लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रणनीतिकार प्रशांत किशोर के लिए पार्टी में सब कुछ ठीक नही चल रहा है. उनकी पार्टी के नेताओं ने उन्हीं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पार्टी में कई स्तर पर उनका विरोध हो रहा है. कभी उनके बयान को लेकर तो कभी उनके ट्वीट्स को लेकर.
प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जितनी तरजीह दी थी उसमें यह होना लाजिमी भी है क्योंकि वर्षों से जो लोग पार्टी में थे उन्हें प्रशांत किशोर को सीधे पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी में नंबर दो की हैसियत रास नहीं आ रही थी.
ताजा विवाद उनके एक बयान को लेकर है जो उन्होंने मुजफ्फरपुर में छात्रों को संबोधित करते हुए दिया था. प्रशांत किशोर ने कहा, 'मैं किसी को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने में मदद कर सकता हूं तो मैं बिहार के नौजवानों को मुखिया, एमएलए और एमपी बना सकता हूं.' साथ में उन्होंने यह भी कहा था, 'मैं आपको राजनीति में आने के लिए आमंत्रित करता हूं.'
प्रशांत किशोर 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार-प्रसार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काम कर थे और 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए काम किया था. अपने इसी काम के अनुभव को प्रशांत किशोर ने छात्रों और नौजवानों से शेयर किया था. लेकिन यह बात जनता दल यूनाइटेड के पुराने और बुजुर्ग नेताओं को रास नहीं आई और इस बयान को लेकर जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने प्रशांत किशोर को जमकर खरी-खोटी सुनाई और कहा कि कोई मुगालते में न रहें सब लोग अपनी-अपनी क्षमता से जीतकर आते हैं.
अब प्रशांत किशोर (पीके) के खिलाफ इस मुहिम में पार्टी के महासचिव आरसीपी सिंह भी जुड़ गए हैं. आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी नजदीकी रहे हैं और प्रशांत किशोर के आने से पहले पार्टी में एकमात्र नंबर दो की हैसियत वाले नेता थे, लेकिन पीके के आने से उनकी स्थिति पहले जैसी नहीं रही. आरसीपी सिंह ने प्रशांत किशोर के इस बयान पर ज्यादा कुछ तो नहीं कहा लेकिन इतना जरूर कहा कि जब से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं उस समय वो पार्टी में भी नहीं थे यह उनका व्यक्तिगत विचार हो सकता है.
प्रशांत किशोर पटना में आयोजित एनडीए की रैली में नजर नहीं आए, लेकिन उनका ट्वीट जरूर नजर आया जिसमें उन्होंने बेगूसराय के शहीद पिंटू सिंह को श्रद्धांजलि दी और साथ ही उनके अंतिम संस्कार में बिहार सरकार के किसी मंत्री या नेता के नहीं पहुंचने पर खेद जताते हुए माफी मांगी थी.
We are sorry for the error of judgement on part of those of us who should have been there with you in this hour of grief. pic.twitter.com/DIhpiKlyd6
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) March 3, 2019
लेकिन चार दिन पर जब नीतीश कुमार शहीद के पैतृक घर पहुंच कर श्रद्धांजलि दी तो प्रशांत किशोर ने फॉलोअप वाला अगला ट्वीट कर दिया.
...and the follow-up pic.twitter.com/CopdgEbsV3
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) March 7, 2019
जेडीयू के धाकड़ नेता जिस मौके की तलाश में बैठे रहते थे वो मौका खुद प्रशांत किशोर ने ही उन्हें दे दिया.