जीवन के 5 दशक कांग्रेस में गुजारने के बाद पूर्व विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता हो गए हैं. कर्नाटक की राजनीति में उनका दबदबा रहा है और वह 1999 से 2004 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा वह कर्नाटक विधानसभा में स्पीकर और 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र के गवर्नर भी रह चुके हैं. 2017 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से नाराज होकर इस्तीफा दिया था और फिर बाद में बीजेपी का दामन थाम लिया.
शुरुआती जीवन
मांड्या जिले के मद्दुर तालुका में एक मई 1932 को एस.एम. कृष्णा का जन्म हुआ. उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी के महाराजा कॉलेज से बी.ए. की डिग्री हासिल की और फिर बेंगलुरु के लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की. उच्च शिक्षा के लिए कृष्णा अमेरिका चले गए और उन्होंने टेक्सास, वॉशिंगटन से कानून की पढ़ाई है, वह एक स्कॉलर रहे हैं. कृष्णा वोकलिंगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. मांड्या, मैसूर और बेंगलुरु के इलाके में कृष्णा की मजबूत सियासी पकड़ मानी जाती है.
राजनीतिक सफर
विदेश से पढ़ाई कर लौटने के बाद साल 1962 में एस.एम. कृष्णा ने अपना सियासी सफर शुरू किया. इसके लिए उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ज्वाइन की और कांग्रेस के नेता के खिलाफ मद्दुर सीट से चुनावी मैदान में उतर गए. इस चुनाव में उन्हें जीत भी हासिल हुई. साल 1968 से लगातार 4 बार वह मांड्या सीट से लोकसभा चुनाव जीतते रहे. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की और साल 1983-84 की इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री भी रहे. इसके बाद जब राजीव गांधी की सरकार आई तो कृष्णा को उद्योग और वित्त मंत्रायल में राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया.
साल 1996 से 2006 तक वह राज्य सभा सांसद रहे और कई बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव भी जीते. 1989 से 92 के बीच वह विधानसभा में स्पीकर रहे और इस दौरान उन्होंने कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री का पद भी संभाला. 1999 में एस.एम. कृष्णा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष चुना गया. कृष्णा की अगुवाई में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जीत मिली और उन्हें पहली बार सूबे का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने कर्नाटक में ऊर्जा क्षेत्र में कई सुधार किए. बाद में जाकर उन्होंने महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया.
एस.एम. कृष्णा ने 2008 में राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर कर्नाटक की राजनीति में वापसी की इच्छा जताई. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया. 2009 की यूपीए सरकार में कृष्णा को विदेश मंत्री बनाया गया. इसके बाद 2012 में एक बार फिर से कृष्णा मंत्री पद छोड़ कर्नाटक की राजनीति में चले गए.
कांग्रेस से इस्तीफा
केंद्र में मंत्री पद छोड़ने के बाद कृष्णा कांग्रेस में तो रहे लेकिन उनकी भूमिका कमजोर होती चली गई. 2013 में जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी तो सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद उन्होंने जनवरी 2017 में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. कृष्णा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं करती और उन्हें किनारे कर दिया गया है. पार्टी छोड़ने हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब मैनेजरों के हाथ में चली गई है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले एस.एम कृष्णा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए थे.