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दिल्ली में पूर्वांचली वोटर्स का दबदबा, भुनाने में जुटीं सभी पार्टियां

पिछले एक दशक से दिल्ली की सियासत का समीकरण बदला है बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश यानी पूर्वांचल से रोजगार की तलाश में आए लोगों की तादाद बढ़ने के साथ ही सियासत में भी इनका दखल बढ़ा है.

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बीजेपी सांसद मनोज तिवारी (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

इस बार लोकसभा चुनाव में दिल्ली के पूर्वांचली वोटर सभी पार्टियों के लिए अहम हैं. इस वर्ग को रिझाने के लिए बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रदेश की सियासत में पूर्वांचली नेताओं को ही अपना चेहरा बनाया है. हरियाणवी और पंजाबी वर्चस्व वाली दिल्ली की राजनीति अब पूर्वांचली वोटरों के ईर्द गिर्द घूम रही है.

दिल्ली की सियासत में एक दौर था जब पारंपरिक तौर पर पंजाब और हरियाणा के आए नेताओं का वर्चस्व हुआ करता था. जाट, गुर्जर, और पंजाबी वोटर हर चुनाव में अहम थे. लंबे समय तक पंजाब और हरियाणा से जुड़े मुद्दे भी यहां की राजनीति में हावी रहे. दिल्ली के पहले तीन सीएम मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज ये तीनों नेता ही हरियाणा और पंजाब की पृष्ठभूमि से आकर राजधानी की सियासत में शिखर तक पहुंचे.

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पिछले एक दशक से दिल्ली की सियासत का समीकरण बदला है बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश यानी पूर्वांचल से रोजगार की तलाश में आए लोगों की तादाद बढ़ने के साथ ही सियासत में भी इनका दखल बढ़ा है. एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में लगभग 35 फीसदी मतदाता पूर्वांचली हैं. यानी पूर्वांचली वोटर राजधानी की सातों सीटों के परिणाम को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं.

इसी अहमियत को देखते हुए बीजेपी कांग्रेस और आप तीनों ही पार्टियों ने पूर्वांचल से आए नेताओं को पार्टियों में अहम पद दिए हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी बिहार से आते हैं और यहां की राजनीति में अच्छा दखल भी रखते हैं. कांग्रेस ने महाबल मिश्रा के जरिए इन वोटरों को साधने की कोशिश की है. इसके अलावा आप में भी दिलीप पांडे और गोपाल राय जैसे नेता भी यूपी और बिहार से आते हैं.

सबसे बड़ा सवाल ये कि इस बार के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचली वोटर किसकी तरफ जाएंगे. इस सवाल की पड़ताल करने के लिए दिल्ली आजतक की टीम ने राजधानी की उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली सीट पर पूर्वांचली वोटर्स का मन टटोला. पहले बात उत्तर -पूर्वी दिल्ली की जहां पूर्वांचली वोटरों की संख्या एक अनुमान के हिसाब से 40 प्रतिशत से भी ज्यादा है. यहां से मौजूदा सांसद मनोज तिवारी बिहार खुद पूर्वांचली हैं.

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साउथ दिल्ली पर भी पूर्वांचली वोटरों की संख्या 15 प्रतिशत से ज्यादा है. यहां बीजेपी के रमेश बिधूड़ी मौजूदा सांसद हैं. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के विजेंदर सिंह और आप के राघव चड्ढा से है. यहां पूर्वांचली वोटरों की राय अपने सासंद के लिए अलग है. यहां लोग अपनी समस्याओं को लेकर परेशान भी हैं. दरअसल मनोज तिवारी और रमेश बिधूड़ी दोनों ही बीजेपी के नेता हैं लेकिन पूर्वांचली बनाम स्थानीय नेताओं की लड़ाई में दोनों नेता पार्टी में ही कई बार आमने-सामने रहे हैं. चाहे वो छठ घाट का विवाद हो या पूर्वांचली कार्यकर्ताओं पर बिधूड़ी समर्थकों पर मारपीट का आरोप लेकिन अब चुनाव सिर पर है तो पूर्वांचली वोटर की अहमियत को ध्यान में रखते हुए सभी पार्टियां इन्हें अपने साथ जोड़ने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं.

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