प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वाराणसी लोकसभा सीट से तीसरी बार अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है. पीएम मोदी के चार स्थानीय नागरिक प्रस्तावक बने. इनमें पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर का नाम शामिल है. जब पीएम मोदी कलेक्टरेट ऑफिस में नामांकन करने पहुंचे तो उनके बगल में शास्त्री को बैठे देखा गया. गणेश्वर शास्त्री ने जनवरी में अयोध्या में भगवान राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 'मुहूर्त' निकाला था.
इसके अलावा, जो तीन अन्य प्रस्तावक थे, उनमें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बैजनाथ पटेल, लालचंद्र कुशवाहा और दलित समुदा से आने वाले संजय सोनकर भी पीएम मोदी का नामांकन करवाने के लिए कलेक्टरेट पहुंचे. चुनाव आयोग के अनुसार, चुनावी मैदान में उतरे उम्मीदवार का कम से कम एक प्रस्तावक होना चाहिए, जो उस विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता हो और उम्मीदवार के नामांकन का समर्थन करने की घोषणा करता हो. नामांकन पत्र में उम्मीदवार और प्रस्ताक के हस्ताक्षर होना चाहिए.
आखिर क्यों पड़ती है प्रस्तावक की जरूरत?
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम मानी जाती है. चूंकि, प्रस्तावक ही रिटर्निंग ऑफिसर के सामने किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं. नामांकन पत्र में प्रस्तावक किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं. यही वजह है कि उम्मीदवार भले ही किसी दूसरे संसदीय क्षेत्र का रहने वाला हो सकता है, लेकिन प्रस्तावक का संबंधित लोकसभा क्षेत्र का निवासी होना अनिवार्य है. लोक प्रतिनिधित्वत अधिनियम, 1951 की धारा 4(सी), 4(सी सी), 4(सी सी सी) के अनुसार, असम, लक्षद्वीप, सिक्किम को छोड़कर देश में किसी भी सीट से लोक सभा का निर्वाचन लड़ सकते हैं. चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति को मतदाता के रूप में अवश्य पंजीकृत होना चाहिए. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 4(घ) व्यक्ति को चुनाव लड़ने से तब प्रतिबंधित करता है, जब वो देश की किसी भी संसदीय सीट में वोटर्स के रूप में रजिस्टर्ड ना हो. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 5(ग) में विधानसभा क्षेत्रों के लिए भी यही प्रावधान है.
क्या प्रस्तावकों का स्थानीय होना जरूरी है?
प्रस्तावक का उसी लोकसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम शामिल होना चाहिए. अन्यथा उसे प्रस्तावक नहीं माना जाएगा और उम्मीदवार का नामांकन पत्र भी रद्द किया जा सकता है. प्रस्तावकों की संख्या कम होने पर नामांकन पत्र वैध नहीं माना जाएगा. मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनैतिक दलों के उम्मीदवार को पार्टी के अध्यक्ष की ओर से स्याही से हस्ताक्षरित फार्म ए और बी प्रस्तुत करना होता है. उम्मीदवार समेत पांच व्यक्ति ही नामांकन स्थल पर जा सकते हैं. प्रस्तावकों की यह व्यवस्था बहुत पहले से है.
कितने होते हैं प्रस्तावक?
मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राजनैतिक दलों के उम्मीदवार को अपने नामांकन के लिए एक प्रस्तावक होना जरूरी होता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 कहती है कि यदि आप एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय/राज्यीय दल के अभ्यर्थी हैं तो निर्वाचन क्षेत्र के प्रस्तावक के रूप में सिर्फ एक निर्वाचक की आवश्यकता होगी. इसके अलावा, यदि निर्दलीय या गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल से उम्मीदवार हैं तो संबंधित निर्वाचन क्षेत्र से दस प्रस्तावकों के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर होने चाहिए.
चुनाव लड़ने के लिए क्या अहर्ताएं?
उम्मीदवार को नामांकन से एक दिन पहले निर्वाचन व्यय के लिए बैंक खाता खोलना होता है. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार की उम्र 25 साल से कम नहीं होनी चाहिए. यदि उम्मीदवार किसी अन्य सीट से नामांकन दाखिल करता है तो उसे अपने निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली (मतदाता सूची) से अपने नाम की प्रमाणित प्रतिलिपि रिटर्निंग ऑफिसर को देना होगा. सामान्य वर्ग के लिए जमानत की धनराशि 25 हजार है. अनुसूचित जाति-जनजाति के प्रत्याशियों के लिए 12 हजार है. चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी 70 लाख व्यय कर सकता है. नो ड्यूज से संबंधित शपथ पत्र भी उपलब्ध कराना होगा. कोई उम्मीदवार चार सेट में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है. जमानत राशि को प्रथम नामांकन पत्र के साथ जमा करना होगा. अन्य नामांकन पत्रों के लिए पत्र में रसीद-चालान से धनराशि जमा की जाएगी.
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क्या VVIP कैंडिडेट के लिए प्रस्तावकों की संख्या बाकियों से अलग होती है?
नहीं. VVIP कैंडिडेट के लिए प्रस्तावकों को लेकर अलग से कोई नियम नहीं हैं. अगर कोई वीवीआई राष्ट्रीय पार्टी से चुनाव लड़ रहा है तो उसे सिर्फ एक ही प्रस्तावक की जरूरत होगी. अगर वो निर्दलीय चुनाव मैदान में है तो उसे 10 प्रस्तावकों का समर्थन होना जरूरी है. रिटर्निंग ऑफिसर उम्मीदवार और प्रस्तावक से संक्षिप्त पूछताछ करता है. उनके बारे में जानकारी लेता है.
नामांकन लेते समय क्यों बैठे रहते हैं रिटर्निंग अधिकारी?
अक्सर देखा जाता है कि नामांकन पत्र लेते समय पीठासीन अधिकारी/ रिटर्निंग अफसर अपनी सीट पर बैठा ही रहता है. उसके सामने कितना भी बड़ा वीवीआईपी क्यों ना आ जाए, वो अपनी कुर्सी पर बैठकर ही उनसे दस्तावेज स्वीकारता है. नियम अनुसार, चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लागू होते ही कोई भी राजनेता या मंत्री को वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता है. ये आयोग के स्पष्ट निर्देश होते हैं. यानी उम्मीदवार को वीवीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता है.
क्या 3 वर्ष की सजायाफ्ता व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है?
नहीं. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध में दोषी पाया जाता है आर 2 वर्ष या इससे ज्यादा की सजा दी गई है तो वह चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं माना जाएगा. वो चुनाव नहीं लड़ सकता है. अगर वो सांसद-विधायक या जनप्रतिनिधि है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.
यदि कोई जमानत पर है, केस पेंडिंग है तो क्या चुनाव लड़ सकता है?
नहीं. कोई व्यक्ति दोष सिद्ध होने के पश्चात जमानत पर है और उसका केस निपटान के लिए लंबित है तो वो व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं माना जाएगा.
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क्या कोई व्यक्ति कितनी भी सीटों से चुना लड़ सकता है?
नहीं. लोक प्रतिनिधित्वन अधिनियम, 1951 की धारा 33(7) के अनुसार, एक व्यक्ति दो से ज्यादा सीटों से लोकसभा/विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ सकता है.
वाराणसी में एनडीए ने किया शक्ति प्रदर्शन
वाराणसी कलेक्टरेट में नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद पीएम मोदी बाहर निकले तो वहां कई केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेताओं से मुलाकात की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, एलजेपी-रामविलास प्रमुख चिराग पासवान, जन सेना पार्टी प्रमुख पवन कल्याण, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा उपस्थित रहे. नामांकन दाखिल करने से पहले पीएम मोदी ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा नदी की पूजा की. पीएम मोदी ने शहर के काल भैरव मंदिर में भी दर्शन किये. पीएम मोदी ने सोमवार को वाराणसी में रोड शो किया.
पीएम मोदी ने पहली बार 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ा था. उस समय वो बीजेपी के पीएम फेस भी थे. उसके बाद पीएम ने 2019 में भी जीत हासिल की. पीएम वाराणसी सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट पर सातवें और अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होगा. 4 को नतीजे आएंगे.