देश में लोकतंत्र के महाकुंभ यानी आम चुनावों की घोषणा की जा चुकी है. चुनाव आयोग ने देश की 543 संसदीय सीटों पर सात चरणों में चुनाव कराए जाने का ऐलान कर दिया है. नई सरकार बनाने के लिए 11 अप्रैल से प्रक्रिया की शुरुआत की जानी है. जिसमें 91 सीटों पर वोट डाले जाएंगे, ये चुनाव का पहला चरण होगा. अंतिम चरण में वोटिंग 19 मई को होगी, जिसके बाद पूरे देश के चुनाव नतीजों का ऐलान 23 मई को किया जाएगा. पहले चरण के चुनावों में 20 राज्यों की कुल 91 सीटों को शामिल किया गया है. जिसमें से उत्तराखंड का हरिद्वार भी एक है.
हरिद्वार संसदीय सीट से नामांकन रद्द होने और नाम वापस लेने की प्रक्रिया के बाद जिन नामों को चुनाव आयोग से हरी झंडी मिल चुकी है, उनमें बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक समेत अंबरीश कुमार(कांग्रेस), डॉ. अंतरिक्ष सैनी(बीएसपी), त्रिबीरेंद्र सिंह रावत(उत्तराखंड क्रांति दल(डेमोक्रेटिक)), नरेंद्र चौहान(भारतीय सर्वोदय पार्टी), फुरकान अली एडवोकेट(प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया)), भानपाल सिंह(बहुजन मुक्ति पार्टी), रीनू(हिंदुस्तान निर्माण दल), ललित कुमार(पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया), सुरेंद्र कुमार उपाध्याय(उत्तराखंड क्रांति दल) का नाम शामिल है. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवारों में आदिल, धमेंद्र, बाची सिंह, ठाकुर मनीष सिंह, शिशुपाल सिंह हैं.
2014 का जनादेश
2014 में उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक को भाजपा ने मैदान में उतारा. निशंक पर हालांकि हरिद्वार कुंभ में घोटाले के छींटे थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस नेता हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को शिकस्त दी. निशंक ने कांग्रेस की उम्मीदवार रेणुका रावत को 1,51,906 वोटों के अंतर से हराया. हरीश रावत की पत्नी रेणुका को जहां 3,98,340 वोट मिले, वहीं निशंक 5,67,662 वोट लेकर संसद पहुंचने में सफल रहे.
2017 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक हरिद्वार सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक यहां पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 88 हजार 328 थी. जबकि महिला वोटर्स की संख्या 7 लाख 54 हजार 545 थी. यहां पर 2014 में 71.56 फीसदी वोटिंग हुई थी.
2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 24 लाख 5 हजार 753 थी. यहां की लगभग 60 आबादी गांवों में रहती है, जबकि 40 फीसदी जनसंख्या का निवास शहरों में है. इस इलाके में अनुसूचित जनजाति का आंकड़ा मात्र .44 फीसदी है. जबकि अनुसूचित जाति की संख्या 19.23 फीसदी है.
गौरतलब है कि चुनाव के पहले चरण में 18 मार्च को नोटिफिकेशन जारी किए जाने के बाद 25 मार्च को नामांकन की आखिरी तारीख थी. दूसरे दिन स्क्रूटनी के बाद तय नामों पर 11 अप्रैल को संसदीय क्षेत्र के मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगाएंगे.
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