लोकसभा चुनाव में भले ही राजनीतिक पार्टियां जतीय समीकरण बैठाकर अपने उम्मीदवार उठा रहे हों, किसानों की बातें हों या पुलवामा हमले के बाद किए गए हवाई हमले की. लेकिन चुनाव में हर बार सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार ही है. देश की जनता को सबसे पहले रोटी, कपड़ा और मकान ही चाहिए. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक राष्ट्रीय सर्वे किया है. यह सर्वे 31 मुद्दों पर देश की 534 लोकसभा सीटों के 2.73 लाख मतदाताओं पर किया गया है. सर्वे अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच कराया गया था.
एडीआर सर्वे - देश के 10 सबसे बड़े मुद्दे
करीब पौने तीन लाख लोगों के बीच किए गए सर्वे में मतदाता से पूछा गया कि आपके लिए सबसे बड़ा मुद्दा कौन सा है. लोगों ने प्राथमिकता के अनुसार इन मुद्दों को चुना.
रोजगार- 46.80%
स्वास्थ्य सेवाएं- 34.60%पेयजल- 30.50%
अच्छी सड़कें- 28.34%
अच्छा परिवहन- 27.35%
सिंचाई के लिए पानी- 26.40%
खेती के लिए लोन- 25.62%
फार्म उत्पादों की सही कीमत- 25.41%
बीजों-खाद कीमतों पर राहत- 25.06%
बेहतर कानून व्यवस्था- 23.95%
ALL INDIA SURVEY ON GOVERNANCE ISSUES AND VOTING BEHAVIOUR 2018 Key Finding 9: 97.86% voters felt that candidates with criminal background should not be in Parliament or State Assembly, only 35.20% voters knew that they could get information on criminal records of the candidates.
— ADR India (@adrspeaks) March 25, 2019
गांव और शहर दोनों की सबसे बड़ी जरूरत नौकरी है
सर्वे में यह स्पष्ट है कि देश के ग्रामीण इलाके हो या शहरी, दोनों ही जगहों पर रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है. सबसे बड़ी मांग है. नौकरी की सबसे ज्यादा मांग शहरी इलाकों और ओबीसी वर्ग की है. शहरों के 51.60% वोटर और ओबीसी वर्ग के 50.32% वोटरों के बीच सबसे ज्यादा मांग नौकरी है. 23 से 40 उम्र वाले 47.49% मतदाता को रोजगार की जरूरत है.
सही सेहत और अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं दूसरी बड़ी मांग
सर्वे में शामिल 534 लोकसभा सीट के मतदाताओं की दूसरी सबसे बड़ी मांग है सही सेहत और अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं. देश के 34.60% मतदाता इसे बेहद जरूरी मानते हैं. शहरी इलाकों के 39.41% लोगों ने इसे बेहद जरूरी माना है.
30.50% वोटर साफ पेयजल को मानते हैं तीसरा बड़ा मुद्दा
30.50% वोटर साफ पेयजल को तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं. सबसे बड़ी दिक्कत शहरी इलाकों में देखने को मिल रही है. इसीलिए 35.03% शहरी मतदाताओं ने इसे बड़ा मुद्दा माना है. हालांकि, ग्रामीण इलाकों के 28.05% मतदाताओं ने ही इस पर सहमति जताई है.रोजी, सेहत और पानी के लिए महिला और पुरुष की सोच एक
महिला एवं पुरुष मतदाता रोजी, सेहत और पानी के मुद्दे पर लगभग एक बराबर सोचते हैं. इन तीनों प्रमुख मुद्दों पर एक बराबर सोचने वाले महिला एवं पुरुष मतदाताओं की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है. रोजगार के लिए 48.05% पुरुष और 46.61% महिलाएं एक समान सोचती हैं. अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए महिलाओं की संख्या पुरुषों के आगे हैं. ये है - 35.29% महिलाएं व 34.29% पुरुष. साफ पानी के लिए भी ऐसी ही हालत है. पानी के लिए 31.69% महिला और 30.91% पुरुष मतदाताओं ने वोट किया.