हरिद्वार यानी की वो रास्ता जो हरि के द्वार को जाता है. इस शहर के धार्मिक महत्व से पूरे देश के लोग वाकिफ है. लिहाजा यहां का सांसद देश और उत्तराखंड की राजनीति में अपना खासा दबदबा रखता है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक इस वक्त इस सीट से सांसद हैं. हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र का विस्तार देहरादून और हरिद्वार जिले में है. हालांकि बीजेपी की गुटबाजी, एंटी इंकबेंसी फैक्टर, कांग्रेस की गोलबंदी से 2019 में उनकी वापसी की राह कांटो भरी है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
हरिद्वार के राजनीतिक रुझान पर नजर डाले तो यहां कभी कमल खिला तो कभी पंजे का जोर रहा. 1977 में वजूद में आए इस लोकसभा सीट पर 5 बार बीजेपी ने फतह हासिल की है तो 5 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. 1977 से लेकर 2004 तक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. 2009 में इस सीट को सामान्य घोषित किया गया. 1977 में जब देश में कांग्रेस के खिलाफ लहर थी तो यहां पर भारतीय लोक दल ने अपना झंडा गाड़ा और भगवानदास राठौड चुनाव जीते. 77 के बाद 80 में हुए लोकसभा चुनाव में लोकदल के जगपाल सिंह चुनाव जीते. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब देश में लोकसभा चुनाव हुए तो हरिद्वार में फिर से कांग्रेस के सुंदर लाल चुनाव जीते. 1987 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के ही राम सिंह यहां से सांसद बने. 1989 में जब देश में कांग्रेस की लहर चली तो ये सीट कांग्रेस के खाते में गई और कांग्रेस के टिकट पर जगपाल सिंह सांसद चुने गए.
लेकिन 1991 में भाजपा के राम सिंह को जीत मिली. 1991 से लेकर 1999 तक लगातार चार बार यहां से बीजेपी के उम्मीदवार जीते. 1991 के बाद 1996 में हरपाल सिंह साथी एमपी बने. उन्हें 1998 और 1999 में भी जीत मिली. 2004 में समाजवादी पार्टी के राजेंद्र कुमार बॉडी इस सीट से चुनाव जीते. 2009 में यहां से खांटी कांग्रेसी हरीश रावत सांसद चुने गए.
सामाजिक ताना-बाना
2017 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक हरिद्वार सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक यहां पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 88 हजार 328 थी. जबकि महिला वोटर्स की संख्या 7 लाख 54 हजार 545 थी. यहां पर 2014 में 71.56 फीसदी वोटिंग हुई थी.
2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 24 लाख 5 हजार 753 थी. यहां की लगभग 60 आबादी गांवों में रहती है, जबकि 40 फीसदी जनसंख्या का निवास शहरों में है. इस इलाके में अनुसूचित जनजाति का आंकड़ा मात्र .44 फीसदी है. जबकि अनुसूचित जाति की संख्या 19.23 फीसदी है.
हरिद्वार के मतदाताओं के लिए कहा जाता है कि वे अपना सांसद रिपीट नहीं करते हैं. हालांकि हरपाल सिंह साथी इसके अपवाद रहे. इस सीट पर मुस्लिम और दलित मतदाता अहम भूमिका निभाते रहे हैं. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बीएसपी और सपा का वोटबैंक होता है. मुस्लिम दलित फैक्टर के चलते यहां सपा के राजेंद्र बॉडी भी सांसद बने हैं. बीजेपी के लिए मुश्किलें इसलिए भी ज्यादा हैं क्योंकि हरिद्वार में बीजेपी कई गुटों में बंटी है. यहां मदन कौशिक, सतपाल महाराज और निशंक के खेमे अपने अपने लिए लॉबिंग करते हैं.
हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में कुल मिलाकर 14 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें रुड़की, खानपुर, झाबरेरा (एससी), हरिद्वार, डोइवाला, मंगलौर, लस्कर, भेल रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण, ऋषिकेश, पिरन कलियर, भगवानपुर (एससी), ज्वालापुर (एसी) और धरमपुर सीट शामिल है. इनमें 11 विधानसभा सीटें हरिद्वार और तीन सीटें देहरादून जिले की हैं. मौजूदा विधानसभा में 14 में से महज 3 सीटों, भगवानपुर, मंगलौर और पिरन कलियार पर ही कांग्रेस के विधायक जीते हैं. जबकि अन्य सीटों पर भाजपा का कब्जा है.
2014 का जनादेश
2014 में उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक को भाजपा ने मैदान में उतारा. निशंक पर हालांकि हरिद्वार कुंभ में घोटाले के छींटे थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस नेता हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को शिकस्त दी. निशंक ने कांग्रेस की उम्मीदवार रेणुका रावत को 1,51,906 वोटों के अंतर से हराया. हरीश रावत की पत्नी रेणुका को जहां 3,98,340 वोट मिले, वहीं निशंक 5,67,662 वोट लेकर संसद पहुंचने में सफल रहे. डॉ निशंक इस वक्त संसद की कमेटी ऑन गवर्नमेंट एस्यूरेंसेस के चेयरमैन हैं. डॉ रमेश पोखरियाल निशंक सोशल मीडिया पर भी खासे सक्रिय हैं. ट्विटर और फेसबुक पर उनका वैरीफाइड अकाउंट हैं.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की लोकसभा में यह पहली पारी है. इससे पहले वह राज्य की राजनीति में लंबी पारी खेल चुके हैं. निशंक 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग विधानसभा से चुने गए थे. इसके बाद 1993 और 1996 में वह एक बार फिर से इसी क्षेत्र से जीते. डॉ निशंक 2009 से 11 तक यूपी के सीएम रह चुके हैं. डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने पीएचडी तक की शिक्षा हासिल की है. रमेश पोखरियाल 'निशंक' का विवाह कुसुम कांत पोखरियाल से हुआ. रमेश पोखरियाल निशंक की बेटी श्रेयसी निशंक सेना में आर्मी में ऑफिसर हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सांसद निधि के तहत हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को भारत सरकार ने 17.50 करोड़ रुपये जारी किए. डॉ निशंक ने विकास कार्यों में इस निधि का 74.32 फीसदी यानी कि 13.36 करोड़ रुपये खर्च किए. 16वीं लोकसभा में सांसद महोदय की दमदार उपस्थिति देखने को मिली. आंकड़ों के मुताबिक उन्होंने अबतक इस लोकसभा में 374 सवाल पूछे हैं. लोकसभा में उनकी हाजिरी 87 प्रतिशत रही. डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने संसद की 120 डिबेट्स में भाग लिया. इन्होंने 23 प्राइवेट मेंबर बिल भी सदन में पेश किया.