देश की राजधानी दिल्ली की बात की जाए, तो यहां के शहरी क्षेत्रों के वोटरों के लिए सबसे बड़ी चिंता सड़कों पर लगने वाले जाम हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के वोटरों की सर्वोच्च प्राथमिकता अपने कृषि उत्पादों की ज़्यादा कीमत सुनिश्चित करना है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से कराए गए सर्वे के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी के तीन सर्वोच्च मुद्दों में प्रदूषण और रोज़गार भी शामिल है. ये सर्वे अक्टूबर से दिसंबर 2018 के बीच कराया गया. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कराए गए इस सर्वे में दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) के सभी 7 संसदीय क्षेत्रों के 3500 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.
‘द एनसीटी ऑफ दिल्ली सर्वे 2018’ के मुताबिक इस समूचे क्षेत्र में वोटरों की तीन सर्वोच्च प्राथमिकताओं में ट्रैफिक जाम (49.67%), जल और वायु प्रदूषण (44.52%) और बेहतर रोज़गार अवसर (44.52%) शामिल हैं. प्रतिभागियों ने इन तीनों पहलुओं पर दिल्ली सरकार के कामकाज को औसत से कम नंबर दिए. 1 से 5 के पैमाने पर ट्रैफिक जाम की समस्या के लिए प्रतिभागियों ने दिल्ली सरकार को सिर्फ 2.27 अंक दिए. इसी तरह जल-वायु प्रदूषण और बेहतर रोज़गार अवसर पर 2.29-2.29 अंक दिए गए.
शहरी दिल्ली की बात की जाए तो यहां के वोटरों ने सर्वोच्च प्राथमिकताओं में ट्रैफिक जाम (50%), जल-वायु प्रदूषण (45%), बेहतर रोज़गार अवसर (43%) को गिनाया. ट्रैफिक जाम पर 1 से 5 के पैमाने पर दिल्ली सरकार को प्रतिभागियों की ओर 2.27 अंक ही मिले. वहीं जल-वायु प्रदूषण और बेहतर रोज़गार अवसर पर 2.29-2.29 अंक ही मिले. इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर 1.85 और ध्वनि प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को प्रतिभागियों ने 2.27 अंक ही दिए.
जहां तक दिल्ली के ग्रामीण वोटरों का सवाल है तो उनके लिए कृषि उत्पादों के ऊंचे दाम सुनिश्चित करना (56%), बेहतर रोजगार अवसर (52%), खेती के लिए बिजली (44%) सर्वोच्च चिंता वाले मुद्दे हैं. सर्वे में प्रतिभागियों ने दिल्ली सरकार के कामकाज को कृषि उत्पादों के दाम पर 1 से 5 के पैमाने पर 2.12 अंक ही दिए. इसी तरह बेहतर रोजगार अवसर के मोर्चे पर दिल्ली सरकार को 2.17 और खेती के लिए बिजली पर 2.25 अंक ही मिले. ये औसत से भी कम है.
2011 की जनगणना के मुताबिक दिल्ली की अधिकतर आबादी शहरी (97.50%) है. इसलिए एडीआर की रिपार्ट में ज़्यादा फोकस शहरी वोटरों की प्राथमिकताओं पर ही रखा गया.
दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी के दफ्तर की ओर से प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के मुताबिक दिल्ली में इस बार 1.36 वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. 2014 लोकसभा चुनाव की तुलना में दिल्ली के वोटरों में इस बार 8% का इज़ाफ़ा हुआ है.