रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, रामदास अठावले वर्तमान में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं. अपनी वाकपटुता के लिए ये संसद में फेमस हैं. दलित नेता के रूप में देश भर में इनका सम्मान हैं. अठावले 1999 से 2009 तक दो बार पंढरपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे. महाराष्ट्र सरकार में भी यह मंत्री रहे.
इन्हीं रामदास अठावले को 2009 में शिवसेना के उम्मीदवार भाऊसाहेब वाकचौरे के हाथों हार मिली थी. बाद में वे बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के साथ चले गए. 2014 में राज्यसभा के माध्यम से संसद पहुंचे और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री बने.
अठावले की छवि दलितों के पैरोकार के रूप में है, वे अपने विनोदी और मजाकिया स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं. इस चक्कर में कई बार उनके मुंह से विवादित बोल भी निकले, जिन पर देशभर में जमकर हंगामा मचा. संसद में पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए लय में सुनाई गई कविता भी चर्चा का विषय बन गई थी. माना जा रहा था कि वे मुंबई नॉर्थ सेंट्रल की सीट से लड़ना चाहते थे, इस वजह से वे मोदी के फैन की तरह बातें करते नजर आए. हालांकि, इस सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद पूनम महाजन को टिकट दे दिया है.
अठावले का राजनीतिक सफर
1974 में दलित पैंथर मूवमेंट के विभाजन के बाद अठावले ने अरुण कांबले और गंगाधर गाडे के साथ मिलकर दलित राजनीति का महाराष्ट्र में नेतृत्व किया. अठावले का ये कदम रिपब्लकिन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) में फूट का कारण बना. उसके बाद अठावले ने अपनी पार्टी रिपब्लकिन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) बनाई.
अठावले 1990 से 1996 के बीच महाराष्ट्र विधान परिषद में सदस्य रहे. इस दौरान अठावले ने महाराष्ट्र सरकार में सोशल वेलफेयर एंड ट्रांसपोर्ट विभाग में कैबिनेट मंत्री का दायित्व निभाया. 1998-99 के दौरान 12वीं लोकसभा में अठावले मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से सांसद का चुनाव जीते. उसके बाद 1999 में 13वीं लोकसभा और 2004 में 14वीं लोकसभा में भी अठावले पंढरपुर लोकसभा सीट से जीतकर संसद में पहुंचे. 2009 में अठावले ने शिर्डी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2011 में अठावले ने एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन से किनारा कर लिया. इसके बाद अठावले की पार्टी ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनाव में शिवसेना-बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा.
वे दलित वोट को अपने फेवर में कराने में माहिर हैं इस वजह से अठावले ने अलग-अलग पार्टियों के साथ गठबंधन बनाया. 2014 के लोकसभा चुनाव में अठावले की पार्टी ने, एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. 2014 में अठावले राज्यसभा सदस्य बने और 6 जुलाई 2016 को वे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्यमंत्री बने.
अठावले के विवादित बयान
2015 में हरियाणा राज्य में दलितों पर हुए हमलों के बाद अठावले ने कहा था कि अगर पुलिस को दलितों की दुर्दशा पर लगातार नजर रखनी है तो दलित समुदाय के सदस्यों में से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में विशेष सुरक्षा दस्ते का गठन किया जाना चाहिए. दलितों को बंदूक का लाइसेंस दिया जाए ताकि वे अपनी रक्षा कर सकें.
एक और बयान में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने 2016 में लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि हम कोशिश कर रहे हैं कि सभी राज्य सरकारों को अंतर जातीय विवाहों को बढ़ावा देना चाहिए. मैं लव जिहाद को कोई मुद्दा नहीं मानता हूं. हर किसी को आजादी होनी चाहिए अपनी मर्जी से विवाह करने की.
सितंबर 2016 में ही एक बार फिर रामदास अठावले की जुबान फिसल गई. पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम पर अठावले ने बयान दिया था कि वह मंत्री हैं और उन्हें मुफ्त में पेट्रोल-डीजल मिलता है, इसलिए महंगे तेल से उन्हें कोई परेशानी नहीं है. बाद में इस बयान के लिए अठावले ने माफी भी मांगी थी.
अठावले ने देश की सबसे बड़ी दलित नेता मायावती पर निशाना साधा था. अठावले का कहना था कि दलित वोटों पर सबसे बड़ा अधिकार रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का है, मायावती का नहीं. जिस चुनाव चिह्न हाथी से बसपा सुप्रीमो की पहचान है, वह आरपीआई का था. मायावती ने उसे छीन लिया.
मराठा आरक्षण पर रामदास अठावले ने कहा था कि मराठा समाज को दिया गया आरक्षण कोर्ट में नहीं टिक सकेगा. वह चाहते हैं कि मराठा समाज को आरक्षण दिया जाए, लेकिन राज्य सरकार ने जिस तरह से आरक्षण दिया है, वह कानूनी नहीं है. इस बयान के बाद दिसंबर 2018 में रामदास अठावले अंबरनाथ में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे. कार्यक्रम के दौरान स्टेज से उतरते वक्त एक व्यक्ति ने उनके कान के पास जोरदार थप्पड़ मार दिया. थप्पड़ मारने के बाद वह भागने लगा तो समर्थकों ने उसे पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई की. पिटाई का वीडियो, सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था.
रामदास अठावले का शुरुआती जीवन
रामदास अठावले का जन्म 25 दिसंबर 1959 को सांगली जिले के अगलगांव में हुआ. उनके पिता का नाम बंडु बापू और मां का नाम होंसाबाई अठावले है. अठावले ने मुंबई के सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ लॉ से पढ़ाई की. 16 मई 1992 को अठावले की शादी हुई. अठावले के एक बेटा है जिसने बौद्ध धर्म ग्रहण किया हुआ है.
संपादक और कलाकार के रूप में अठावले
अठावले एक वीकली मैग्जीन 'भूमिका' के एडिटर हैं और 'परिवर्तन साहित्य महामंडल' के फाउंडर मेंबर हैं. अठावले परिवर्तन कला महासंघ, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर फाउंडेशन, बौद्ध कलावंत अकादमी और बौद्ध धम्म परिषद के अध्यक्ष रहे हैं. अठावले ने एक मराठी फिल्म 'अन्यायाचा प्रतिकार' में मुख्य भूमिका निभाई. इसके अलावा कई मराठी फिल्मों और ड्रामों में काम किया है.