17वीं लोकसभा चुनाव के तहत उत्तर प्रदेश की कैराना सीट से बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप कुमार ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी गठबंधन उम्मीदवार सपा की तबस्सुम हसन को 92160 मतों से शिकस्त दी. इस सीट पर सपा और बीजेपी सहित कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी.

कैराना सीट पर वोटिंग पहले चरण में 11 अप्रैल को हुई थी, इस सीट पर 67.46 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. कैराना लोकसभा सीट पर कुल 1661963 मतदाता हैं, जिनमें से 1121221 लोगों ने वोट डाला है.
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कौन-कौन प्रमुख उम्मीदवार
सामान्य वर्ग वाली इस सीट पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रदीप चौधरी चुनाव लड़ रहे थे, जिनका मुख्य मुकाबला आरएलडी की तबस्सुम हसन और कांग्रेस के चौधरी हरेंद्र मलिक से था. इस सीट से कुल 13 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे थे.
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2014 का चुनाव
2014 के लोक चुनाव में इस सीट पर 73.08 फीसदी वोटिंग हुई थी जिसमें बीजेपी के हुकुम सिंह जीतने में कामयाब रहे थे. लेकिन उनके निधन के बाद 2018 में उपचुनाव हुए जिसमें 58.20 फीसदी वोट पड़े थे. आरएलडी के तबस्सुम हसन 51.26 फीसदी (4,81,181) वोट मिले थे और उनके निकटतम बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह को 46.51 फीसदी (4,36,564) वोट मिले थे. इस तरह से तबस्सुम हसन ने 44,618 से जीत हासिल की थी.
कैराना सीट का इतिहास
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट राजनीतिक लिहाज से काफी अहम सीट है. यह लोकसभा सीट 1962 अस्तित्व में आई. पहले ही चुनाव में इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और कांग्रेस के पास ही रही. लेकिन 1996 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की, 1998 में भारतीय जनता पार्टी, फिर लगातार दो बार राष्ट्रीय लोक दल, 2009 में बहुजन समाज पार्टी और 2014 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. 2018 में जब उपचुनाव हुए तो बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी.
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