इंडिया टुडे के खास कार्यक्रम में 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2019' में सामाजिक चिंतक प्रताप भानु मेहता का कहना है कि भारतीय लोकतंत्र में तमाम नकारात्मक चीजों के बावजूद इसमें सकारात्मक होने की संभावना भी है. उन्होंने कहा कि देश में रोजगार के लिए सबसे ज्यादा काम होना चाहिए था, जिस पर बिल्कुल भी नहीं हुआ.
प्रताप भानु मेहता की मानें तो भारतीय अर्थव्यवस्था में जॉब पैदा करने की भरपूर क्षमता है, लेकिन सरकार ने पिछले 5 साल में इस केवल बातें की, काम कुछ भी नहीं हुआ. उन्होंने कहा, 'भारत के पास जॉब ग्रोथ का मौका था, जिसे गंवा दिया गया.' मेहता का कहना है कि आइडिया इंडिया के नाम पर समाज को बांटा जा रहा है, क्या इससे कुछ हासिल होगा.
भारत की पहचान रही है कि तमाम अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद एक साथ मिलकर रहना, और सही मायने में आइडिया इंडिया की यही है. लेकिन इसे कमजोर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह सरकार जीएसटी लेकर आई, जो एक अच्छा फैसला है. लेकिन इसको लागू करने से पहले इसपर गंभीरता से विचार नहीं किया गया. जिस वजह से तमाम लोगों को दिक्कतें आईं.
देश के ताजा हालात पर चिंता जाहिर करते हुए मेहता ने कहा कि राष्ट्रवाद ने देश को विभाजित करने का काम किया. अगर आप सत्य जानने के लिए सवाल पूछते हैं तो आप राष्ट्र विरोधी घोषित कर दिए जाते हैं. इसका मतलब है सत्य भी गया. नागरिक स्वतंत्रता पर बात करते हुए मेहता ने कहा सरकार इस मुद्दे पर विपक्ष को भी साथ लेकर चलना मुनासिब नहीं समझती. इसका मतलब है कि आजादी भी गई.
उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद देश आगे बढ़ता रहेगा, क्योंकि इसके पीछे वर्षों की मेहनत है, तमाम अड़चनों के बावजूद देश सही दिशा में है, ग्रोथ रेट 6.7 फीसदी के करीब रहेगा. ये उभरते भारतीय बाजार की ताकत है. इसको आगे ले जाने की जरूरत है. मेहता की मानें तो आगामी लोकसभा चुनाव में असल मुद्दे नहीं दिखेंगे, इसका आभाष अभी से होने लगा है.
मोदी सरकार में पारदर्शिता बढ़ने से भ्रष्टाचार कम हुआ है? इसके जवाब में मेहता ने कहा कि भ्रष्टाचार मापने का सबसे बड़ा पैमाना है कि धन पर चंद लोगों का कब्जा होना बताता है, भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है.