उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट जातीय समीकरण को लेकर काफी सुर्खियों में रहती है. ये इलाका हिन्दू और मुसलमान बहुल माना जाता है, लेकिन अब यहां की सियासत में बिरादरी से बड़ा धर्म का रोल है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. जिनकी संख्या करीब 5.45 लाख के आसपास है.
लोकसभा चुनाव को लेकर आजतक की टीम ने कैराना में जमीनी हकीकत को टटोलने की कोशिश की है. टीम को ग्राउंड रिपोर्ट में पता चला कि मौजूदा सांसद और बीजेपी के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी के खिलाफ विशेषकर जाटों और कुछ अन्य समुदायों के बीच थोड़ी नाराजगी दिख रही हैं. हालांकि, चुनाव में 'मोदी इफेक्ट' और आरएलडी के साथ गठबंधन के कारण उनकी स्थिति अन्य उम्मीदवारों के मुकाबले थोड़ी मजबूत बताई जा रही है.
समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी इकरा हसन मुस्लिम समुदाय के समर्थन पर भरोसा कर रही हैं. जो इस लोकसभा सीट पर निर्णायक भूमिका में है. इसके अलावा वो वर्तमान सरकार के काम से नाखुश और असंतुष्टों लोगों से जुड़ने की जुगत में हैं.
BSP का उम्मीदवार बिगड़ सकता है बीजेपी का खेल
वहीं, इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने ठाकुर समुदाय ने नेता को टिकट दिया है. चुनावी मैदान में ठाकुर समुदाय के नेता को उतारने से मुकाबला त्रिशंकु होता जा रहा है, क्योंकि ठाकुर पारंपरिक रूप से भाजपा के वोट बैंक हैं. साथ ही उन्हें दलितों का भी अच्छी तादात में वोट मिलने की उम्मीद है. इससे बीजेपी उम्मीदवार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. साथ ही इससे बीजेपी के वोट शेयर पर भी खतरा पैदा हो सकता है.
कैराना में वोटों का गणित
मुस्लिम वोटर- 5.45 लाख
दलित वोटर- 2.5 लाख
जाट वोटर- 2.5 लाख
बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी ने करीब 75 हजार वोटों से जीत हासिल की थी.