पश्चिम बंगाल की बीरभूम लोकसभा सीट पर 23 मई को मतगणना के बाद चुुनाव के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं, इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की उम्मीदवार शताब्दी रॉय ने अपना जलवा बरकरार रखते हुए दूसरी बार जीत दर्ज की है. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार दुध कुमार मंडल को 88924 मतों से हराया.
किसको कितने वोट मिले
कब और कितनी हुई वोटिंग
बीरभूम लोकसभा सीट सामान्य के लिए आरक्षित है. इस सीट पर लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत 29 अप्रैल को वोट डाले गए और कुल 85.28 फीसदी मतदान हुआ था.
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कौन-कौन उम्मीदवार
बीरभूम संसदीय सीट पर इस बार इमाम हुसैन (कांग्रेस), मोहम्मद रेजाउल करीम (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया), दुध कुमार मंडल (भारतीय जनता पार्टी), प्रबीर मुखोपाध्याय (बहुजन समाज पार्टी), शताब्दी रॉय (ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस), फारूक अहमद (राष्ट्रवादी जनता पार्टी), आएशा खातून (सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया), मोहम्मद फिरोज अली (भारतीय नेशनल जनता) और चितरंजन हंसदा (निर्दलीय) चुनाव मैदान में उतरे.
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2014 का जनादेश
पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. टीएमसी के शताब्दी रॉय को 460,568 वोट मिले यह कुल वोटिंग का 36.09 फीसदी थे. जीतने के बावजूद 2009 की तुलना में रॉय को 11.72 फीसदी कम वोट मिले थे. 2014 के चुनाव में दूसरे नंबर पर सीपीएम के डॉक्टर मोहम्मद कमर इलाही रहे जिन्हें 393,305 वोट मिले जो कुल वोटिंग का 30.82 फीसदी थे. बीजेपी के जॉय बनर्जी को 235,753 वोट मिले जो कुल वोटिंग का 18.47 फीसदी थे, 2009 की अपेक्षा बीजेपी को 13.85 फीसदी ज्यादा वोट मिले थे. कांग्रेस का कभी इस सीट पर दबदबा रहता था लेकिन 2014 में कांग्रेस उम्मीदवार को सैय्यद सिराज जिम्मी को सिर्फ 132084 वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
बीरभूम संसदीय क्षेत्र पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आता है 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी 2247089 है. इसमें से 85.7 फीसदी ग्रामीण और 14.23 फीसदी शहरी है. यहां अनुसूचित जाति और जनजाति का रेश्यो 29.03 फीसदी और 6.11 फीसदी है. 2017 की मतदाता सूची के मुताबिक यहां मतादाताओं की कुल संख्या 1611374 है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बीरभूम लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 1971 तक यहां कांग्रेस की राज रहा और 52 में कांग्रेस के कमल कृष्ण दास, 57 में अनिल कुमार चंदा, 62 में शिशिर कुमार दास चुने गए, इसके बाद सीपीएम के गदाधर साहा ने 1971 में इस सीट पर कब्जा कर लिया और लगातार 3 बार यहां से जीते. 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति की लहर थी तब भी सीपीएम के गदाधर साहा ने यहां से अपना परचम लहराए रखा. 1989 में बीरभूम से सीपीएम के राम चंद्र डोम सांसद चुने गए और लगातार 6 बार सांसद रहे. इसके बाद यहां कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा कम होने लगा और 2009 में ऑल इंडिया कांग्रेस के शताब्दी रॉय ने विजय हासिल की, 2014 में भी शताब्दी राय को ही जनता ने विजयी बनाया.
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