पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट हाथरस पर जाट वोटरों का खासा प्रभाव रहा है. पिछले करीब दो दशक से यहां पर भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व रहा है, ऐसे में एक बार फिर 2019 में बीजेपी को यहां कमल खिलाने की उम्मीद है. हाथरस सीट पर मुस्लिम-जाट का समीकरण हावी रहता है, यही कारण है कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी इस सीट पर प्रबल दावेदार रहती है. हाथरस लोकसभा सीट आरक्षित सीटों में आती है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस सीट पर 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी. उसके बाद 1967, 1971 में भी यहां कांग्रेस का परचम लहराया. 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में भारतीय लोक दल ने जीत दर्ज की, जबकि 1984 में भी यहां कांग्रेस ने वापसी की. 1989 में हुआ चुनाव यहां जनता दल के खाते में गया था.
1991 के बाद से ही ये सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है. 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में यहां भारतीय जनता पार्टी ने एकतरफा जीत दर्ज की. इस दौरान बीजेपी के कृष्ण लाल दिलेर 1996-2004 तक सांसद रहे. 2009 में यहां राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की, हालांकि तब रालोद-बीजेपी का गठबंधन था. वहीं 2014 में तो बीजेपी के राजेश कुमार दिवाकर ने यहां से प्रचंड जीत दर्ज की.
हाथरस लोकसभा सीट का समीकरण
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक हाथरस मुस्लिम-जाट वोटरों के प्रभाव वाली सीट है. यही कारण रहा कि बीजेपी-आरएलडी को यहां लगातार जीत मिलती रही. पिछले चुनावी आंकड़ों के अनुसार, यहां पर करीब 17 लाख से अधिक मतदाता हैं, इनमें से करीब 9.6 लाख पुरुष वोटर और 7.8 लाख महिला मतदाता हैं.
बीते कई चुनावों में बसपा को यहां पर लगातार लाखों वोट मिले हैं, इसलिए बसपा को इस सीट पर कमतर नहीं आंका जा सकता है. हाथरस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें छर्रा, इगलास, हाथरस, सादाबाद और सिकंदरा राऊ सीटें शामिल हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां सिर्फ सादाबाद में बसपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि बाकी अन्य सीटों पर बीजेपी ने झंडा गाढ़ा था.
2014 में क्या रहा था जनादेश
पिछले चुनाव में यहां मोदी लहर का असर साफ देखने को मिला था, भारतीय जनता पार्टी के राजेश कुमार दिवाकर को 2014 में यहां कुल 51 फीसदी वोट मिले थे. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को करीब 3 लाख वोटों से हराया था. 2014 में यहां कुल 59 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें से NOTA तो 5000 के करीब वोट मिले थे.

स्थानीय सांसद का कैसा रहा प्रदर्शन
हाथरस से बीजेपी सांसद राजेश दिवाकर साफ-सुथरी छवि वाले नेता माने जाते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर वह पहली बार सांसद चुने गए. 2014 से ही वह संसद की कई कमेटियों का हिस्सा रहे हैं. 16वीं लोकसभा में उन्होंने कुल 8 बहस में हिस्सा लिया है, इस दौरान उन्होंने 263 सवाल भी पूछे. ADR के आंकड़ों के मुताबिक, राजेश कुमार दिवाकर के पास करीब 56 लाख से अधिक की संपत्ति है. राजेश दिवाकर ने अपने संसदीय फंड की 85 फीसदी राशि खर्च की है.