राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अयोध्या में गैर विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को सौंपने की अपील की है. सरकार के इस कदम को लेकर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि विवादित और अधिकृत जमीन को राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने की मांग करना सरासर न्याय कार्य में हस्तक्षेप है और यह चुनाव को प्रभावित करने वाला कदम है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम चुनाव को देखते हुए लिया गया है जिससे आम लोगों को सतर्क रहना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की मिल्कियत वाली अयोध्या की जमीन पर यथास्थिति को बिगाड़ने का यह खेल भड़काने वाला है. बीजेपी चुनाव को ध्यान में रखकर इसे अंजाम दे रही है.
बता दें कि मंगलवार को मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि अयोध्या में जो गैर विवादित स्थल है, उसे राम जन्मभूमि न्यास को वापस सौंप दिया जाए. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि जिस भूमि पर रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद को लेकर विवाद है वह सुप्रीम कोर्ट अपने पास रखे. सरकार ने कोर्ट से कहा कि अयोध्या में हिंदू पक्षकारों को जो हिस्सा दिया गया है, वह रामजन्मभूमि न्यास को दे दिया जाए.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में जबर्दस्त गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी व अशिक्षा है, सरकार इसको हटाने में नाकाम रही. अयोध्या मामले का गलत व राजनीतिक इस्तेमाल ही आखिरी हथकंडा बाकी रह गया था जो बीजेपी अब पूरी तरह से इसका इस्तेमाल करने में लग गई है. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि बीजेपी को अब लग गया है कि यूपी में बसपा-सपा के गठबंधन के कारण वह केंद्र में सत्ता में दोबारा वापस आने वाली नहीं है. इससे घबराकर केंद्र और यूपी में बीजेपी सरकार अब ऐसे हथकंडे अपना रही है.
गौरतलब है कि राम जन्मभूमि के आसपास करीब 70 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के पास है. इसमें से 67 एकड़ जमीन 1993 में नरसिंहा राव सरकार ने अधिग्रहित की थी. इसमें से 2.77 एकड़ की जमीन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में फैसला सुनाया था. जिस भूमि पर विवाद है वो महज 0.313 एकड़ है. सरकार ने कोर्ट से कहा है कि इसमें 40 एकड़ ज़मीन राम जन्मभूमि न्यास की है. लिहाजा, इसे राम जन्मभूमि न्यास को वापस कर दिया जाए. इससे पहले 29 जनवरी को अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन एक जज के मौजूद न होने के चलते ये सुनवाई भी टल गई.