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राहुल गांधी का वीटो बचा पाएगा राज बब्बर की कुर्सी? कांग्रेस में आधी रात तक मंथन

प्रियंका-सिंधिया की जोड़ी ने राज बब्बर की मौजूदगी में 80 में से 25 मजबूत उम्मीदवारों की दावेदारी पर चर्चा कर की. आगे कांग्रेस की कोशिश ये है कि, जिन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला दिख रहा हो, वहां सपा-बसपा गठबंधन उसी लिहाज से उम्मीदवार दे.

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राहुल गांधी के साथ राज बब्बर (फाइल फोटो)
राहुल गांधी के साथ राज बब्बर (फाइल फोटो)

दिल्ली स्थित कांग्रेस के वार रूम में देर रात तक चहल-पहल देखी गई. यहां पर यूपी में कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम को लेकर गहन चर्चा हुई. दिल्ली के 15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड में रात 12 बजे पूर्वी यूपी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पश्चिमी यूपी के प्रभारी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर मौजूद रहे. प्रियंका और ज्योतिरादित्य ने अपने सचिवों के साथ मैराथन बैठक की. बैठक में कांग्रेस की भविष्य की रणनीति पर लंबी चर्चा हुई.

यूपी में कांग्रेस की नब्ज पकड़ने की कोशिश कर रहीं प्रियंका गांधी अब काफी मुखर हो चुकी हैं. इस बैठक में प्रियंका का अंदाज़ सबको चौंका गया. दरअसल, तमाम नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर प्रियंका का टालने के बजाय सीधा हां या ना कहना सबको पसंद आया.

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हालांकि, कई हल्के फुलके मामलों पर प्रियंका का लचीला और चुटीला अंदाज भी सामने आया. यानी जहां कड़ा होना है वहां वो कड़क दिखीं, तो कई मसलों पर हल्के अंदाज़ में मुस्कुराती और मज़े लेती नज़र आईं.

बब्बर को हटाने के पक्ष में कार्यकर्ता

पूरी बातचीत में यह तो तय हो गया कि कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को बदलना चाहते हैं. इस पर प्रियंका और सिंधिया ने विचार भी किया. दो नए अध्यक्ष बनाने पर भी बात हुई. लेकिन राहुल गांधी की पसंद को आखिरी मौके पर बदलने की बात पर मामला अटक गया. दरअसल, राहुल गांधी प्रदेश अध्यक्ष पद पर बैठे राज बब्बर को हटाना नहीं चाह रहे हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं की मांग और मिजाज से पता चला कि वे राज बब्बर को बदलना चाहते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी ने 2022 की चुनौती के लिए नया अध्यक्ष बनाने को हरी झंडी दे दी, पर साथ ही लोकसभा चुनाव 2019 में बचे कम समय का हवाला देते हुए उन्होंने राजबब्बर को बनाए रखने की वकालत की. उत्तर प्रदेश में अगले विधान सभा चुनाव 2022 में होंगे.

उम्मीदवारों को लेकर रणनीति

ऐसे में राहुल गांधी के वीटो के बाद राज बब्बर के 2019 तक बने रहने के आसार दिख रहे हैं. वहीं प्रियंका-सिंधिया की जोड़ी ने राज बब्बर की मौजूदगी में 80 में से 25 मजबूत उम्मीदवारों की दावेदारी पर चर्चा कर की है. आगे कांग्रेस की कोशिश ये है कि, जिन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला दिख रहा हो, वहां सपा-बसपा गठबंधन उसी लिहाज से उम्मीदवार दे. साथ ही जहां बीजेपी के सामने मुकाबले में सपा-बसपा का उम्मीदवार टक्कर में हो, वहां कांग्रेस बीजेपी को हराने वाला उम्मीदवार उतारे.

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पार्टी इसी रणनीति पर आगे बढ़ रही है. कांग्रेस इस तर्क के सहारे सपा-बसपा पर दबाव बनाना चाहती है कि राष्ट्रीय चुनावों में अल्पसंख्यकों की पहली पसंद जीतने वाला कांग्रेस का उम्मीदवार होगा. सूत्रों की मानें तो अगर सपा-बसपा ने ये रणनीतिक बात नहीं मानी, तो कांग्रेस प्लान बी के मुताबिक, सपा-बसपा को बीजेपी का एजेंट बताने का दांव चलने से भी गुरेज नहीं करेगी.

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