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दिग्विजय के बेटे जयवर्धन के ट्वीट से गरमाई MP की राजनीति

दिग्विजय का नाम भोपाल से तय होने के बाद रविवार को उनके बेटे जयवर्धन ने ट्वीट किया, अगर फलक को जिद है ,बिजलियां गिराने की तो हमें भी जिद है, वहीं पर आशियां बनाने की... सर्वत्र दिग्विजय सर्वदा दिग्विजय. बेटे के अपने पिता के लिए किए गए ट्वीट के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई.

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जयवर्धन सिंह
जयवर्धन सिंह

दिग्विजय सिंह के भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद उनके बेटे जयवर्धन सिंह द्वारा किए गए ट्वीट के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. बता दें कि जयवर्धन सिंह मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री भी हैं. एक दिन पहले ही कमलनाथ ने भोपाल लोकसभा सीट से दिग्विजय सिंह के चुनाव लड़ने की घोषणा की थी जिसके बाद रात को कांग्रेस द्वारा जारी सूची में दिग्विजय सिंह का नाम आधिकारिक रूप से मुकर्रर किया गया.

दिग्विजय का नाम भोपाल से तय होने के बाद रविवार को उनके बेटे जयवर्धन ने ट्वीट किया 'अगर फलक को जिद है ,बिजलियां गिराने की तो हमें भी जिद है, वहीं पर आशियां बनाने की... सर्वत्र दिग्विजय सर्वदा दिग्विजय.' बेटे के अपने पिता के लिए किए गए ट्वीट के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई.

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यह माना जा रहा है कि जयवर्धन ने यह ट्वीट पिता दिग्विजय सिंह के विरोधियों को निशाने पर लेते हुए किया. ट्वीट के आखिरी लाइन से जयवर्धन ने यह बताने की कोशिश भी की है कि उनके पिता ही मध्य प्रदेश की राजनीति के सबसे बड़े नेता हैं और उनके खिलाफ कितनी ही साजिश कर ली जाए उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा.

जयवर्धन के ट्वीट से चर्चाओं का दौर शुरू

जयवर्धन का ट्वीट सामने आने के बाद यह माना गया कि जयवर्धन ने कांग्रेस के अंदर ही उनके पिता के विरोधियों पर निशाना साधा है. कांग्रेस में भी जयवर्धन के ट्वीट को लेकर चर्चाओं का दौर गरम हो गया क्योंकि भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी की सबसे मजबूत सीट मानी जाती है और यहां से दिग्विजय सिंह को लोकसभा का टिकट देकर कांग्रेस ने बहुत बड़ा दांव खेला है.

2003 में कांग्रेस को लगातार 15 साल का वनवास दिलाने का आरोप दिग्विजय सिंह पर लगता रहा है. 2003 में मिली हार के चलते ही दिग्विजय सिंह ने अगले 10 साल तक चुनाव न लड़ने का संकल्प लिया था और उसे निभाया भी. 2014 में राज्यसभा के जरिए दिल्ली पहुंचे अब जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सियासी वनवास खत्म हुआ तो दिग्विजय फिर चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए तैयार हुए.

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इच्छा राजगढ़ की थी लेकिन टिकट मिला भोपाल से. सियासी पंडितों की मानें तो कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह को कांग्रेस की परंपरागत गुटीय राजनीति और रणनीति के चलते मैदान में उतारा है. दिग्विजय सिंह चुनाव हारते हैं तो उनका राजनीतिक करियर हाशिए पर आ जाएगा और कांग्रेस की राजनीति में कमलनाथ के आने के बाद सुपर सीएम कहलाने वाले दिग्विजय सिंह का कद कमजोर होगा.

मुद्दा गरमाने पर किया दूसरा ट्वीट

जयवर्धन के ट्वीट के बाद राजनीतिक हंगामा मचा तो उन्हें 7 घंटे बाद एक और ट्वीट करना पड़ा. जयवर्धन ने शाम 5 बजे एक और ट्वीट किया और लिखा कि उनका पहला वाला ट्वीट दरअसल बीजेपी के लिए था. जयवर्धन ने लिखा कि 'अगर फलक को जिद है, बिजलियां गिराने की .......ये भाजपा को खुली चुनौती है!'. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी के भीतर उठे सवाल के बाद हो सकता है जयवर्धन को ये ट्वीट दबाव में करना पड़ा हो.

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