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गुजरात विधानसभा चुनाव: गौरव विकास यात्रा से आदिवासियों का दिल जीतेगी बीजेपी?

गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने कमर कस ली है. गौरव विकास यात्रा के जरिए मतदाताओं को लुभाने के लिए बीजेपी पूरी जोर लगा रही है. साथ ही आदिवासियों को लेकर भी पार्टी का खास प्लान है. इसको लेकर बीजेपी आलाकमान खुद एक्टिव हो गया है.

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अमित शाह
अमित शाह

गुजरात के सियासी रण में बीजेपी पूरा जोर लगा रही है. इसको लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह खुद एक्टिव हो गए हैं. जेपी नड्डा ने बहुचराजी से आशापुरा कच्छ और द्वारिका से पोरबंदर की गुजरात विकास यात्रा की शुरुआत करवायी. आमित शाह ने अहमदाबाद के झाझरका से सोमनाथ और नवसारी में उनाई माता मंदिर से फागवेल और उनाई माता मंदिर से अंबाजी तक की यात्रा को हरी झंडी दिखाई. 

गुजरात गौरव यात्रा के जरिए बीजेपी आदिवासी वोट बैंक को लुभाने की कोशिश में लगी है. आदिवासी वोट बैंक को यहां कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक कहा जाता है. बीजेपी बखूबी जानती है कि अगर उन्हें अपने 150+ सीट के टारगेट को हासिल करना है तो ये आदिवासी वोट के बिना संभव नहीं है.

गुजरात में 15% आदिवासी वोट बैंक

गुजरात में अगर आदिवासी वोट बैंक की बात की जाए तो, यहां 15% आदिवासियों का वोट बैंक है. इसका सीधा असर गुजरात की 27 से ज्यादा सीटों पर देखने को मिलता है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इसे अपनी ओर खींचने के प्रयास करती रहती हैं. इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है. आदिवासी वोट बैंक को वर्षों से कांग्रेस का पांरपारिक वोट बैंक माना जाता है और कांग्रेस भी इस बार अपना वोट बैंक किसी ना किसी तरह से बनाए रखना चाहती है.

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कांग्रेस ने सुखराम राठवा को बनाया विपक्ष का नेता

जब पूरी की पूरी सरकार को बदला गया तो कांग्रेस ने भी अपने विपक्ष के नेता को बदला और आदिवासी नेता सुखराम राठवा को विपक्ष का नेता बनाया. कांग्रेस ने बीटीपी के युवा नेता राजेश वसावा को खुद की पार्टी में शामिल किया है.

5 आदिवासी नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह

वहीं बीजेपी ने अपनी नई सरकार में 5 आदिवासी नेताओं को मंत्रिमंडल में स्थान दिया है. साथ में केंद्र सरकार ने सांसद गीताबेन राठवा को BSNLका अध्यक्ष बनाया है. साफ है कि बीजेपी अपनी पार्टी और सरकार में आदिवासी समाज नेताओं को  काफी अच्छे पद देकर आदिवासी वोट को हासिल करने का प्रयास कर रही है. 

आदिवासियों के विरोध पर तुरंत रोका गया प्रोजेक्ट

दक्षिण गुजरात के आदिवासी इलाके में केन्द्र सरकार के प्रोजेक्ट पार-तापी-नर्मदा रिवरलिंक का जबरदस्त विरोध हुआ. विरोध इतना जबरदस्त था कि केन्द्र सरकार को और राज्य सरकार को पार तापी नर्मदा रिवरलिंक प्रोजेक्ट को रद्द करना पड़ा. इस रिवरलिंक प्रोजेक्ट के चलते गुजरात के इन इलाकों में विरोध इतना तेज हुआ कि पहले इस प्रोजेक्ट के रोकने की घोषणा केन्द्र सरकार के जरिए करनी पड़ी और फिर इस प्रोजेक्ट को रद्द करने की घोषणा खुद मुख्यमंत्री भुपेंद्र पटेल को आदिवासी नेताओं के बीच जाकर करनी पड़ी.

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पीएम मोदी ने दूर की पीने के पानी की समस्या   

खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी साल जुलाई महीने में लोकार्पण के जरिए इस इलाके की सबसे बड़ी पीने के पानी की समस्या को दूर कर यहां के लोगों को मनाने की कोशिश की है. इस इलाके की बात करें तो यहां नवसारी, डांग, वलसाड, तापी- इन चार जिलों की कुल 11 सीटों पर सीधा असर पड़ता है. 

182 में से 27 सीटों पर आदिवासियों का असर

अगर हम  गुजरात विधानसभा की बात करें तो गुजरात विधानसभा में 182 सीटों में से आदिवासियों का 27 सीटों पर असर है. 2007 में कांग्रेस ने 27 में से 14 सीटें प्राप्त की थी. 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने 16 सीटें प्राप्त की थी और 2017 की भी बात करें तो यहां से कांग्रेस ने 14 सीटें जीतीं ओर बीजेपी को 9 सीट ही मिली पाई थी. मतलब कि यहां पर कांग्रेस की अच्छी खासी पकड़ रही है. यहां दो सीट बीटीपी को मिली थी. दो अन्य निर्दलीय थे, जो बाद में बीजेपी में शामिल हुए.  

बीटीपी और कांग्रेस के बीच अलायंस की चर्चा
 
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही आदिवासी वोटबैंक को अपनी ओर खींचने के लिए जोरों से लड़ाई लड़ रही हैं. आदिवासी वोटों पर अपनी अच्छी पकड़ रखने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी के एक बार फिर कांग्रेस के साथ जाने की चर्चा ने जोर पकड़ा है. आदिवासी नेता छोटूभाई वसावा भरुच जिले की झगड़िया की सीट पर विधायक चुनते आ रहे हैं और उनको हराना किसी भी पार्टी के लिए बड़ा मुश्किल है. इस बार भारतीय जनता पार्टी उनको भी हराने के लिए जोर आजमाइश कर रही है. वह छोटूभाई वसावा की पार्टी के कई नेताओं को अपनी पार्टी में लेने सफल हुई है. यहां पर छोटू भाई वसावा के वोटबैंक में सेंध लगाने का काम बीजेपी ने सांसद मनसुख वसावा को दिया है क्योंकि वो हर मुद्दे पर बीटीपी को घेरते हुए नजर आते हैं.
 
भरुच नर्मदा जिले से बीजेपी ने कई बीटीपी नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है और बीजेपी को उसका फायदा पंचायत चुनाव में मिल भी चुका है.  

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गुजरात में पिछले पांच साल में कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिसे लेकर आदिवासी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. जिसमें दक्षिण गुजरात में तापी नर्मदा रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट है. इसको लेकर दक्षिण गुजरात में काफी विरोध प्रदर्शन  हुआ था. हजारों आदिवासी समाज के लोग सड़कों पर आ गए थे. आदिवासी समाज एक होकर आंदोलन कर रहा था. काफी विरोध होने पर सरकार अपने बचाव की मुद्रा में आ गई थी और आखिरकार इस फैसले को स्थगित कर दिया.  वैसे भी विधानसभा चुनाव से पहले अब निकाली जा रही गुजरात गौरव यात्रा सीधा बीजेपी वोट बैंक पर टारगेट करती है. 


 

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