा भैया ने कहा कि बात ठाकुर और राजपूतों की नहीं है. कुंडा में 10 हजार से ज्यादा राजपूत के वोट नहीं हैं. हमें सर्व समाज का वोट मिलता रहा है. ठाकुरों और क्षत्रियों में नाराजगी थी, मीडिया में भी दिखाया है, सभी लोग जानते हैं. हम तो विधान परिषद के चुनाव में बीजेपी को हमेशा से समर्थन देते आए हैं वो भी बिना मांगे. उत्तर प्रदेश में अभी मतदाता भी असमंजस में हैं. मतदाताओं की स्थिति स्पष्ट नहीं है, इसीलिए मैंने भी अपने लोगों को बुलाया है. उनके हम विचार जानेंगे, उसके बाद हम कोई फैसला लेंगे.
धनंजय सिंह के जेल से बाहर आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसको लेकर बीजेपी से डील में हमारी कोई भी भूमिका नहीं है. धनंजय सिंह या श्रीकला धनंजय सिंह क्या करेंगे, भाजपा जाएंगे या नहीं, ये वही बता सकते हैं. हम इस पर कुछ नहीं कह सकते
अखिलेश से रिश्तों पर दिया ये बयान
वहीं अखिलेश को लेकर उन्होंने कहा कि हमारे संबंध किसी से खराब नहीं हैं. यह सही है कि अखिलेश यादव से संबंधों में कुछ तल्खी आई थी, लेकिन अब सारी तल्खी दूर हो गई है और तल्खी रहनी भी नहीं चाहिए सियासत में. एनडीए और INDI गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है. बीजेपी की लहर है या नहीं, से हमसे मत पूछिए. हमारी मीटिंग के बाद ही हम इस बारे में कुछ कह पाएंगे.
कौशाम्बी सीट से राजा भैया की पार्टी ने नहीं उतारा प्रत्याशी
बता दें कि राजा भैया ने बीते सप्ताह गृहमंत्री अमित शाह से बेंगलुरु में मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद राजा भैया के प्रभाव वाली सीटों को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हुई थीं. हालांकि अबतक राजा भैया की ओर से किसी तरह का कोई ऐलान नहीं किया गया है. हो सकता है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद राजा भैया इन सीटों को लेकर किसी को समर्थन करने की घोषणा करें. चूंकि कौशाम्बी सीट पर नामांकन की आखिरी तारीख तीन मई थी और यहां से राजा भैया की पार्टी की ओर से किसी उम्मीदवार ने नामांकन नहीं किया है तो ऐसी संभावना है कि प्रतापगढ़ सीट पर भी राजा भैया किसी प्रत्याशी का ऐलान न करें और किसी पार्टी का समर्थन करें. बीजेपी ने कौशाम्बी से विनोद सोनकर को मैदान में उतारा है.
राजा भैया ने 2018 में बनाई थी जनसत्ता दल
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन साल 2018 में किया था, जिसके बाद पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली दो सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. राजा भैया ने पूर्व सांसद अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी को प्रतापगढ़ से और कौशाम्बी सीट से पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार को उतारा था. हालांकि अक्षय प्रताप चौथे और शैलेंद्र कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जिनमें कुंडा और बाबागंज सीटों पर जीत मिली. राजा भैया कुंडा से 7वीं और विनोद सरोज बाबागंज सीट से चौथी बार विधायक बने.