राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के ‘आरजेडी में जेडीयू के विलय’ के बयान पर शनिवार को प्रशांत किशोर ने पलटवार किया है. जनता दल (यूनाइडेट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने राबड़ी देवी के उस दावे का खंडन किया कि वह जेडीयू और आरजेडी के विलय के प्रस्ताव के साथ नीतीश कुमार का दूत बन कर लालू प्रसाद से मिले थे.
प्रशांत किशोर की लालू को चुनौती
प्रशांत किशोर ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को चुनौती दी कि वह मीडिया को बताएं कि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई थी. प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, ‘जब कभी लालू जी चाहें उन्हें मेरे साथ मीडिया के सामने बैठना चाहिए क्योंकि इससे सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको प्रस्ताव दिया.’
Those convicted or facing charges of abuse of public office and misappropriation of funds are claiming to be the custodians of truth.@laluprasadrjd जी जब चाहें, मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं, सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको क्या ऑफर दिया।
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 13, 2019
चुनाव रणनीतिकार किशोर प्रसाद पर झूठे दावे करने के लिए भी जम कर बरसे और यह कहते हुए ट्वीट किया, ‘जो पद और धन के दुरुपयोग के आरोपों का सामना कर रहे हैं या दोषी साबित हुए हैं, वह सच्चाई के सरंक्षक होने का दावा कर रहे हैं.’
क्या है राबड़ी का दावा?
राबड़ी देवी ने शुक्रवार को यह दावा कर सनसनी मचा दी थी कि प्रशांत किशोर ने आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू के विलय के प्रस्ताव के साथ उनके पति से मुलाकात की थी और पेशकश की थी कि विलय से बनी नई पार्टी लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री पद के अपने उम्मीदवार की घोषणा करेगी.
Rabri Devi: Nitish Kumar wanted to come back, he had said that I want to see Tejashwi as CM in 2020 and you declare me as PM candidate. Even, Prashant Kishor came to meet us five times after our alliance had ended. pic.twitter.com/88sghakpcq
— ANI (@ANI) April 13, 2019
उन्होंने कहा था कि अगर प्रशांत किशोर इस प्रस्ताव के साथ लालू यादव प्रसाद से हुई मुलाकात से इनकार करते हैं तो वह सफेद झूठ बोल रहे हैं. आरजेडी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य विधान परिषद में विपक्ष की नेता ने यहां एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से कहा, ‘मैं क्रोधित हो गई और उनसे जाने को कहा क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासघात के बाद मुझे उन पर कोई भरोसा नहीं रह गया था.’
इससे पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि कई लोगों ने नीतीश कुमार की तरफ से उनसे मुलाकात करने के साथ ही सुलह के प्रस्ताव लेकर कांग्रेस का भी रुख किया.
Tejashwi Yadav on Nitish Kumar wanted to rejoin mahagatbadhan says Lalu in upcoming book: I say this with full responsibility, Nitish Kumar made many attempts to get back and ally with us, he tried many different approaches, that also within 6 months of returning to NDA pic.twitter.com/gdGJTFaP0b
— ANI (@ANI) April 5, 2019
राबड़ी देवी का यह खुलासा लालू प्रसाद यादव की हाल ही में प्रकाशित आत्मकथा में किए गए दावे के बाद हुआ है जिसमें कहा गया कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी को महागठबंधन में फिर से शामिल कराना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने प्रशांत किशोर को आरजेडी सुप्रीमो के पास अपना दूत बना कर भेजा था. इस दावे के बाद से बिहार की राजनीति में खलबली मच गई है. बता दें कि नीतीश कुमार 2017 में महागठबंधन से बाहर हो गए थे और बीजेपी नीत एनडीए में फिर से शामिल हो गए थे.
प्रशांत किशोर ने इससे पहले प्रसाद की आत्मकथा में किए गए दावे को बकवास बताया था. लालू प्रसाद यादव ने दावा किया था कि नीतीश कुमार महागठबंधन में लौटना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने प्रशांत किशोर को आरजेडी सुप्रीमो के पास अपना दूत बना कर भेजा था. प्रशांत किशोर ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के साथ रणनीतिकार के तौर पर काम किया था. वह पिछले साल सितंबर में औपचारिक रूप से जेडीयू में शामिल हुए थे.
पटना यूनिवर्सिटी की राजनीति के दिनों से साथी रहे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार 90 के मध्य में अलग होने से पहले लंबे समय तक साथ रहे. प्रमुख रणनीतिकार के तौर पर नीतीश कुमार लालू के चाणक्य के तौर पर जाने जाते थे. जब लालू प्रसाद यादव 1989 में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने थे. उन्होंने 1990 में लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन 1994 तक मंडल अभियान के दो शीर्ष नेताओं के बीच मतभेद पनपने लगे थे. कुमार जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिल कर समता पार्टी का गठन करने के लिए जनता दल से बाहर हो गए थे.
तीन साल बाद लालू प्रसाद यादव ने पार्टी से राहें जुदा कर 1997 में आरजेडी का गठन किया. इसी साल लालू को चारा घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था लेकिन अप्रत्याशित कदम उठाते हुए उन्होंने पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था. कुमार की समता पार्टी ने 1996 के आम चुनावों में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था.
एक लंबी जंग के बाद नीतीश कुमार अंतत: 2005 में आरजेडी को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब रहे. तब से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं सिवाए 2014 में कुछ समय के लिए जब उन्होंने अपनी पार्टी को नरेंद्र मोदी की बीजेपी के हाथों मिली हार के बाद इस्तीफा दे दिया था. इस दौरान जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने 2015 में हाथ मिला लिया था और बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराया था. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो के बेटे तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद जुलाई 2017 में वे फिर अलग हो गए थे.
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