जयपुर सीट पर बीजेपी उम्मीदवार रामचरण बोहरा जीत गए हैं. रामचरण बोहरा ने 4,30,626 वोटों से जीत दर्ज की. रामचरण बोहरा को कुल 9,24,065 वोट हासिल हुए हैं. दूसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार ज्योति खंडेलवाल को 4,93,439 मत प्राप्त हुए हैं.
राजस्थान की वीआईपी जयपुर लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 6 मई को मतदान हुआ. इस सीट पर राम चरण बोहरा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल से है.
इस सीट पर 48 साल बाद किसी राष्ट्रीय पार्टी ने एक महिला को टिकट दिया है. 48 साल पहले यहां से जयपुर की महारानी गायत्री देवी जीती थीं. राजधानी जयपुर शुरू से बीजेपी की परंपरागत सीट रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यहां के समीकरण बदल दिए हैं.
शांतिपूर्ण संपन्न हुए मतदान में जयपुर लोकसभा सीट पर 68.11 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. 2014 में इस सीट पर 66 फीसदी मतदान हुआ था.
प्रमुख उम्मीदवार
इस बार इस सीट से कुल 24 कैंडिडेट थे. इस सीट पर राम चरण बोहरा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. उनका मुकाबला कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल से था. इसके अलावा अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया से कैलाश चंद्र जगरवाल और बहुजन समाज पार्टी से उमराव सलोदिया चुनाव मैदान में थे.
2014 का जनादेश
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रामचरण बोहरा ने कांग्रेस सांसद महेश जोशी को 5,39,345 मतों के भारी अंतर से पराजित किया. बीजेपी से रामचरण बोहरा को 8,63,358 और कांग्रेस से महेश जोशी को 3,24,013 वोट मिले थें. इस चुनाव में इस सीट पर 66.2 फीसदी मतदान हुआ था जिसमें से बीजेपी को 66.6 फीसदी और कांग्रेस को 25 फीसदी वोट हासिल हुए थे.
सामाजिक ताना-बाना
जयपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र संख्या-7 समान्य सीट है. जयपुर संसदीय सीट पर ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य बिरादरी का बराबर प्रभाव है, लेकिन ब्राह्मण उम्मीदवार ज्यादा जीते हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की जनसंख्या 32,76,861 है जिसका 5.76 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 94.24 प्रतिशत शहरी है. वहीं कुल आबादी का 13.55 फीसदी अनुसूचित जाति और 4.31 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं. जबकि जयपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिमों की आबादी लगभग 10 फीसदी है. साल 2014 के लोकसभा चुनावों के आंकड़ों के मुताबिक जयपुर सीट पर मतदाताओं की संख्या 19,57,818 जिसमें 10,47,468 पुरुष और 9,10,350 महिला हैं.
सीट का इतिहास
जयपुर लोकसभा क्षेत्र आजादी के बाद से ही कांग्रेस के खिलाफ राजनीति का गढ़ रहा है. देश को आजादी मिलने के बाद राजा-रजवाड़ों का राजतंत्र समाप्त हो गया और लोकतंत्र लागू हुआ. ऐसे में राजपुताना गौरव के केंद्र राजस्थान में राजपूत समाज कांग्रेस के खिलाफ लामबंद हुआ. कांग्रेस के खिलाफ होने वाली इस लामबंदी का नेतृत्व जयपुर राजघराने की महारानी गायत्री देवी ने किया. उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की जिसे जनसंघ और आरएसएस का समर्थन प्राप्त था.
आजादी के बाद जयपुर सीट पर हुए कुल 16 लोकसभा चुनाव और 1 उपचुनाव में कांग्रेस महज 4 बार ही यह सीट जीत पाई, जबकि 7 बार बीजेपी का कब्जा रहा. 3 बार स्वतंत्र पार्टी, 1 बार जनता पार्टी, 1 बार भारतीय लोकदल और 1 बार निर्दलीय ने कब्जा जमाया. लिहाजा इस सीट पर कांग्रेस को सबसे अधिक बार हार का सामना करना पड़ा. 1952 में कांग्रेस को जीत तो मिली लेकिन 1957 में यह सीट निर्दलीय के खाते में सीट जाने के बाद 1962, 1967, 1971 में लगातार 3 बार यहां से स्वतंत्र पार्टी की गायत्री देवी जीतीं. वहीं 1977 में बीएलडी, 1980 में जेएनपी, 1984 में कांग्रेस की जीत के बाद 1989 से 2004 तक इस सीट पर लगातार 6 बार बीजेपी के गिरधारी लाल भार्गव ने जीत का परचम लहराया.
2009 में कांग्रेस के महेश जोशी ने बीजेपी के कद्दावर नेता घनश्याम तिवाड़ी को हराकर सबसे बड़ा उलटफेर किया. लेकिन 2014 की मोदी लहर में बीजेपी के रामचरण बोहरा ने जोशी को 5 लाख वोटों भारी अंतर से हराकर जयपुर में एकबार फिर बीजेपी का झंडा बुलंद किया.
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