लोकसभा चुनाव के चरण जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं. वैसे-वैसे कांग्रेस माइक्रो मैनेजमेंट के माध्यम से भाजपा के हमले का मुकाबला करने की उम्मीद कर रही है. कांग्रेस के लिए इस बार की लड़ाई पार्टी के अस्तित्व से जुड़ी हुई है. क्योंकि 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में हार के बाद से लंबे समय के बाद ऐसा हो रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा 12 दिनों के लिए रायबरेली के भुवेमऊ गेस्ट हाउस में डेरा डालेंगी. क्योंकि उनके सामने पारिवारिक विरासत को बचाने और बीजेपी से अमेठी को वापस जीतने की सबसे बड़ी चुनौती है.
2019 जैसे हालात नहीं चाहती कांग्रेस
रायबरेली और अमेठी में 20 मई को पांचवें चरण में मतदान होना है और टीम प्रियंका ने कमियों को दूर करने और अमेठी में 2019 जैसे हालात की संभावना को खत्म करने के लिए गहन सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रम तैयार किया है. पिछले लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने यहां आखिरी तीन दिनों तक ही प्रचार किया था और नतीजों ने पार्टी को सबसे बड़ा झटका दिया था, जब राहुल गांधी अमेठी में स्मृति ईरानी से हार गए थे.
प्रचार के लिए क्या है प्रियंका का प्लान?
> दिन: 12
> टारगेट: 400-500 क्षेत्र
> रोजाना: 20 गांव
> विश्वासपात्र कार्यकर्ता तैनात
> कोर टीम: 500 लोग
> स्ट्रेटजी मीटिंग: रोजाना
> सोशल मीडिया: तीव्र हमला
वायनाड से बड़ा होगा जीत का अंतर!
आंतरिक रणनीति से वाकिफ एक नेता ने बताया,'पिछली बार हम खराब चुनाव प्रबंधन के कारण हारे थे, पार्टी चुनाव प्रबंधकों के खिलाफ बहुत गुस्सा था. इस बार अमेठी पर विशेष फोकस है और रायबरेली में पार्टी का लक्ष्य होगा कि राहुलजी के लिए जीत का अंतर वायनाड से बड़ा हो.' 2019 में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड में करीब 4 लाख तीस हजार वोटों से जीत दर्ज कर रिकॉर्ड तोड़ दिया था.'
भरोसेमंद दिग्गजों पर विश्वास
यह बूथ स्तर प्रबंधन, एक-एक घर-घर अभियान और सोशल मीडिया आउटरीच से लेकर एक बहु-आयामी रणनीति है. अभियान का नेतृत्व प्रियंका खुद करेंगी, जिसमें रायबरेली में भूपेश बघेल और अमेठी में अशोक गहलोत शामिल होंगे. पार्टी ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने भरोसेमंद दिग्गजों पर विश्वास जताया है कि उनका अनुभव युवा गांधी भाई-बहन की मदद के लिए काम करेगा.