बिहार की झंझारपुर लोकसभा सीट पर इस बार आरजेडी और जेडीयू के बीच कांटे का मुकाबला है. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी का उम्मीदवार जीता था लेकिन इस बार के बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में सीट जेडीयू के खाते में है. जेडीयू से इस बार रामप्रित मंडल सीट बचाने खड़े हुए हैं जबकि आरजेडी के गुलाब यादव उन्हें चुनौती देते नजर आएंगे.
कभी आरजेडी और जेडीयू के नेता और पांच बार के सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव समाजवादी जनता दल (डेमोक्रेटिक) से चुनाव लड़ रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक), भारतीय मित्र पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, आदर्श मिथिला पार्टी, शिवसेना, आम अधिकार मोर्चा, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) जैसे दलों के साथ 5 निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं.
बता दें कि बिहार की 5 सीट पर 23 अप्रैल को तीसरे फेज में मतदान होना है. 10 मार्च को लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने के बाद देशभर में चुनावी माहौल गरमा गया है. 28 मार्च को इस सीट के लिए नोटिफिकेशन निकला, 4 अप्रैल को नोमिनेशन की अंतिम तारीख, 5 अप्रैल को स्क्रूटनी और 8 अप्रैल नाम वापिसी की अंतिम तारीख थी. अब 23 अप्रैल के मतदान के लिए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. लोकसभा चुनाव 2019 के तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. मतदान का परिणाम 23 मई को आना है जिसमें तय होगा कि लोकतंत्र के इस सबसे बड़े आयोजन में किसको मिली जीत और किसे हार?
बिहार में मिथिलांचल की तीन लोकसभा सीटों मधुबनी, झंझारपुर और दरभंगा में झंझारपुर का सियासी इतिहास काफी रोचक रहा है. कोसी और कमला नदी की गोद में बसा झंझारपुर इलाका दरभंगा जिले का हिस्सा है लेकिन अलग जिले की मांग यहां लगातार तेज हो रही है. इसी इलाके से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा जीतकर संसद और बिहार के सीएम की कुर्सी पर विराजमान हुए. वर्तमान में यहां से सांसद हैं भाजपा के बीरेन्द्र कुमार चौधरी.
ये इलाका कभी आरजेडी और जेडीयू के नेता रहे देवेंद्र प्रसाद यादव का भी गढ़ रहा है जो पांच बार यहां से चुनकर संसद गए और केंद्र में मंत्री भी बने. यहां के वोटरों ने 2014 में पहली बार भाजपा को जीत दिलाई. सांसद बीरेंद्र कुमार चौधरी से पहले यहां की राजनीति में श्यामनंदन मिश्र, भोगेंद्र झा, जगन्नाथ मिश्रा, धनिक लाल मंडल एवं गौरीशंकर राजहंस जैसे नेता सक्रिय रहे हैं. लेकिन तमाम बड़े नेताओं के प्रतिनिधित्व के बावजूद बेरोजगारी, पलायन और पिछड़ेपन आज भी झंझारपुर का पर्याय है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1972 में इस सीट के अस्तित्व में आने का बाद हुए चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जगन्नाथ मिश्रा यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1980 के चुनाव में जनता पार्टी(एस) के धनिक लाल मंडल यहां से चुने गए. 1984 के चुनाव में कांग्रेस के धनिकलाल मंडल को झंझारपुर की जनता ने चुना. इसके बाद 1989 में जनता दल के टिकट पर देवेंद्र प्रसाद यादव चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की. फिर 1991, 1996, 1999 और 2004 के चुनावों में भी उन्हें जीत मिली. पहले के तीन चुनाव देवेंद्र प्रसाद यादव ने जनता दल उम्मीदवार के रूप में जीता. बीच में 1998 के चुनाव में आरजेडी के सुरेंद्र प्रसाद यादव यहां से जीते.
1999 और 2004 के चुनाव में देवेंद्र प्रसाद यादव आरजेडी के टिकट पर लड़े और चुनाव जीता. 2009 के चुनाव में झंझारपुर की जनता ने जेडीयू उम्मीदवार मंगनीलाल मंडल के सिर जीत का सेहरा बांधा. लेकिन 2014 के मोदी लहर में बीजेपी उम्मीदवार बीरेंद्र कुमार चौधरी को यहां का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला.
इस सीट का समीकरण
झंझारपुर संसदीय क्षेत्र जनता दल का मजबूत गढ़ माना जाता है. जनता दल परिवार से निकलीं पार्टियों आरजेडी-जेडीयू के उम्मीदवारों ने यहां बारी-बारी से जीत का परचम लहराया. इस संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,418,977 है. इसमें पुरुष वोटर 757,310 और महिला वोटर 661,667 हैं.
विधानसभा सीटों का समीकरण
झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत 6 विधानसभा सीटें आती हैं- खजौली, बाबूबरही, राजनगर, झंझारपुर, फूलपरास और लौकहा. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 पर जेडीयू, 2 पर आरजेडी और एक सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की.
2014 चुनाव का जनादेश
16वीं लोकसभा के लिए झंझारपुर सीट पर 2014 में हुए चुनाव में बाजी बीजेपी के हाथ लगी थी. बीजेपी के उम्मीदवार बीरेंद्र कुमार चौधरी ने जीत हासिल की. बीरेंद्र कुमार चौधरी को 335481 वोट मिले. जबकि आरजेडी के मंगनी लाल मंडल को 280073 वोट मिले. तीसरे नंबर पर रहे जेडीयू के उम्मीदवार देवेंद्र प्रसाद यादव. जिन्हें 183598 वोट मिले.
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